अजीब कार्यशैली... NO--NO--YES--NO ...!

अजीब कार्यशैली... NO--NO--YES--NO ...!

उज्जैन। अत्यंत आपत्तिजनक है कि ... बिना किसी नये तथ्य के एक ही प्रकरण में पूर्व नस्तियों में अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) नहीं दिये जाने की अनुशंसा की गई। जबकि प्रचलित नस्ति में एनओसी जारी करने की अनुशंसा की गई है। 2 दफा - NO और 1 दफा YES के बाद जब अपर आयुक्त ने नोटिस थमा दिये। तो कार्यवाही के डर से एक बार फिर अनुशंसा – NO की कर दी गई। तभी तो निगम के गलियारों में ... NO--NO--YES--NO ... सुनाई दे रहा है।

फायर एनओसी देने के नाम पर चल रहे खेल को अपर आयुक्त आशीष पाठक ने पकडा है। मामला तत्कालीन आयुक्त अंशुल गुप्ता के कार्यकाल का है। जब बागड़ी फ्रेक्चर ट्रामा एण्ड सर्जिकल अस्पताल के संचालक ने आवेदन किया था। अस्पताल की फायर एनओसी के लिए। इसके पहले 2 दफा निगम फायर एनओसी देने से मना कर चुका था। तीसरी दफा फाइल स्वीकृति की अनुशंसा के साथ अपर आयुक्त आशीष पाठक को भेजी गई। यहीं से इस पूरे मामले की पोल खुल गई। ऐसा हमारे  नगर निगम के भरोसेमंद सूत्र का कहना है।

ऐसे खुली पोल ...

दरअसल अपर आयुक्त से लगातार फाइल क्लियर करने के लिए निवेदन किया जा रहा था। जिसके चलते श्री पाठक पहले बागड़ी अस्पताल पहुंचे। निरीक्षण किया।  इसी दौरान उनकी जानकारी में यह बात सामने आई। अस्पताल संचालक ने तीसरी दफा फायर एनओसी के लिए आवेदन किया है। जबकि अपर आयुक्त के पास गई फाइल में पिछली 2 नस्तियों (क्र.04/2021-22 और 23/816/2022) का कोई उल्लेख ही नहीं था। स्मार्ट अपर आयुक्त आशीष पाठक सारा खेल समझ गये। उन्होंने पहले पुरानी नस्तिया तलब की। जिसमें यह पाया गया कि... स्वीकृति से अधिक निर्माण व पोर्च का अतिरिक्त निर्माण किया गया है। नतीजा ... अपर आयुक्त ने 4 अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया।

इनको नोटिस ...

फायर एनओसी देने के नाम पर पुरानी फाइल छुपाना और नई फाइल पर अनुशंसा करने के पीछे क्या कारण होगा? इस बात को अपर आयुक्त ने पकड लिया। तभी तो उन्होंने कार्यपालन यंत्री लीलाधर दोराया (जिन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन दिया था) उपयंत्री प्रभारी फायर अधिकारी विजय गोयल, भवन निरीक्षक साधना चौधरी व उपायुक्त फायर कीर्ति चौहान को नोटिस जारी कर दिया। अंदरखाने की खबर है कि नोटिस का जवाब तो नहीं आया, लेकिन एक बार फिर फाइल भेजी गई और इस बार YES अनुशंसा को  NO ... में तब्दील कर दिया गया। यहां यह लिखना भी जरूरी है कि अपर आयुक्त से भी एक चूक हो गई। उन्होंने भवन अधिकारी अभिलाषा चौरसिया को नोटिस नहीं दिया। जबकि नियमानुसार नोटिस उनको भी मिलना था। ऐसा इस मामले में शामिल हमारे एक सूत्र का कहना है।

इसलिए NO ....

निगम के गलियारों में यह चर्चा है कि नोटिस के बाद की कार्यवाही से बचने के लिए रास्ता निकाला गया। एनओसी देने वाली समिति के सामने आवेदन रखा गया। इस समिति में उपायुक्त फायर कीर्ति चौहान भी शामिल थी। इसलिए इस बार जब फाइल अपर आयुक्त को भेजी गई तो उसमें NO लिखा था।

चुभता सवाल ...

नगर निगम में फाइल कैसे आगे बढती है? कितना वजन रखने से आगे बढती है? यह कोई राज की बात नहीं है। जब तक जेब गर्म ना हो, काम नहीं होता है। NO--NO--YES--NO ... इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। अब देखना यह है कि अपने कार्यकाल के 31 दिन पूरे कर चुके आयुक्त रोशन सिंह इस मामले को लेकर क्या कार्यवाही करते है।

कांग्रेस जीती - बीजेपी हारी ...

जनपद अध्यक्ष के चुनाव का मामला हमारे पाठकों को याद होगा। अध्यक्ष चुनाव को लेकर जमकर विवाद हुआ था। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव धरने पर बैठ गये थे। इतना ही नहीं भाजपा समर्थित सदस्यों ने मतदान भी नहीं किया था। यह मामला मीडिया में खूब तूल पकडा था। कांग्रेस प्रत्याशी विद्याकुंवर को मतदान के बाद विजय घोषित किया था। कलेक्टर आशीषसिंह की तराना विधायक महेश परमार से खुलकर भिड़ंत हुई थी। इधर भाजपा ने आरोप लगाया था कि ... उनके प्रतिनिधियों को अंदर नहीं आने दिया गया। यह मामला आखिरकार हाईकोर्ट पहुंचा। क्योंकि उच्च शिक्षा मंत्री ने घोषणा के बाद ही बोल दिया था। न्यायालय में जायेंगे। जहां से इस मामले का आज फैसला हो गया है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि ... माननीय न्यायालय ने निर्वाचन की प्रक्रिया को वैध माना है। जिसके चलते विद्याकुंवर ही उज्जैन जनपद की अध्यक्ष रहेंगी।