01 जनवरी 2024 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

01 जनवरी 2024 (हम चुप रहेंगे)

माफी बनाम शुभकामनाएं ...

नये साल के पहले दिन आप सभी पाठकगणों के समक्ष अपुन हाजिर है। पिछले 17 सालों से आप सभी पाठकों का स्नेह लगातार मिलता रहा है। तभी तो हम चुप रहेंगे ... का इंतजार प्रति सोमवार पाठकों को रहता है। जिसके लिए हम आपके आजीवन कर्जदार रहेंगे। 2023 में हमारे शब्दों से इस कॉलम के कई पात्र असहनीय पीड़ा से गुजरे होंगे। उन सभी से अपुन दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगते है और 2024 में नया बहीखाता खोलने की शुभकामनाएं देते हुए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

घर को आये ...

एक कहावत हमारे पाठकों ने पढ़ी या सुनी होगी। लौट के बुद्धू घर को आये। संकुल के गलियारों में इन दिनों यह कहावत खुलकर बोली जा रही है। खासकर उन कर्मचारियों को देखकर। जो अभी-अभी संकुल के तीसरे माले पर विराजमान हुए है। इनके कारण संकुल की बैठक व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई है। हर कोई परेशान है। इसके लिए दोषी केवल एक कर्मचारी को माना जा रहा है। जिसने तत्कालीन 7 जिलों के मुखिया के कान में मंत्र फूका था। मेला कार्यालय पर कब्जा करने का। 6 फुटधारी इस कर्मचारी के कारण ही, आज सभी अधिकारी-कर्मचारी परेशान हो रहे है। तभी तो इस 6 फुटधारी को देखकर हर कोई ऊपर लिखी कहावत याद कर रहा है। बात सच है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

टॉपर ...

चक्रम के गलियारों में चर्चा है। इस बार कानून की पढ़ाई में टॉपर कौन बनेगा? कारण ... 2 विशिष्ट अधिकारी इस साल कानून की परीक्षा दे रहे है। जिसमें एक अपने कप्तान जी तो दूसरे अपने कूल जी है। चक्रम की कानून अध्ययनशाला में इन दोनों विद्यार्थियों को लेकर चर्चा है। सवाल पूछा जा रहा है। आखिर कौन होगा टॉपर? फैसला रिजल्ट आने पर होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दलाल ...

सरकारी कार्यालयों में आमआदमी तो दलाल के रूप में अकसर नजर आते है। लेकिन जिनको आमजनता चुने। वह भी दलाल की भूमिका में काम करने लगे। ऐसे ही एक नगरसेवक है। जिन्होंने दलाल का रूप धारण कर लिया है। तभी तो उन्होंने 10 पेटी के काम हेतु पत्र लिखकर सिफारिश की थी। निविदा निकली। 3 ठेकेदारों ने भाग लिया। जिसमें दलाल नगरसेवक का ठेकेदार फिसड्डी रह गया। नतीजा ... दलाल नगरसेवक ने फिर पत्र लिख दिया। निविदा निरस्त की जाये। यह वही नगरसेवक है। जिसने बिजली कर्मचारी के साथ मारपीट की थी। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

लाटसाहब ...

आजादी के पहले लाटसाहब होते थे। जिनकी सेवा के लिए गरीब तबका पैदल चलकर जाता था। भले ही कितनी दूरी पैदल चलना पड़े। मगर वर्तमान में भी लाटसाहब होते है। जैसे अपने बदबू वाले शहर के लाटसाहब। जिनके लिए एक चौकीदार प्रतिदिन 19 किलोमीटर बस या दोपहियां वाहन से जाता है। चौकीदार, वैसे तो फाइल लेकर जाता है। किन्तु उसका मुख्य काम दूसरा हैबदबू वाले शहर के लाटसाहब के लिए भोजन बनाना। रोजाना यह काम चौकीदार करता है। जिसकी एवज में अपने लाटसाहब, थोड़ा बहुत भुगतान करते है। ऐसी चर्चा बदबू वाले शहर के राजस्व कर्मचारी कर रहे है। मगर हम तो लाटसाहब को सेल्यूट करके, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

ईमानदार- बेईमान ...

अकसर यह सुना जाता है। बेईमानी के काम में ईमानदारी होती है। मगर जब मामला अपने चुगलखोर जी का हो। तो यह सच्चा नियम गलत साबित होता है। भरोसा नहीं हो तो बदबू वाले शहर के कर्मचारियों से पूछ लो। अंदरखाने की खबर है। ग्रामदेवता का हल्का बदलने के लिए लाटसाहब ने रेट फिक्स कर रखा है। जो कि 50 हजारी है। किन्तु अपने चुगलखोर जी ने यहां पर खेल कर दिया। उन्होंने एक ग्रामदेवता से 2 पेटी रखवा ली। हल्का बदलवाने के नाम पर। 50 हजारी लाटसाहब को दे दिये। बाकी डेढ़ पेटी अपनी जेब में रख लिए। तभी तो ईमानदारी बनाम बेईमानी की चर्चा बदबू वाले शहर में सुनाई दे रही है। धुआं दिखा है तो आग भी लगी होगी। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

सीमांकन ...

एक किसान है। ग्राम पिपल्या बीछा का। जो कि पिछले 1 साल से गुहार लगा रहा है। अपनी जमीन के सीमांकन हेतु। वजह उसका कहना है। एक पंजाप्रेमी नेताजी ने उसकी जमीन पर कब्जा करके अवैध उत्तखन्न शुरू कर दिया है। किसान की सोयाबीन फसल भी नष्ट कर दी गई। अभी पिछली जनसुनवाई में किसान ने फिर गुहार लगाई थी। अपने उत्तम जी के समक्ष। इसके पहले भी आवेदन दिया था। उत्तम जी ने जांच भी करवाई थी।  खनिज विभाग ने सीमांकन की सिफारिश की थी। सीमांकन के समय कोई बड़ा अधिकारी नहीं था। नतीजा ... प्रभावशाली पंजाप्रेमी हवाई फायर नेता ने अपने हिसाब से सीमांकन करवा लिया। जिसके चलते किसान दंपत्ति परेशान है। अब विकास पुरूष प्रदेश के मुखिया है। जिनसे किसान को न्याय की उम्मीद है। देखना यह है कि अब सीमांकन कब होता है। तब तक अपनी  आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

वक्त ...

ज्यादा समय नहीं हुआ। मिशन-2023 के परिणाम आने से पहले की बात है। अपने प्रथमसेवक का जलवा था। हर बैठक में उनको सम्मान मिलता थाप्रथमसेवक भी ठसक के साथ जाते थे। फटे में टांग अडाते थे। किन्तु अब वक्त बदल गया है। तभी तो मंदिर दर्शन व्यवस्था की बैठक में वह नदारद रहे। जबकि अपने उत्तम जी, शिवाजी भवन के मुखिया, इंदौरीलाल जी सहित समिति के सभी सदस्य मौजूद थे। यहां पर यह लिखना जरूरी है। अपने प्रथमसेवक मंदिर के पदेन सदस्य है। नववर्ष पर दर्शन व्यवस्था को लेकर बैठक थी। जिसमें उनकी गैरमौजूदगी पर सवाल उठ रहे है। दबी जुबान से बोला जा रहा है। उनको आमंत्रण नहीं दिया गया। अब सच और झूठ का फैसला हमारे समझदार पाठकगण खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

चकमा ...

अपने उत्तम जी को भी चकमा दिया जा सकता है? सवाल अटपटा है। मगर बदबूवाले शहर में इसकी चर्चा है। चकमा देने वाले अपने चुगलखोर जी है। जिन्होंने अपने वसूली पटेल (कोटवार) के लिए यह कदम उठाया है। उत्तम जी तक आदेश भेज दिया। कोटवार को निलंबित कर दिया है। जबकि चुगलखोर जी के कार्यालय की स्थापना शाखा में निलंबन संबंधित कागजात किसी ने भी नहीं देखे है। तभी तो सब बोल रहे है। अपने उत्तम जी को चकमा दे दिया। मामला ... कोटवार द्वारा महिला राजस्व अधिकारी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का है। जो कि वाट्सअप ग्रुप पर कोटवार ने की थी। अब इस चर्चा के सच और झूठ का पता तो अपने उत्तम जी ही लगा सकते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

इंतजार ...

अपने कूल जी इंतजार में है। तबादले के इंतजार में नहीं। इसमें तो उनकी पीएचडी है। मिश्री से भी मीठी उनकी बोली है। जब जरूरत महसूस करेंगे, तबादला करवा लेंगे। फिलहाल उनको इंतजार अपने कक्ष बदलने का है। अभी उनका कार्यालय होस्टल के रूम जैसे कक्ष में लग रहा है। इसलिए वहां बैठ भी नहीं रहे है। उनकी निगाहे प्रथम तल के उस कक्ष पर है। जहां पर उनसे सीनियर गोरे-चिट्टे अधिकारी विराजमान है। उनको हटाने का सीधे-सीधे कह नहीं सकते  है। इसलिए उत्तम जी के नाम सहारा लेकर कोशिश कर रहे है। देखना यह है कि नये साल में कूल जी को गोरे-चिट्टे अधिकारी का कक्ष मिलता है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

बदले-बदले ...

कमलप्रेमी बोल रहे है। खासकर दक्षिण वाले। जिन्होंने मिशन-2023 में उत्तर में जाकर काम किया था। विकास पुरूष से पंगा लिया था। अब जीतने के बाद उत्तर के हाइनेस ने पलटा मार लिया है। खासकर विकास पुरूष की उपलब्धि के बाद। तभी तो अब उत्तर के हाइनेस फोन नहीं उठाते है। खासकर, उन कमलप्रेमियों के। जो कि दक्षिण के निवासी है। कल तक हाइनेस, दक्षिण वालो को पलटकर फोन करते थे। अब पलटकर करना तो दूर, फोन भी नहीं उठाते है। तभी तो दक्षिण के कमलप्रेमी यह अशआर गुनगुना रहे है। बदले-बदले सरकार नजर आते है/ अपनी बरबादी के आसार नजर आते है... ! दक्षिण के कमलप्रेमियों के इस दर्द पर हम क्या कहें। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नोटिस...

कॉलोनी सेल का नया धंधा है। तुम मुझे नोटिस करो। वरना हम तुम्हें नोटिस देंगे। फिर नोटिस के बाद। जब तुम हमको नोटिस कर लोगे। तो हम वह नोटिस वापस ले लेंगे। मतलब हमारे पाठक समझ गये होंगे। सारा खेल जेब गर्म करने की कवायद से जुड़ा है। अब देखना यह है कि नोटिस-नोटिस के इस खेल पर शिवाजी भवन के नये मुखिया अपने स्मार्ट पंडित कैसे रोक लगाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

हिम्मत ...

किसी सरकारी रेस्टहाऊस की बिजली काटने की हिम्मत हर अधिकारी नहीं कर सकता है। मगर पिछले बुधवार यही हुआ। जब दोपहर में रेस्टहाऊस की बिजली काट दी गई। जो कि शाम तक नहीं जुड़ी। 6 घंटे में हाहाकार मच गया। कारण बिल जमा नहीं करना था। आखिरकार हाथ-पैर जोड़कर कनेक्शन करवाया गया। इधर वर्षो तक लोनिवि के मुखिया रहे अब नया दाव खेलने वाले है। इनको विभाग वाले गणपति जी के नाम से बुलाते है। यह वही अधिकारी है। जिनको बैठक में अपने विकास पुरूष ने फटकार लगाई थी। यही गणपति जी, अब मुख्य अभियंता बनने की जुगाड में है। ऐसी चर्चा विभाग के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

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 सुबह 9 बजे ऑफिस- 10 बजे वीसी- शाम 6 बजे वापसी

 ऐसी है नवागत कलेक्टर की कार्यशैली

उज्जैन। 2012 बेच के आईएएस नीरजसिंह अब उज्जैन कलेक्टर बनाये गये है। अभी तक नर्मदापुरम में पदस्थ थे। पिछले ढाई सालों से। इन ढाई सालों में उनकी कार्यशैली हर दिन एक जैसी रही है। सुबह 9 बजे ऑफिस- 10 बजे वीसी- शाम 6 बजे वापसी

नर्मदापुरम से उज्जैन आ रहे कलेक्टर नीरजसिंह टाइम के पाबंद है। नर्मदापुरम में उनका रूटीन था। सुबह 8 बजकर 55 मिनिट पर सर्किट हाऊस पहुंच जाना। फिर नर्मदा मय्या के दर्शन करना। 9 बजे ठीक ऑफिस पहुंच जाना। 1 घंटे अर्थात 10 बजे तक सभी फाइल और दिनभर की प्लानिंग करना। इसके बाद 10 से 15 मिनिट तक सभी एसडीएम से वीसी पर चर्चा करना। ठीक साढ़े 10 पर उनका कार्यालय खुल जाता था।

खुद सुनते है ...

प्रत्येक मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में खुद मौजूद रहते है। प्रत्येक की समस्या सुनते हैं। आने वाले आवेदनों में से चुनिंदा आवेदनों का (लगभग 30 प्रतिशत) का उसी दिन 3 बजे तक निराकरण करने का लक्ष्य रखते है। फरियादी को 3 बजे तक रोका जाता है। फिर खुद बताते है कि निराकरण हुआ या किस कारण से नहीं हो रहा है। वर्तमान कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम और नीरजसिंह में 2 समानता है। पहली बहुत कम बोलते है। काम पर ज्यादा फोकस रहता है। दूसरी समानता, काम नियमानुसार ही करते है। नवागत कलेक्टर उतने ही मीडिया फ्रेंडली है, जितने वर्तमान कलेक्टर थे। जनप्रतिनिधियों की जनहित से जुड़ी समस्या को नोट करते है और जल्दी से जल्दी निराकरण करते है। नीरजसिंह हर बात को अपने टेबलेट में जरूर दर्ज करते है।

 आज कार्यमुक्त होंगे ...

वर्तमान कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम नये साल के पहले दिन ही कार्यमुक्त हो जायेंगे। वह सुबह साढ़े 10 बजे,  जिला पंचायत सीईओ मृणाल मीना को चार्ज सौंप देंगे।