30 जनवरी 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
परिवर्तन ...
प्रकृति का नियम है। परिवर्तन। जो कि वक्त आने पर होता ही है। ऐसा हम नहीं अपने खबरची बोल रहे है। इशारा अपने कप्तान जी की तरफ है। जिन्होंने सभी खबरचियों से पहले माफी मांगी। फिर यह भी कहा। खुद को बदल रहा हूं। जिसे सुनकर वहां मौजूद सभी खबरची आश्चर्य में पड़ गये। हालांकि बात हंसी-मजाक में दबकर रह गई। लेकिन अब इसे मीडिया वाले अपनी-अपनी नजर से देख रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
राम-भगवा ...
पूरा देश राममय और भगवामय है। लेकिन एक आईएएस ने रिहर्सल के दौरान राम और भगवा पर टिप्पणी कर दी। यह बोल दिया। क्या राम और भगवा लगा रखा है। उन्होंने लाठी-दल को रिहर्सल से आउट कर दिया। बस फिर क्या था। आराधना से लेकर कमलप्रेमी संगठन में दिनभर हंगामा मचा रहा। कमलप्रेमी नेत्री ने उच्च स्तर तक शिकायत की। शाम होते-होते लाठी दल की वापस इंट्री हो गई। किन्तु अब आईएएस अधिकारी पर तलवार लटक रही है। ऐसी चर्चा संघ से लेकर कमलप्रेमी कर रहे है। लेकिन हमको चुप ही रहना है।
सेल्यूट ...
बारिश के मौसम में जैसे ओले बरसते है। वैसे अगर पत्थरों की बरसात हो। फिर भी वर्दी मौके पर डटी रहे। कभी ऐसा नजारा देखा है। मूर्ति कांड में यह नजारा देखा गया। लोह-पुरूष और रामजी का कट आउट गिर गया था। आग लगने की नौबत आ गई थी। ऐसे में एसडीओपी ने जो हिम्मत दिखाई। वह तारीफ के काबिल है। उनको पत्थर भी लगे। मगर वह डटे रहे। उपद्रवियों को समझाते रहे। पैर में चोट भी आई। मगर ड्यूटी को ईमानदारी से निभाते हुए, ढिंढोरा नहीं पीटकर चुप है। तो हम भी उनकी हिम्मत को सेल्यूट करके अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
आसमान से ...
यह कहावत तो सभी ने पढ़ी/ सुनी होगी। आसमान से गिरे खजूर में अटके। संकुल के गलियारों में यह कहावत याद की जा रही है। इसके पीछे कारण है। जब अपने उत्तम जी मौजूद थे। तब मातहत उनकी डाट-फटकार और कार्यशैली से दु:खी रहते थे। तब यह दुआ मांगते थे। साहब से मुक्ति कब मिलेगी। जबकि उत्तम जी की कार्यप्रणाली सकारात्मक थी। वह कठोर नरियल की तरह थे। आखिरकार बाबा महाकाल ने गुहार सुन ली। उत्तम जी की रवानगी हो गई। अब नये मुखिया आ गये। जो कि भाषाशैली में विनम्र है, किन्तु कार्यप्रणाली अपने उत्तम जी से भी ज्यादा कडक वाली है। तभी तो आसमान से गिरे खजूर में अटके... वाली कहावत संकुल में बोली जा रही है। मगर हमको चुप ही रहना है।
परेशान ...
शीर्षक पढ़कर शायद हमारे पाठक यह सोचे। हम फिर आसमान वाली कहावत को लेकर परेशान का जिक्र कर रहे है। तो ऐसा नहीं है। यहां परेशान से आशय संकुल में बैठने वाले उन अधिकारियों की तरफ है। जो इन दिनों एक फोन आने से परेशान है। संकुल के गलियारों में चर्चा है। कई अधिकारियों के पास वाट्सअप कॉल आती है। इस कॉल पर डिमांड की जाती है। डिमांड मोबाइल-फ्रिज-टीवी आदि की हो रही है। जो नंबर से फोन आता है। उसको देखकर अधिकारी वैसे ही घबरा उठते है। इसीलिए संकुल के अधिकारी परेशान है। मगर यह सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
कंगाल ...
संकुल में यह चर्चा है। प्रोटोकॉल इन दिनों ठनठन गोपाल है। सवा खोखे की उधारी नहीं चुका पा रहा है। तभी तो ट्रेवल्स संचालक ने वाहन देने से इंकार कर दिया। वह भी तब, जब अपने विकासपुरूष मौजूद थे। उनके कारकेट के लिए ही वाहन चाहिये थे। इज्जत दाव पर लग गई। नतीजा ... पडोसी संभागीय मुख्यालय से वाहनों का काफिला बुलाया गया। इंम्पेक्ट वालो ने लाज रख ली। मगर कब तक। इसीलिए तो कंगाली-ठनठन गोपाल हर कोई बोल रहा है। उम्मीद है कि अपने विकासपुरूष इस कंगाली को जरूर दूर करेंगे। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
अंधा बाटे ....
अंधा बाटे रेवडी... अपने-अपने को दे। यह कहावत उस वक्त सुनाई दी। जब अपने विकास पुरूष के हाथों सम्मान मिल रहा था। इशारा झांकियों की तरफ है। जो कि पूरी तरह से निकली भी नहीं थी। उसके पहले ही परिणाम आ गये। स्मार्ट पंडित-इंदौरीलाल और आईएएस अधिकारी को शील्ड प्रदान कर दी गई। जिससे अपने विकासपुरूष का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने तो घोषणा होने पर सम्मान कर दिया। मगर बाकी विभाग इससे दु:खी है। तभी तो अंधा बाटे रेवडी की कहावत याद कर रहे है। जिला प्रमुखों की बात में दम है। उनका दर्द भी समझते है। मगर हम कर कुछ नहीं सकते। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
सह्दयता ...
अपने विकासपुरूष की सह्दयता की चर्चा सुनाई दे रही है। शिवाजी भवन से लेकर कमलप्रेमियों के बीच। इशारा अपने प्रथमसेवक की तरफ है। जो कि सम्मान के वक्त मंच पर मौजूद नहीं थे। विकासपुरूष ने स्मार्ट पंडित को प्रमाण-पत्र और शील्ड प्रदान कर दी थी। फिर अचानक विकासपुरूष को याद आया। प्रथमसेवक मंच पर नहीं है। उन्होंने धीरे अपने स्मार्ट पंडित को कान में कुछ कहा। बस फिर क्या था। कुछ पलो बाद अपने प्रथमसेवक मंच पर नजर आये। फिर से सम्मान हुआ और तस्वीर खिची। यह नजारा सभी ने देखा। तो अब विकासपुरूष की सह्दयता की चर्चा कर रहे है। बात सही भी है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
3 खोखा ...
मंदिर के गलियारों में चर्चा है। 3 खोखे कीमत वाले टायलेट की। जिसकी हाईट अब 9 मीटर होगी। 7 जिलों के मुखिया की बैठक के बाद यह निर्णय हुआ है। अपने इंदौरीलाल जी ने बैठक में यही जानकारी दी। निविदा भी अपलोड हो चुकी है। यह वही टायलेट है। जिसको लेकर अपने विकासपुरूष ने आपत्ति ली थी। शिखर दर्शन सुलभ हो , कहकर। जिसके बाद होना तो यह था। प्लान कैंसिल होता। मगर उंचाई घटाकर टायलेट बनाया जा रहा है। आश्चर्य की बात यह है। इस टायलेट से कुछ ही दूरी पर वीएफसी (विजिटर फेसेलिटी सेंटर) भी बनेगा। जहां पर अनेकों टायलेट होंगे। इसके बाद भी 3 खोखे वाले टायलेट को बनवाया जा रहा है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
आवेदन ...
अपनी जिंदगी में हम कभी ना कभी कोई आवेदन जरूर लिखते है। विषय कुछ भी हो सकता है। आवेदन के अंत में फरियादी/ प्रार्थी अपना नाम लिखता है। अवकाश के आवेदन में तो ऐसा ही होता है। मगर एक जिलाधिकारी ने गजब कर दिया। अवकाश के लिए आवेदन बनाया। अपने जिले के मुखिया के नाम। जिसमें उन्होंने अंत में उनका ही नाम लिख दिया। जिससे अवकाश स्वीकृत करवाना था। इतना ही नहीं, हस्ताक्षर अपने कर दिये। जिसे देखकर अपने नये मुखिया आश्चर्य में पड गये। इस जिलाधिकारी का नाता खाद्य विभाग से है। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको चुप ही रहना है।
डिमांड ...
संकुल के गलियारों में डिमांड की चर्चा सुनाई दे रही है। एक फाइल को लेकर। 25 पेटी का भुगतान होना है। 2018 के निर्वाचन से जुड़ी फाइल है। जीपीएस सिस्टम को लेकर। जिसमें वेंडर को लटकाया जा रहा है। उसको यह दबी जुबान में बोला जा रहा है। सेवा करो-मेवा पाओं। इसके अलावा 2023 को लेकर भी सुगबुगाहट है। परिवहन का मामला है। बगैर सत्यापन के भुगतान करने की चर्चा दबी जुबान से अधिकारी कर रहे है। 5 प्रतिशत की तरफ इशारा है। सच और झूठ का हमको पता नहीं है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
तोहफा ...
अपने विकासपुरूष ने रविवार को एक ऐसा तोहफा दिया। जिसका प्रदेश की नौकरशाही को लंबे समय से इंतजार था। मगर अपने मामाजी के रहते हुए, नौकरशाही के लिए यह केवल सपना था। किन्तु वक्त बदला। कल तक जिन नम्बर-1 की तूती पूरे प्रदेश में बोलती थी। वह अब ऐसी जगह पदस्थ किये गये। जहां पर उनको आम नागरिक के अधिकारों की रक्षा करनी है। सीधी भाषा में बोले। जो नम्बर-1 कल तक हुक्म देते थे... अब आम नागरिक की फरियाद सुनेंगे। ताज्जुब की बात यह है। सूची उस वक्त जारी हुई। जब अपने नम्बर-1 पडोसी संभागीय मुख्यालय आये हुए थे। एक निजी कार्यक्रम में। जहां पर प्रदेश की नौकरशाही मौजूद थी। नतीजा... नम्बर-1 मात्र 30 मिनिट रूके और चुपचाप निकल गये। तो हम भी उनकी चुप्पी का मान रखकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
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शुक्रिया-आभार-गुहार... एक्शन ले 'सरकार' ...!
उज्जैन। सोमवार की दोपहर बाद उस वक्त हंगामा मच गया। जब महाकाल मंदिर प्रबंध समिति द्वारा यह सफाई दी गई। इस सोशल मीडिया पेज का महाकाल मंदिर समिति से कोई लेना-देना नहीं है। तभी तो हम शुक्रिया-आभार-गुहार... एक्शन ले 'सरकार'... लिखने पर मजबूर हो गये।
शुक्रिया... ऊपर लगी तस्वीर को देखिए। जो कि सोशल मीडिया का एक पेज है। 1 मिलियन फालोअर्स है। इस पेज पर एक ऐसी वीडियों अपलोड की गई। जो कि आपत्तिजनक थी। चुप रहेंगे डॉटकॉम के जागरूक पाठक श्रीपाल राठी महिदपुर ने तत्काल यह जानकारी हमको दी। वीडियों भी भेजा। जिसके लिए हम उनका दिल से शुक्रिया करते है। जिन्होंने महाकाल की गरिमा का ख्याल रखते हुए तत्काल सूचना दी।
आभार ... फेसबुक मेसेंजर पर यह जानकारी मिलते ही, तत्काल मंदिर प्रशासक संदीप सोनी को वाट्सअप पर इस घटना से अवगत कराया। उनको फोन भी किया। संभवत: कही बिजी थे। तो निगमायुक्त आशीष पाठक को इसकी जानकारी दी। इस बीच मंदिर प्रशासक का फोन आ गया। जिन्होंने साफ लफ्जों में कहा कि ... वह इस पेज को ब्लॉक करवा रहे हैं। सायबर सेल के माध्यम से। एफआईआर भी दर्ज होगी। मंदिर प्रशासक ने वादा निभाया। जिसके लिए उनका आभार।
गुहार ... महाकाल मंदिर के नाम पर सोशल मीडिया पर अनेकों दुकानें चल रही है। जो कि इनके संचालकों को अपनी जेब गर्म करने का मौका दे रही है। जबकि मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट केवल एक ही है। मंदिर के नाम पर दुकानदारी करने वालो का बड़ा रैकेट है। जिसको तोडऩे की हिम्मत आजतक कोई नहीं कर पाया है। मगर अब यह मुख्यमंत्री का गृहनगर है। इसलिए हम गुहार कर रहे है।
एक्शन ... यह सर्वविदित है कि महाकाल बाबा के नाम पर कई फर्जी वेबसाइट संचालित हो रही है। जिस पर अब एक्शन लेने की जरूरत है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का गृहनगर है। इसलिए उनसे निवेदन है कि वह सायबर सेल को निर्देशित करे। जितनी भी ऐसी फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट संचालित हो रही है। उन पर तत्काल अंकुश लगाये। ताकि बाबा की नगरी का नाम देश में बदनाम ना हो।
प्रकरण दर्ज ... इधर उज्जैन एसपी सचिन शर्मा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट अपलोड की है। जिसमें उन्होंने आपत्तिजनक पोस्ट किये जाने की सूचना पर थाना महाकाल में प्रकरण दर्ज होने का उल्लेख किया है। अपराध क्र. 58/24 धारा 188 आईपीसी और 67 आईटीएक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर विवेचना में लिया है।