27 नवम्बर 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

27 नवम्बर 2023 (हम चुप रहेंगे)

दिमाग ...

राजस्व अधिकारियों की यह आदत होती है। वह हर काम में अपना दिमाग जरूर लगाते है। फिर भले ही उस काम के लिए दिशा निर्देश साफ-साफ मिले हो। अपने उत्तम जी मातहतों की इस आदत से वाकिफ है। तभी तो बुधवार को हुई बैठक में यह बोलने पर मजबूर हो गये। अपना दिमाग नहीं लगाये। जो आयोग की बुक और निर्देश है। उसको ध्यान से पढ़े। उसके अनुसार ही काम करे। बैठक मतगणना को लेकर थी। अब देखना यह है। मतगणना वाले दिन कौन-कौन अपना दिमाग लगाकर, फटे में टांग अडाता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

सवाल ...

इन दिनों बस हर जगह यही सवाल पूछा जा रहा है। कौन आ रहा हैपंजा या कमल? बाबा की नगरी में विकास पुरूष को लेकर यह सवाल ज्यादा पूछा जा रहा है। उनका भविष्य क्या होगा? इन सवालों को सुन-सुनकर हम बौंरा गये है। कारण ... अपुन कोई ज्योतिष तो है नहीं। इधर अपने विकास पुरूष पहले ही दावा कर चुके है। 25 हजारी का। लेकिन उनके विरोधी कमलप्रेमियों का जोड़-घटाओं-गुणा-भाग अलग है। तभी तो सुगबुगाहट है। कमलप्रेमी दबी जुबान से कह रहे है। 3500 से विकास पुरूष की हार होने वाली है। कमलप्रेमियों का यह गणित कितना सही साबित होता है। फैसला 3 दिसम्बर को होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दु:खी ...

अपने कई कमलप्रेमी दु:खी है। इस दु:ख का कारण भोजन है। जो कि अपने विकास पुरूष ने दिया था। इसमें कई कमलप्रेमी आमंत्रित नहीं थे। बेचारे... बैठक-भोजन-विश्राम वाले कमलप्रेमी नहीं बुलाने से दु:खी हो गये। क्योंकि सभी को यह लगा था। यह भोजन चुनावी आभार का था। लेकिन सच इसके उलट है। भोजन बरसी को लेकर था। इसीलिए कईयों को नहीं बुलाया गया। मगर अब जल्दी ही एक भोजन और होने वाला है। मतगणना से पहले भोजन उत्सव होगा। संभवत: 1 या 2 दिसम्बर को हो सकता है। जिसमें सभी को बुलाया जायेंगा। इसलिए अपने कमलप्रेमी दु:ख ना मनाये। इंतजार करे। बाकी हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।

पीडा ...

पीडा कई प्रकार की होती है। शरीर की पीडा अलग दर्द देती है। लेकिन पॉवर जाने की पीडा सबसे ज्यादा दर्दनाक होती है। यह पीडा आप और हम नहीं समझ सकते हैं। क्योंकि हम आमजनता है। किन्तु जो सत्ता के पॉवर में रहते है। उनकी पीडा पॉवर जाते ही असहनीय दर्द में बदल जाती है। जो कि सार्वजनिक मंच से शब्दों के माध्यम से उजागर होती है। ऐसी बाते इन दिनों अपने कमलप्रेमी कर रहे है। इशारा अपने पहलवान की तरफ है। जिन्होंने दिवाली मिलन समारोह में अपनी पीडा उजागर कर दी। क्योंकि वीडी मार्केट समारोह में उनको आमंत्रित नहीं किया गया था। पॉवरलूम वालो ने आमंत्रित किया। बस फिर क्या था। मंच से अपने पहलवान ने साफ-साफ लफ्जों में बोल दिया 25-30 साल वीडी वालो का साथ दिया। वक्त बदला तो भूल गये। अपने पहलवान की इस असहनीय पीडा को हम समझ सकते है। लेकिन कर कुछ नहीं सकते। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

आडियों ...

दाल-बिस्किट वाली तहसील में चर्चा है। अपने पंजाप्रेमियों के बीच। 3 आडियों के वायरल होने के बाद। आडियों में पंजाप्रेमी नेत्री, बागी प्रत्याशी से दावा कर रही है। उनको टिकिट दिलवाने का। बागी प्रत्याशी से सवाल कर रही है। केपिटल को लेकर। फटकार लगा रही है। यह भी बोल रही है। टिकिट मिलने के बाद पंजाप्रेमी पहलवान को तुमने 4 फोन लगाये। बागी प्रत्याशी 2 फोन करने की बात स्वीकार कर रहे है। इन आडियों को सुनने के बाद पंजाप्रेमी यह सवाल कर रहे है। आखिर... 2 के बीच हुई बातचीत का आडियों वायरल करने वाला कौन है। नेत्री या बागी? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

वीडियों ....

एक बार फिर बात दाल-बिस्किट वाली तहसील की है। जहां के एक कमलप्रेमी इन दिनों वीडियों वायरल होने के डर से डरे हुए है। क्यों डरे हुए हैं। तो कारण पिछले दिनों उनका एक आडियों वायरल हो गया था। जिसमें वह बागी प्रत्याशी को समर्थन देने का आग्रह कर रहे थे। जिसके बाद शुक्रवार की रात एक पार्टी हुई। इसमें अपने बाऊजी भी शामिल थे। पार्टी देर रात वाली थी। जिसमें जाम भी छलके। यहां पर अपने बाऊजी बोलते नजर आये। मुझे अलग कमरे में बैठाओं। बागी प्रत्याशी के साथ नहीं। क्योंकि आडियों को लेकर तो मैने बोल दिया। मेरी आवाज नहीं है। लेकिन वीडियों बन गया। तो कहीं का नहीं रहूंगा। इसके बाद भी वीडियों बन गया। बनाने वाले एक कालेकोट वाले बनाजी है। ऐसी चर्चा पार्टी में शामिल हुए लोगों के बीच सुनाई दे रही है। सच और झूठ का फैसला हमारे पाठक खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।   

गर्म केतली ... 

केतली, हमेशा चाय से ज्यादा गर्म होती है। यह एक कटु सत्य है। तभी तो अपने प्रथमसेवक को इस गर्म केतली का गलत व्यवहार सहना पड़ा। गर्म केतली को कमलप्रेमी दोहरे संवाद वाले नेताजी के नाम से जानते है। घटना शुक्रवार रात की है। जब अपने मामाजी बाबा के दरबार में आये थे। नंदीहॉल की घटना है। जहां पर प्रथमसेवक को दोहरे संवाद वाले नेताजी ने धकेल दिया। बेचारे प्रथमसेवक पीछे हट गये। मगर जब पूजा के लिए बैठे। तो प्रथमसेवक का जमीर जाग गया। वह जबरन घुसे और दोहरे संवाद वाले नेताजी की लगभग गोद में जाकर बैठ गये। नतीजा... गर्म केतली को पीछे खिसकना पड़ा। ऐसा यह नजारा देखने वाले कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

भगवान-धाम ...

अपने धंधे को बढ़ाने के लिए धर्म से बेहतर कोई रास्ता नहीं हो सकता है। ऐसी चर्चा शहर की बिल्डर लॉबी में सुनाई दे रही है। इशारा उस बिल्डर की तरफ है। जिसने अभी-अभी धर्म की आड लेकर कथा कराई है। सोशल मीडिया की मोटीवेशनल नेत्री की। कथा शुरू होते ही यह अफवाह जोरो पर थी। कथा के पीछे केवल और केवल अपने प्लाट बिकवाना मकसद है। इसीलिए तो अंतिम दिन अपनी कॉलोनी को भगवान-धाम का दर्जा दिलवा दिया। मोटीवेशनल नेत्री के मुखारविंद से। ताकि इस भगवान-धाम में आकर ज्यादा से ज्यादा भक्त रहने के लिए प्लाट खरीदे। देखना यह है कि इतना खर्च करने के बाद, भगवान-धाम में बिक्री बढती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

हलचल ...

अपने वजनदार जी के खेमे में हलचल मची हुई है। हलचल की वजह एक लायसेंस है। जिसको लेकर पिछले 3 सालों से मगजमारी चल रही है। किन्तु कोई भी इसमें हाथ नहीं डाल रहा है। रूकावटें लगातार बढती जा रही है। उस पर सत्ता की कुर्सी प्रदेश में खिसकती नजर आ रही है। अगर 3 दिसम्बर को परिणाम आशाजनक नहीं आये? कमल की जगह पंजा राज आ गया? तो लायसेंस का मामला अगले 5 साल के लिए अटक सकता है। ऐसा हम नहीं, बल्कि वजनदार जी के खेमे वाल कह रहे है। अब देखना यह है कि 3 दिसम्बर के पहले लायसेंस मिलता है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

अपशकुन ...

यह आमधारणा है। बिल्ली अगर रास्ता काट जाये तो अपशकुन होता है। इस  धारणा के कारण बहुत से लोग बिल्ली के रास्ता काटने पर कुछ देर ठहर जाते है। इंतजार करते हैकोई आये जो उनसे पहले रास्ता पार करे। इससे अपशकुन समाप्त हो जाता है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। घटना शुक्रवार रात की बताई जा रही है। जिस वक्त अपने मामाजी, बाबा के दर्शन हेतु जा रहे थे। इधर लाइन लगाकर कमलप्रेमी अपने-अपने हाथों में कमल लेकर इंतजार कर रहे थे। यह कमल भी, कमलप्रेमियों ने, वहीं मंदिर से उठा लिये थे। ताकि मामाजी देखकर खुश हो जाये। मामाजी का इंतजार हो रहा थातभी अचानक कहीं से बिल्ली आ गई और जिस रास्ते से मामाजी आने वाले थे। रास्ता काटकर चली गई। बिल्ली को रास्ता काटते मीडिया ने भी देखा। शोर भी हुआ। मगर फिर अचानक सब चुप हो गये। थोडी देर में मामाजी आ गये। अब कमलप्रेमी व मीडिया बिल्ली के रास्ता काटने की चर्चा कर रहे है। कोई अपशकुन बता रहा है तो कोई इसे शुभ बता रहा है। फैसला हम पाठकों पर छोड़ते है, और अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेहरबान ...

शिवाजी भवन के एक झोनल अफसर की मेहरबानी से होटल संचालक खुश है। यह वही होटल संचालक है। जिसके अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलना है। नदी के किनारे बने इस होटल की शिकायत एनजीटी को हुई थी। अपने उत्तम जी ने इसे टाइम लिमिट में लिया था। किन्तु टाइम लिमिट निकल चुका है। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जिसके चलते सवाल खड़ा हो रहा है। जब आचार संहिता में बुलडोजर नहीं चल पाया। तो 3 दिसम्बर के बाद, मामला ठंडे बस्ते में जाना पक्का है। इस मेहरबानी के बदले बुद्ध के अनुयायी झोनल अफसर ने अपनी जेब गर्म की है। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि न्यायप्रिय उत्तम जी क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

उत्तम-काम ...

मतगणना की व्यवस्था चाक-चौबंद रहे। इसे देखने के लिए राजधानी से मुखिया आये थे। उनके आगमन की खबर से रातो-रात सारी व्यवस्था की गई। सुबह मुखिया ने देखा तो प्रसन्न हो गये। नतीजा निर्वाचन मुखिया... उत्तम-काम की शाबासी देकर वापस चले गये। तो हम भी बधाई देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेरी पसंद ...

जो सरकार बनाने वाला हो, उसके साथ रहना चाहिये।

हरिशंकर परसाई