30 अक्टूबर 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

झूठे कमलप्रेमी ...
अपने कमलप्रेमी भी गजब करते है। सफेद झूठ बोलते है। सफाई से बोलते है। और अपने विकास पुरूष के खिलाफ बोलते है। जैसे यह झूठ। विकास पुरूष की जेब हमेशा सिली हुई है। वह कभी भी हाथ नहीं डालते है। कमलप्रेमियों का यह झूठ खुद हमने पकड़ा। आंखो देखी घटना है। कमलप्रेमी मुख्यालय पर। विकास पुरूष वाहन में बैठने वाले थे। उनके साथ मेट्रो गली वाले नेताजी भी थे। दशहरे का दिन था। 2 ढोल वाले उनके सामने आ गये। विकास पुरूष ने 1 पल की भी देरी नहीं की। हाथ डाला- पर्स निकाला- और 1 जामुनी रंग वाला कागज हाथ में रख दिया। फिर गाडी में बैठे और निकल गये। यह देखकर हमे कमलप्रेमियों का झूठ पकड आ गया। तो उम्मीद करते है कि अब अपने कमलप्रेमी झूठ नहीं बोलेंगे। बाकी हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
शपथ- पत्र ...
एक कमलप्रेमी प्रत्याशी का नामांकन दाखिल करने उनके प्रतिनिधि पहुंचे थे। कुछ दिन पहले। रसीद भी कटवा ली। नामांकन भी तैयार करके लाये थे। अकेले और चुपचाप आये थे। लेकिन नामांकन के साथ शपथ- पत्र सन् 2018 वाला था। चेकिंग के दौरान उनको यह गलती बताई गई। जिसके बाद अधिवक्ता प्रतिनिधि वापस लौट गये। फिर पलटकर नहीं आये। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चारा-घोटाला ...
कभी देश के बिहार राज्य में चारा-घोटाला हुआ था। उसी तर्ज पर अपने शहर में भी घोटाला हुआ है। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। तभी तो 85 पेटी का यह खेल साढ़े 3 खोखे का बन गया। इस खेल के नायक अपने खजांची जी बताये जा रहे है। जिन्होंने नियमों की धज्जियां उडा डाली। अपने विभाग की सहायिका के पति को टेंडर दिलवा दिया। जिसके लिए पुराने ठेकेदार को नियम की आड में हटाया गया। इस मामले में एक पंजाप्रेमी नगरसेवक ने शिकायत भी की थी। जिसके बाद उनकी जेब गर्म कर दी गई। नतीजा वह चुप हो गये। उनका यह पसंदीदा खेल है। शिकायत करो- जेब गर्म करो- चुप हो जाओं। इधर इस मामले को लेकर अब शिवाजी भवन के मुखिया एक्शन के मूड में है। अगर उन्होंने फायनेंशियल- फार्रेंसिक आडिट करवा लिया। तो प्रकरण दर्ज होना पक्का है। देखना यह है कि अब आगे चारा घोटाला में क्या होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
हड़कंप ...
शिवाजी भवन में इन दिनों हड़कंप मचा हुआ है। राजधानी के रंगे हाथों पकडऩे वाले विभाग के कारण। जिन्होंने एक शिकायत पर प्रतिवेदन मांगा है। मामला टंकी निर्माण के भुगतान से जुड़ा है। जिसका भुगतान नियम के विपरीत जाकर किया गया है। इसकी चपेट में अपने पपेट जी, चुगलीराम जी व खजांची जी आ रहे है। अपने पपेट जी के कार्यकाल में भुगतान किया गया था। जिस सरकारी मद से भुगतान होना था। उसके बदले दूसरी योजना के लिए गये लोन से भुगतान कर दिया गया। जबकि अपने पिपली राजकुमार ने प्रस्ताव पारित करवाया था। मु.मंत्री अघोसंरचना मद के अलावा, किसी अन्य मद से भुगतान नहीं किया जाये। इसके बाद भी अपने पपेट जी ने अन्य मद से भुगतान कर दिया। अब रंगे हाथों पकडऩे वाला विभाग प्रतिवेदन मांग रहा है। जिससे हड़कंप मचा हुआ है। देखना यह है कि अब आगे क्या होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
दूरी ....
मिशन-2023 को लेकर वरिष्ठ कमलप्रेमियों की दूरी सवाल खड़े कर रही है। ऐसी चर्चा अपने कमलप्रेमी कर रहे है। इशारा दक्षिण की तरफ है। इस क्षेत्र के वरिष्ठ कमलप्रेमी 2018 के अनुभव के कारण दूरी बनाकर चल रहे है। दबी जुबान से वरिष्ठ कमलप्रेमी बोल रहे है। कितनी भी ईमानदारी से हम काम करें। मिशन-2023 के बाद ... अपनी-अपनी कॉपी तो चेक करानी ही होगी हमें। उदाहरण दे रहे है। मिशन-2018 के बाद 150 कमलप्रेमियों की कॉपी वापस चेक हुई थी। इन सभी की पिछले 5 साल में राजनीतिक हत्या कर दी गई। इसीलिए मिशन 2023 से दूरी बनाकर चल रहे है। अन्य जगह जाकर काम कर रहे है। ताकि बाद में आरोप ना लगे। वरिष्ठ कमलप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चर्चा ...
कमलप्रेमी इन दिनों अपने पितृ-पुरूष को याद कर रहे है। उनके कोटेशन को सोशल मीडिया पर चोरी-चोरी वायरल कर रहे है। पितृ-पुरूष ने कभी अपनी डायरी में यह कोटेशन लिखा था। कोई बुरा प्रत्याशी केवल इसलिए आपका मत पाने का दावा नहीं कर सकता है कि वह किसी अच्छे दल की ओर से खड़ा है। दल के हाईकमान ने ऐसे व्यक्ति को टिकिट देते समय पक्षपात किया होगा। अत: ऐसी गलती को सुधारना मतदाता का कर्तव्य है। इन दिनों सोशल मीडिया पर पितृ-पुरूष की यह पोस्ट खुद कमलप्रेमी ही डाल रहे है। देखना यह है कि इसका कितना असर होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
किवदंती ...
कभी-कभार किवदंती भी काम आती है। अपने बचाव में। जैसे यह वाली किवदंती। महाकाल की नगरी में कोई भी राजनेता रात्रि विश्राम नहीं करता है। इसका सहारा लेकर सभा करने आये दिल्ली वाले मोटाभाई को रोका गया। वरना रात्रि विश्राम पक्का था। अफसरशाही ने राजधानी से आये सुरक्षा मुखिया को यह किवदंती बता दी। यह भी बता दिया कि आज तक रात्रि विश्राम अपने मामाजी ने भी नहीं किया है। चुनावी माहौल है। तो तत्काल सुरक्षा मुखिया ने दिल्ली तक यह जानकारी भेजी। जहां से अपने मोटाभाई तक बात पहुंची। बस फिर क्या था। 30 मिनिट के अंदर जवाब आ गया। रात्रि विश्राम कैसिंल। जिसका फायदा अपनी वर्दी को हुआ। अपने कप्तान जी रात्रि विश्राम की रात, रात्रि- जागरण करने से बच गये। ऐसी चर्चा वर्दी के उच्च पदस्थ सूत्रों के बीच सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
दिल के अरमां ...
बेचारे कमलप्रेमी खुश थे। इतने ज्यादा खुश कि ... लाइन लगाकर खड़े थे। आखिरकार दिल्ली वाले मोटाभाई से मुलाकात होनी थी। शहीद पार्क पर। सभी अनुशासित थे। आने के पहले ही लाइन में लग गये थे। काफिला आया। अपने मोटाभाई वाहन से उतरे। इतने लोगों को देखकर रूके। किसी ने उनको बताया। आपसे मुलाकात के लिए सभी कमलप्रेमी खड़े है। अपने मोटाभाई ने समय की नजाकत देखकर कुछ कहा, और फिर सीधे ग्रीन रूम चले गये। इधर 40 कमलप्रेमी, जो लाइन लगाकर खड़े थे। तत्काल तितर-बितर हो गये। सभास्थल की कुर्सियों पर जाकर बैठ गये। अब इंतजार करने वाले कमलप्रेमी निकाह फिल्म का गीत गुनगुना रहे है। दिल के अरमां ... आंसूओं में बह गये। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
सवाल ...
पंजाप्रेमी सवाल उठा रहे है। दाल-बिस्किट वाली तहसील के। सवाल बिलकुल सरल- साधारण है। पंजाप्रेमी पहलवान का विरोध करने वाली मैडम कहां गायब है। जो कल तक चीख-चीखकर विरोध प्रदर्शन करती थी। दावा करती थी। पहलवान को टिकिट मिला तो घर-घर जाकर अपनी आपबीती सुनाउंगी। पंजाप्रेमी पहलवान को किसी हाल में टिकिट नहीं लेने दूंगी। लेकिन टिकिट भी मिल गया और विरोध भी गायब हो गया है। क्या कोई सेटिंग हुई है। पंजाप्रेमी मैडम के गायब होने का मतलब तो यही निकाला जा रहा है। अब देखना यह है कि ... पंजाप्रेमी मैडम पूरे चुनाव में गायब रहती है या फिर सामने आती है? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ...
लफंगे गांधी का लिबास पहन घूम रहे है/ परोपकार का हिसाब ले घूम रहे/ सड़क पहुंचेगी गांव तक/ पानी पहुंचेगा नल तक/ राहत पहुंचेगी बैंक तक/ उनको पहुंचा दो कुर्सी तक/ अर्जी लेकर घूम रहे... / लिबास को लेकर छीना-छपटी है/ विचार को लेकर सब कपटी है... !