12 सितम्बर 2022 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
नाम नहीं आया ...
लंबे समय से शिवाजी भवन वाले गुहार लगा रहे है। उनकी प्रार्थना बाबा महाकाल से है। मगर अभी तक लगाई गई सारी गुहार विफल ही हुई है। तभी तो अपने पपेट जी खुश है। खुश भी थोड़े बहुत नहीं है। इस कदर प्रसन्न है कि भरी बैठक में खुद ही बोल रहे है। अंदरखाने की खबर है। पिछले दिनों उपयंत्रियों की एक बैठक हुई थी। उस दिन अपने पपेट जी की खुशी असीमित थी। क्योंकि एक दिन पहले ही राजधानी से सूची जारी हुई थी। फेरबदल की इस सूची में पपेट जी का नाम नहीं था। तभी तो उन्होंने अपने मातहतों को अपना प्रभाव दिखाते हुए बताया। देख लो ... लिस्ट में मेरा नाम नहीं है। उनकी यह दंभ भरी बाते सुनकर बेचारे सभी मातहत चुप रह गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
आक्रोश ...
वहां हमारा भाई कमलप्रेमी संगठन की सेवा करते-करते हार गया... और यहां हमारे वरिष्ठों को फोटो- सेशन सूझ रहा है। इस फोटो की बजाये अगर अमर यादव को श्रद्धांजलि दी होती। तो भाई अमर के परिवार को भी सांत्वना मिलती। वरिष्ठों को यह सब शोभा नहीं देता। इससे प्रतीत होता है कि इनको हमारे युवा साथियों से कितनी हमदर्दी है... और इसमें भी लोग वाह-वाही कर रहे है। वाह... रे... नेतागिरी का यह उच्च स्तर ...! यह लाइने युवा कमलप्रेमी संगठन के सोशल मीडिया ग्रुप पर इन दिनों चर्चा का विषय है। फोटो सेशन कराने वाले अपने ढीला-मानुष और हवाई फायर करने वाले नेताजी है। हवाई फायर तब किया था, जब अपने असरदार जी संगठन के मुखिया थे। ताज्जुब की बात यह है कि हवाई फायर करने वाले को भाई अमर अपना नेता मानते थे। तभी तो आक्रोश है। युवा कमलप्रेमियों का आक्रोश जायज भी है। साथी की मौत हुई और उसी दिन फोटो सेशन? कहां तक उचित है? इसीलिए आक्रोश उभर रहा है। मगर हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
थैले में क्या ...
अपने विकास पुरूष की कोई ऐसी तस्वीर किसी ने कभी नहीं देखी। जिसमें वह थैले के अंदर कुछ लेकर आये और सामने वाले को देते हुए तस्वीर खिचवाये। आज तक ऐसी तस्वीर कभी सामने नहीं आई। मगर पिछले सप्ताह ऐसा हो गया। देश की राजधानी में विकास पुरूष गये थे। वहां उनकी मुलाकात, कभी मालवा स्टेट के शासक रहे, उनसे हुई। जो आजकल हवा-हवाई विभाग के मुखिया है। उनसे सौजन्य मुलाकात के दौरान एक थैला अपने विकास पुरूष ने गिफ्ट किया। पोस्ट अपलोड की। जिसके बाद से ही शहर के कमलप्रेमी सवाल उठा रहे है। आखिर थैले के अंदर क्या था? वैसे सामान्य ज्ञान की बात है। तो उत्तर आसान है। बाबा का प्रसाद और शहर का प्रसिद्ध नमकीन हो सकता है? लेकिन कमलप्रेमी इस सच को नहीं मान रहे है? अब जो नहीं मान रहे है, उनको समझाने का बीड़ा तो हमने उठाया नहीं है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
जांच पूरी ...
अपने चरणलाल जी ने एक शिकायत की थी। सभी सबूतों के साथ। जिसमें अपने पपेट जी पर प्रहार किया था। शिकायत रंगे हाथों पकडऩे वाले विभाग के मुख्यालय में हुई थी। जिसकी पेशी भी लगी थी। इस पहली पेशी पर अपने पपेट जी के साथ, अपने चुगलीराम जी और खजांची जी भी गये थे। यह वहीं मामला है। अंदरखाने की खबर है कि तालाबों की नगरी से एक जांच अधिकारी पिछले दिनों आये थे। गोपनीय यात्रा थी। उन्होंने शिकायत के बिंदुओं की जांच करी और चुपचाप रवाना हो गये। तो हम भी अपनी आदत को बरकरार रखते हुए, आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चेहरा ...
चाल -चरित्र- चेहरा। यह किस संगठन का स्लोगन है। तो हम बता दे कि अकसर कमलप्रेमी इसकी दुहाई देते है। मगर शनिवार को एक चेहरा उजागर हो गया। अपनी वर्दी ने एक साथ दबिश दी। उन स्थानों पर, जहां पर अनैतिक कृत्य चल रहे थे। जिसके लिए युवा आईपीएस और पूरी टीम को साधूवाद। इस दबिश में एक युवा कमलप्रेमी भी हत्थे लग गये। जो कि वहां मौजूद थे। वर्दी ने कोई भेदभाव नहीं किया और अपना फर्ज निभाया। इसलिए एक बार फिर वर्दी को अनगिनत साधूवाद। लेकिन जो युवा कमलप्रेमी पकड़ाये। उनका चेहरा उजागर हो गया। बेचारे ... दावेदारी कर रहे थे। युवा कमलप्रेमी संगठन का मुखिया बनने के लिए। खूब चर्चा भी थी। हटाये गये मुखिया की जगह इनको मिल सकती है। लेकिन दावेदारी कर रहे युवा कमलप्रेमी जोश-जोश में चाल-चरित्र-चेहरा वाला स्लोगन का अनुसरण करना भूल गये। नतीजा अब कमलप्रेमी उनके पर्दे के पीछे वाले चेहरे को लेकर मजाक बना रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
याद ...
अगर चाहते हो कि कोई तुम्हें हमेशा याद रखे, तो उसके दिल में प्यार पैदा करने का झंझट ना उठाओं। उसका कोई स्केंडल मुट्ठी में रखों। वह सपने में भी प्रेमिका के बाद, तुम्हारा चेहरा देखेगा। यह बात सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार स्व. हरिशंकर परसाई जी ने लिखी थी। जिससे मिलती-जुलती चर्चा इन दिनों सुनाई दे रही है। सुगबुगाहट है कि एक जिलाधिकारी, स्व. परसाई द्वारा लिखे सच का शिकार बने हुए है। हनी कांड और सिहंस्थ में हुए भुगतान के मामले में। जिसके चलते जिलाधिकारी परेशान है। लेकिन यह अधिकारी कौन है। इसका पता नहीं चल पा रहा है। हमारी कोशिश भी निष्फल रही है। इसलिए हम तो बाबा महाकाल से अधिकारी को इस जंजाल से मुक्ति मिलने की प्रार्थना करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बदनजर ...
कमलप्रेमियों के बीच इन दिनों शायर डॉ. नवाज देवबंदी को याद किया जा रह है। याद करने के पीछे कारण भी है। मगर इसके पहले बदनजर का मतलब समझ लीजिए। बुरी नियत वाला इंसान। कमलप्रेमी संगठन में एक ऐसे ही पदाधिकारी है। जो जगह-माहौल नहीं देखते है। बस शुरू हो जाते है। अपने द्विअर्थी संवाद के जरिये। उनको कई बार रोका जा चुका है। कई कमलप्रेमी महिलाएं भी दु:खी है। मगर पिछले दिनों उन्होंने संवाद के बदले अपने हाथों का उपयोग कर लिया। वह भी बाबा के दरबार में। सावन महीने की घटना है। तब अपने मामाश्री दर्शन करने आये थे। मौके का फायदा पदाधिकारी ने उठा लिया। हालांकि कमलप्रेमी युवती ने तत्काल फटकार लगा दी। उसके बाद मामला शांत हो गया। अब एक बार फिर यह मामला तूल पकड रहा है। युवती का जमीर उसे परेशान कर रहा है। इसलिए उसने शिकायत का निश्चय कर लिया है। यही वजह है कि अपनी बेटी की उम्र वाली युवती के साथ हरकत करने वाले पदाधिकारी को देखकर कमलप्रेमी यह शेर गुनगुना रहे है। यह बोलते हुए कि ... अगर उनकी बेटी होती तो वह याद रखते कि... बदनजर उठने ही वाली थी किसी की जानिब /अपनी बेटी का ख्याल आया तो दिल कांप गया...। अब देखना यह है कि शिकायत कब होती है और बदनजर पदाधिकारी पर कोई गाज गिरती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
उल्टा चोर ...
अपने चुगलीराम जी भी गजब करते है। जिसके खिलाफ जांच करनी थी। उस पर इस कदर मेहरबान हो गये कि ... उल्टे फरियादी के खिलाफ शिकायत करवा दी। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। मामला 1 महीने पुराना है। शिकायत अपने उम्मीद जी को हुई थी। जिसमें उन्होंने 5 दिन पहले जांच के निर्देश दिये। जैसे ही जांच के निर्देश मिले। आरोपी पक्ष ने, फरियादी को ही आरोपी बनाकर शिकायत कर दी। 10 हजारी डिमांड का आरोप भी फरियादी पर लगा दिया। जिसके बाद मंदिर के गलियारों में यह चर्चा जोरो पर है कि ... उल्टा चोर कोतवाल को डाटे। अब यह पूरा मामला क्या है। हमारे पाठकों को अगर इसकी जिज्ञासा है। तो 16 अगस्त की खबर पर हमारे पाठक नजर डाल ले। जिसे पढ़कर सबकुछ समझ में आ जायेंगा। बाकी तो हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चलते चलते...
महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले अपने सगे संबंधियों को देखकर,अर्जुन ने गांडिव रख दिया था।तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह संदेश दिया था।
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते ।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप ।।
हे अर्जुन! नपुंसकता को मत प्राप्त हो, तुझमें यह उचित नहीं जान पड़ती। हे परंतप! हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्यागकर युद्ध के लिए खड़ा हो जा। यह चर्चा इन दिनों कोठी के गलियारों में सुनाई दे रही है।मगर इशारा किस तरफ है।किसी को समझ नहीं आ रहा है।इसलिए सब चुप है,तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते है