05 जून 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
बगावत ...
शिक्षा विभाग में बगावत के आसार नजर आ रहे है। एक बैठक भी हो चुकी है। मगर पहले यह समझ लीजिए। बगावत, अधिकारी के खिलाफ नहीं है, बल्कि जनप्रतिनिधि के खिलाफ है। इसी को लेकर जल्दी ही अपने उत्तमजी से एक प्रतिनिधि मंडल मिलेगा। निशाने पर दमदमा के ससुर जी और बहू है। बेचारे शिक्षक इस कदर दु:खी है। उन्होंने अपने मूल स्कूल में जाने के लिए आवेदन तक दे दिया है। इसकी वजह हर रोज होने वाला अपमान है। जिससे शिक्षकों का आत्मसम्मान जाग गया है। तभी तो ससुर और बहू जी के खिलाफ मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है। देखना यह है कि अपने उत्तम जी इन शिक्षकों की पीडा को कितनी गंभीरता से लेते है, या फिर शिक्षक बैरंग लौटते है। फैसला वक्त करेगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मुखिया कौन ...
शिक्षा विभाग का असली मुखिया कौन है? ससुर जी या बहू जी? यह सवाल इन दिनों दमदमा के गलियारों में सुनाई दे रहा है। दबी जुबान में शिक्षक बोल रहे है। कई दफा सीधे ससुर जी का फोन आता है। हो सकता है। यह अफवाह हो-जलन हो। अपने ससुर जी को बदनाम करने की। लेकिन यह पूरी तरह सच है। अपने ससुर जी ने शासकीय लेटर हेड पर अपना मोबाइल नं. छपवा रखा है। वह भी बहू जी के लेटरहेड पर। जो कि नियमानुसार गलत है। तभी तो दमदमा के गलियारों में यह सवाल उठ रहा है। शिक्षा विभाग का असली मुखिया कौन है। फैसला हमारे सुधी पाठकगण खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
तैयारी ...
अपने स्वागतप्रेमी जी तैयारी में है। हमेशा की तरह उन्होंने युवा कमलप्रेमियों से वादा कर दिया है। 2 उपाध्यक्ष, 2 मंत्री और 3 सहमंत्री बनाने का। हालांकि उनके वादे पर किसी भी युवा कमलप्रेमी को भरोसा नहीं है। सब उनको झूठा समझते ही नहीं, बल्कि मानते है। फिर भी आखिरी मौका दिया है। वह अपने वादे पर कितना खरा उतरेंगे। यह तो आने वाला वक्त बतायेंगा। लेकिन उनकी घोषणा से पहले ही तैयारी हो गई है। इस्तीफा देने की। पहले भी उनके कारण युवा कमलप्रेमी दल-बदलकर पंजाप्रेमी हो चुके है। अब एक बार फिर ऐसा ही कुछ होने वाला है। नियुक्ति की घोषणा होते ही, इस्तीफे होंगे। ऐसी चर्चा युवा कमलप्रेमियों के बीच सुनाई दे रही है। अब देखना यह है कि ... अपने स्वागतप्रेमी जी कब घोषणा करते है और कब इस्तीफे होते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
शर्मिंदा ...
अतिविशिष्ट अतिथि का अभी-अभी आगमन हुआ था। बाबा महाकाल के दर्शन करने आये थे। अपने साथ अपने देश के रूद्राक्ष भी लाये थे। महाकाल को अर्पित करने के लिए। बस यही रूद्राक्ष हमारी शर्मिंदगी का कारण है। विशिष्ट अतिथि ने बाबा को रूद्राक्ष की मालाएं समर्पित करी। पूजा हुई। जिसके बाद वह नंदीगृह के लिए पलटे। उनके पलटते ही लूटमार मची। यह नजारा देखने लायक था। मंदिर में लगी टीवी पर ड्यूटी करने वालो ने यह सब देखा। तो उनका सिर भी झुक गया। रूद्राक्ष की मालाओं को तत्काल निकालकर ... झोली-थैली-जेब-प्लास्टिक की पन्नी में भरते हुए नजर आये। यह नजारा यह दिखा रहा था। लूट सके तो लूट...! इस कृत्य ने सभी को शर्मिंदा कर दिया। कम से कम अतिथि के जाने का तो इंतजार करते। ड्यूटी पर तैनात अधिकारी तो यही बोल रहे है। बात सच भी है। इसलिए हम शर्मिंदगी का बोझ दिल पर रखकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
परिवर्तन ...
शीर्षक पढ़कर, कमलप्रेमी अंदाजा ना लगाये। हम कोई प्रशासनिक या संगठन में परिवर्तन की बात कर रहे है। हम तो अपने कप्तान जी के ह्दय परिवर्तन की बात कर रहे है। जिसकी चर्चा मीडिया बंधु कर रहे है। कल तक अपने कप्तान जी मीडिया को ज्यादा तवज्जों नहीं देते थे। बल्कि थोड़ी दूरी बनाकर रखते थे। शायद परख रहे थे। कौन असली- कौन नकली। फिर उन्होंने एक सूची तैयार करवाई। जिसके बाद अब वह मीडिया से ना केवल बात करते है, बल्कि खुलकर बात करते है। अपने कप्तान जी के इस ह्दय परिवर्तन से मीडिया बंधु खुश है। तो हम भी मीडिया की खुशी में शामिल होकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
वसूली ...
अवैध उत्खन्न कांड याद है। सरकारी जमीन पर खुदाई का। मनरेगा की आड लेकर 40 पेटी कमाई वाला। जिसमें अपने उत्तम जी ने एक्शन लिया था। वसूली और एफआईआर के निर्देश दिये थे। अब इस मामले में जल्दी ही दोनों काम होने वाले है। इस सप्ताह यह कार्रवाई होनी पक्की है। खनिज विभाग के तो यही संकेत है। देखना यह है कि ... अवैध उत्खन्न कांड में किस-किस पर गाज गिरती है और किसको बचाया जाता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पक्का ...
जब-जब चुनाव आते है। कमलप्रेमियों में चर्चा शुरू हो जाती है। अपने आराधना प्रेमी को लेकर। क्योंकि वह हर दफा यही दावा करते है। इस बार टिकिट पक्का। ऐसा ही दावा वह फिर कर रहे है। घट्टिया से दावा है। उनका कहना है। अपने दादा के राजकुमार तो आगर से चुनाव लड़ेंगे और मैं घट्टिया से। कमलप्रेमी दादा सत्यज ने भी अपनी मोहर लगा दी है। ऐसी चर्चा कमलप्रेमी कर रहे है। मगर यह भी कहने से नहीं चूक रहे है। हर बार की तरह, अपने आराधना प्रेमी का पक्का वाला रंग कहीं कच्चा ना रह जाये। अब पक्का और कच्चा का जवाब तो आने वाला वक्त ही देगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चुप्पी ...
वैसे तो आदत के अनुसार चुप रहने का आजीवन ठेका हमने लिया है। लेकिन कभी-कभार मौके की नजाकत देखकर, अधिकारी भी चुप्पी साध लेते है। जैसे अपने इंदौरीलाल जी। घटना पड़ोसी देश के पीएम आगमन के समय की है। अपने पहलवान जी मंदिर पहुंचे थे। तभी अपने इंदौरीलाल जी सामने आ गये। जिनको देखकर पहलवान जी बिफर गये। उन्होंने सीधे बोल दिया। फोन नहीं उठाते हो। पहलवान के इस प्रश्न पर अपने इंदौरीलाल जी ने चुप्पी साध ली। फिर धीरे से चुपचाप निकल गये। ऐसा घटना देखने वालो का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
सख्ती ...
अपने इंदौरीलाल जी पर भले ही फोन नहीं उठाने का आरोप लगता है। लेकिन वह मंदिर की शिकायतों को गंभीरता से लेते है। तत्काल इलाज (सख्ती) करते है। उनको सूचना मिली थी। गर्भगृह दर्शन स्लाट बुकिंग में गडबडी चल रही है। अगर कोई भक्त बुकिंग कराने के बाद देरी से आता है। तो उसको रोक दिया जाता है। क्योंकि टिकिट पर 1 घंटे का टाइम रहता है। अकसर भक्तगण देरी से आते है। जिसका फायदा उठाकर राशि वसूल की जा रही थी। 1 टिकिट पर 200 रूपये। वसूलने वाले एक कर्मचारी थे। जिनका रोटेशन के नाम पर समय बदला गया है। इन्हीं के द्वारा राशि वसूल की जा रही थी। इसकी भनक अपने इंदौरीलाल जी को लग गई। उन्होंने तत्काल फरमान जारी कर दिया। कोई कितनी भी देरी से आये। अगर टिकिट है तो उसे रोका नहीं जाये। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। बहरहाल अपने इंदौरीलाल जी के इस आदेश की खूब प्रशंसा हो रही है। इसलिए हम भी बधाई देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पैर छूए ...
राजधानी में रविवार को एक सम्मेलन हुआ। जिसमें अपने मामाजी भी शामिल हुए। अपने मामाजी ने इन सभी अतिथियों को देवता की उपाधि से संबोधन किया। लेकिन जब इन्हीं देवताओं ने उनके पैर छूए। तो वहां मौजूद बाकी देवतागण आश्चर्य में पड गये। जिसके बाद अपने मामाजी ने घोषणा की। परशुराम लोक बनाने की। जिसे सुनकर भीड में से आवाज आई। क्या महाकाल लोक की तर्ज पर बनेगा। जिसे सुनकर वहां मौजूद देवतागण मुस्कुरा दिये। ऐसा सम्मेलन में मौजूद देवतागणों का कहना है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
दूरी ...
पंजाप्रेमियों की पर्दाफाश रैली की घटना है। इस रैली में पंजाप्रेमियों ने एकता दिखाई। मंच पर शहर के सभी पंजाप्रेमी नेता मौजूद थे। यहां तक कि ... कमलप्रेमी से पंजाप्रेमी बने इंदौरी नेता भी मौजूद थे। किन्तु अपने बिरयानी नेताजी ने दूरी बनाकर रखी। हालांकि वह कार्यक्रम स्थल पर आये थे। लेकिन थोडी देर बाद ही अपना दुपहियां वाहन उठाकर चुपचाप निकल गये। उनकी कार्यक्रम से दूरी की चर्चा पंजाप्रेमियों में रही। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
चलते-चलते ...
शिवाजी भवन के गलियारों में एक घोटाले की चर्चा दबी जुबान से सुनाई दे रही है। जिसमें सत्यापन के नाम पर चांदी काटी गई है। पूरा मामला क्या है। खोजबीन चल रही है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप रहने के लिए मजबूर है।