26 दिसम्बर 2022 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

26 दिसम्बर 2022 (हम चुप रहेंगे)

दु:खी ...

अपने कप्तान से इन दिनों पंजाप्रेमियों के अलावा, अपने कमलप्रेमी भी दु:खी है। यह बात खुद कमलप्रेमी, दबी जुबान से बोल रहे है। एक घटना का उदाहरण भी दे रहे है। जिसमें इशारा नगरसेवक को लगे चाकू की तरफ है। जब घटना हुई। कप्तान अवकाश पर थे। तब दबाव बनाकर 307 तो लगवा ली। उसके बाद कमलप्रेमी जिद पकड़ गये। आरोपियों का मकान तुडवाने की। जिसके लिए कप्तान से मिलने गये। निवेदन किया। जेसीबी चलवा दो। इज्जत का सवाल है। कप्तान ने इंकार कर दिया। उल्टे पलटकर कह दिया। मकान तो फरियादी का ही टूटना चाहिये। जिस पर कई प्रकरण दर्ज है। आरोपियों पर तो केवल 188 का ही प्रकरण है। इसके पहले अपने कप्तान को आशंका थी। कमलप्रेमी, अपने मामाजी के सामने यह दुखडा रोंयेगें। इसलिए उन्होंने पिता-पुत्र की कुंडली निकलवाकर रख ली थीअगर मामला उठता, तो मामाश्री के सामने फाइल रख देते। मगर ऐसा नहीं हुआ। मकान भी नहीं टूटा और कमलप्रेमी भी चुप रहे। तो हम कप्तान की न्यायवाली साफगोई को सेल्यूट करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नोटिस ...

ऊपर हमारे पाठकों ने पढ़ा। कैसे कप्तान ने अपने कमलप्रेमियों को दु:खी किया। इसका अर्थ यह नहीं कि वह वर्दी की गलती को नजरअंदाज कर रहे है। उनके अवकाश के दौरान एक और घटना घटी थी। घर में घुसकर, लडकी की नाक तोड दी थी। कप्तान वापस आये। उन्होंने सबसे पहले घटना की जानकारी ली। फिर धाराएं देखी। 458 (घर में घुसने) की धारा नदारद पाई। तो थानेदार को सबसे पहले नोटिस थमाया। इसके बाद आरोपी के मकान पर जेसीबी चलाने की अनुशंसा कर दी। जिसकी मिर्ची कमलप्रेमियों को लगनी ही थी। गुहार लगाने पहुंच गये। जेसीबी नहीं चलाये। कप्तान ने फिर वही सख्त रूख दिखाया। साफ-साफ लफ्जों में कह दिया। मकान तो टूटेगा... और जेसीबी चलवा दी। अब कमलप्रेमी ... कप्तान की पदोन्नति के साथ, विदाई की दुआ मांग रहे है। किन्तु कमलप्रेमियों की यह दुआ अपने बाबा महाकाल ने रिजेक्ट कर दी है। अंदरखाने की खबर है कि ... अपने कप्तान जी फिलहाल कहीं नहीं जा रहे है। कम से कम ... 2023 के प्रथम माह तक। अब देखना यह है कि ... अपने कप्तान से दु:खी और परेशान कमलप्रेमी आखिरकार, क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मांग ...

अपने उम्मीद जी से मांग की जा रही है। डिमांड करने वाले भी उनके ही मातहत है। जो कि संकुल और स्मार्ट भवन में बैठते है। इस मांग को करने का मातहतों को अधिकार भी है। खासकर, उनको जो कि नियम-कायदे से काम करते है। फिर भी काम करते में गलतियां हो जाती है। नतीजा ... नोटिस और निलंबन की सजा पाते है। कभी-कभार तो दूसरो की गलती की सजा भी मिलती है। तभी तो संकुल में बैठने वाले सवाल उठा रहे है। सवाल यह है कि ... स्मार्ट भवन के मातहतों से इतनी मोहब्बत क्यों? जिन्होंने छोटी-मोटी नहीं, बल्कि ब्लंडर- मिस्टेक की है। एक संस्था की जमीन पर अघोषित कब्जा करके, कचरा घर बना दिया। जबकि काम करने वाले स्मार्ट अधिकारी है और उसके बाद भी मूर्खतापूर्ण हरकत कर दी। इन सभी पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? उल्टे मामले को दबाया जा रहा है? उम्मीद जी के मातहतों की मांग में दम है। किन्तु अपने न्यायप्रिय उम्मीद जी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

गूंज ...

क्या किसी को पता है? अपने उम्मीद जी का नाम सदन में गूंजा है। नाम गूंजाने वाले अपने पंजाप्रेमी चरणलाल जी है। जिनको अविश्वास प्रस्ताव की बहस में बोलने का मौका मिला था। उनका अपने उम्मीद जी से पहले ही 36 का आंकड़ा है। इसलिए सदन में खुलकर उन्होंने अपने उम्मीद जी का नाम लिया। गंभीर आरोप लगा दिये। ताज्जुब इस बात का है कि ... इन आरोपो को लेकर खुद पंजाप्रेमी एकमत नहीं है। कुछ पंजाप्रेमी इन आरोपों को सच बता रहे है। तो कुछ इसे ... अपने चरणलाल जी की निजी भड़ास बता रहे है। अब सदन में नाम गूंजने के पीछे की हकीकत क्या है? इसका फैसला हमारे सुधी पाठकगण खुद कर ले। क्योंकि अपने उम्मीद जी तो इस मामले को लेकर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

भय ...

बाबा तुलसीदास जी  लिख गये हैविनय ना मानत जलाधि गये तीन दिन बीति/बोले राम सकोप तब भय बिनु होई ना प्रीति ...। ह चौपाई इन दिनों अपने पंजाप्रेमी खूब गुनगुना रहे है। इशारा ... अपने विकास पुरूष के  उस बयान की तरफ है। जिससे खूब हंगामा मचा। लेकिन शहर व ग्रामीण पंजाप्रेमी मुखियां ने चुप्पी साधे रखी। दरअसल यह चुप्पी भय की थी। कारण ... नजरपुर और गुनई में खनिज की खदाने है। अगर अपने विकास पुरूष के खिलाफ मोर्चा खोलते? तो खदान पर ताले लग जाते? रोजाना की कमाई मारी जाती। इसलिए पंजाप्रेमी  मुखियाओं ने चुप्पी साध ली। अब अगर पंजाप्रेमी बोल रहे है। भय से ही प्रीति होती है। तो उनकी बात में दम है। मगर ... हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

इंट्री ...

अपने प्रथम सेवक के बंगले में एक इंट्री हुई है। अवैतनिक निजी सलाहकार की। उनकी इस इंट्री पर सवाल खड़े हो गये है। क्योंकि जिनकी इंट्री हुई है। उनका दामन दागदार है। पिछले 2 प्रथम सेवक और सेविका के कार्यकाल में उन पर दाग लग चुके है। जब अपने रामू जी थे। तब उनको हिसाब किताब में गडबडी के चलते हटाया गया था। उसके बाद प्रथम सेविका के कार्यकाल में भी हटाया गया। नगरीय निकाय नियमों के जानकार इस सलाहकार की, तीसरी दफा वापसी... सवाल खड़े कर रही है। अपने प्रथम सेवक की ईमानदारी पर। ऐसी शिवाजी भवन में चर्चा है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

शिकायत ...

शिवाजी भवन के गलियारों में सुगबुगाहट है। एक शिकायत की। शिकायत करने वाली एक महिला अधिकारी है। जिन्होंने राज्य महिला आयोग को लिखित में शिकायत भेजी है। जिसमें 3 नगरसेवकों के नाम है। आरोप यह लगाये है। तीनों नगरसेवक, बदतमीजी से बात करते है। धमकियां देते है। इसके अलावा नाजायज काम करने के लिए दबाव बनाते है। मसलन ... फलां जगह निर्माण हो रहा है। उसको नोटिस जारी कर दो। जब नोटिस जारी होता है। तो फिर सेटिंग कर लेते है। उसके बाद यह दबाव बनाते है। नोटिस रद्द कर दो। इनके इस गैर कानूनी काम से परेशान हो गई हूं। चर्चा यह भी है कि ... शिकायत की एक प्रतिलिपि अपने शिवाजी भवन के अनफिट जी को भी दी है। यह भी सुनने में आया है कि ... नगरसेवकों की इन हरकतों के चलते महिला अधिकारी को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। यह वही अधिकारी है। जिनको लेकर 4 नगरसेवक हटाने के लिए गुहार लगा चुके है। अब देखना यह है कि ... महिला आयोग से शिकायत के बाद क्या परिणाम सामने आता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दादागिरी ...

सत्ता का नशा, वैसे ही जनप्रतिनिधि के लिए काफी होता है। उस पर अगर शाम का वक्त हो। सोमरस का आनंद लिया गया हो। तो फिर नशा, गरीब दुकानदार पर उतरता है। उसको दादागिरी दिखाई जाती है। जिस दुकान पर भोजन किया जाता है। वह भी तब, जब भुगतान का वक्त आता है। ऐसी ही एक घटना कमलप्रेमी चटकारे लेकर सुना रहे है। इस घटना के पात्र नये-नवेले कमलप्रेमी है। जो कि वर्तमान में नगर सेवक है। शिवाजी भवन से उनका नाता है। करीब 15-20 दिन पुरानी घटना है। स्टेशन रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में नगरसेवक पहुंचे। अपने एक साथी के साथ। मेन्यू देखकर आर्डर कर दिया। पेट भर खाना खाया। मगर जब भुगतान का वक्त आया। तो सोमरस प्रेमी नगरसेवक भड़क गये। बिल देखकर। खूब खरी-खरी सुनाई। यह तक बोल दिया कि ... मुझे नहीं जानते क्या? फिर आखिरकार झक मारकर भुगतान किया। अब नये कमलप्रेमी की इस दादागिरी की चर्चा, वर्षो पुराने कमलप्रेमी कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

तोड़ दो ...

एक पंजाप्रेमी नगरसेवक इन दिनों कुछ ज्यादा प्रताडि़त हो गये है। इस नगरसेवक का दमदमा की मीठी गोली वाले नेताजी से करीबी रिश्ता है। अभी तक नगरसेवक, शिकायत करके हर किसी को परेशान करते थे। मगर पहली बार उनके खिलाफ शिकायत हुई। अवैधानिक रूप से मकान निर्माण करने की। जिसके बाद नगरसेवक को नोटिस जारी हो गया। लेकिन अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है इधर शिवाजी भवन वालो ने भी पंजाप्रेमी नगरसेवक के मजे लेने शुरू कर दिये है। किसी ना किसी बहाने नगरसेवक को सूचना भिजवा दी जाती है। आज जेसीबी चलने वाली है। जिसके चलते पंजाप्रेमी नगरसेवक जुगाड में लग जाते हैपिछले कई दिनों से यह नौटंकी चल रही है। जिसके चलते पंजाप्रेमी नगरसेवक इतने परेशान हो गये है। अब वह खुद बोलने लगे है। जेसीबी लाकर तोड़ दो ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

माफी ...

साल 2022 का यह आखिरी हम चुप रहेंगे... आप सभी पढ़ रहे है। अब नये साल 2023 में आप सभी से मुलाकात होगी। जाते हुए 2022 में हमारी लेखनी से जाने/अनजाने में अगर चुप रहेंगे के किरदारों का दिल दुखा है। तो हम उन सभी से हाथ जोड़कर माफी मांगते है। हमारा मकसद, कतई यह नहीं रहता है कि ... किसी को हमारी लेखनी से पीड़ा पहुंचे। मगर, सच तो दर्द देता है। जबकि लिखते वक्त हमारा भाव केवल... ना काहू से दोस्ती... ना काहू से बैर... वाला ही रहता है। फिर भी ... माफी-माफी-माफी और नये साल की अग्रिम शुभकामनाएं...!