05 फरवरी 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
भूमिका ...
आपरेशन थियेटर में चुम्बन लेने वाले डॉक्टर को हमारे पाठक भूले तो नहीं होंगे। 5 साल पुराना मामला है। तब से डॉ. साहब लापता थे। पिछले सप्ताह सुर्खियों में आ गये। अपनी पदस्थापना को लेकर। सीधे राजधानी का आर्डर निकलवा लिया। जिसका भूमिका 29 जनवरी को बनी। जब डॉ. साहब बाबा के दरबार में आये थे। कंट्रोल रूम पर वाहन खड़ा किया था। यहां उनकी मुलाकात एक युवा कमलप्रेमी से हुई। डॉ. साहब ने अपना बेग खोला। कागजों से लिपटा मोटा बंडल युवा कमलप्रेमी को थमाया। फिर आदेश निकल गया। मगर राजधानी की मीडिया ने हल्ला मचा दिया। नतीजा आदेश निरस्त हुआ। फिर नया आदेश निकला। अब चुम्बन वाले डॉ. साहब प्रभारी बन गये है। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर भूमिका किस युवा कमलप्रेमी की थी। इसको लेकर सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सवाल ...
केबीसी का नियम है। सवाल का उत्तर देने पर ही पुरूस्कार मिलता है। मगर क्या कभी ऐसा सुना है। केवल सवाल करने पर ही पुरूस्कार मिल जाये। ऐसा हम नहीं,बल्कि ग्रामीण के कमलप्रेमी बोल रहे है। इशारा पिस्तौल कांड नायक की तरफ है। जिनके एक सवाल से हड़कंप मचा हुआ है। सवाल जनहित से जुड़ा है। जिसका उत्तर फैक्ट्री संचालक के लिए भारी पड़ेगा। इसीलिए दबी जुबान से कमलप्रेमी बोल रहे है। 50 पेटी का सवाल है। जिसके बदले में जवाब वाले दिन सवाल लगाने वाले को केवल मौजूद नहीं रहना है। ऐसा कमलप्रेमियों का कहना है। जबकि हमको भरोसा है। जनहित के मुद्द पर पिस्तौलकांड नायक कोई समझौता नहीं करेंगे। बल्कि कमलप्रेमियों को करारा जवाब देंगे। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
ओएसडी ...
यह सच है। अपने विकासपुरूष ने किसी को भी बाबा की नगरी में ओएसडी का दायित्व नहीं दिया है। मगर शिक्षा विभाग के गलियारों में चर्चा है। एक शख्स खुद को विकासपुरूष का ओएसडी बताकर, काम में दखलंदाजी कर रहा है। फाइल बुलाकर देख रहे है। हालांकि यह खुद 3 साल पहले वीआरएस ले चुके हैं। मगर अब इन पर खुद को ओएसडी बताने का भूत सवार है। शिक्षा वाले डर के चलते चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
खेल ...
संकुल के गलियारों में चर्चा है। एक लंबे खेल की। जो कि मिशन-2023 से जुड़ा है। निर्देश थे कि पोलिंग बूथ पर कैमरे लगाये जाये। लगभग 1100 बूथों पर कैमरे लगाये गये। इसके साथ प्रत्येक बूथ पर एक व्यक्ति भी लगाना था। जिस कंपनी को काम मिला था। उसने कैमरे तो लगाये, मगर मैनपॉवर नहीं। इसके बाद भी दबाव डलवाकर सत्यापित करवा लिया गया। ताकि खोखो में भुगतान हो सके। जबकि अंदरखाने की खबर है। सत्यापित करने वालो ने बगैर नाम और ड्यूटी पास के सत्यापन कर दिया है। जिसको लेकर शिकायत शुरू हो गई है। जल्दी ही मामला न्यायालय तक जा सकता है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
खौफ ....
अपने विकास पुरूष का खौफ चारों तरफ नजर आ रहा है। खासकर अधिकारियों में। गलती की कोई माफी नहीं है। शासन ऐसे ही चलता है। जिसके चलते स्थानांतरित किये गये अधिकारी यहां आने से कतरा रहे है। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन में सुनाई दे रही है। इशारा उन उपायुक्तों की तरफ है। जिनका तबादला हुए 10 दिन हो चुके है। मगर किसी ने भी आमद नहीं दी है। इसे शिवाजी भवन वाले खौफ की संज्ञा दे रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।
भारी...
चुने गये माननीय भारी होते है या अधिकारी? यह सवाल इन दिनों दाल-बिस्किट वाली तहसील में सुनाई दे रहा है। इशारा अनुभाग की 2 अधिकारियों की तरफ है। जिन्होंने पिछले दिनों अपने भारी होने का एहसास करा दिया। माननीय के झंडावंदन से गैरमौजूद रही। जिसको लेकर अब माननीय ने ठान लिया है। वह जल्दी ही दिखायेंगे। असली भारी कौन है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सीधी बात ...
अपने विकासपुरूष सीधी बात कहने में विश्वास रखते है। तभी तो इतनी जल्दी सूबे के मुखिया बन गये है। शुक्रवार को देवीअहिल्या नगरी में थे। नवनिर्मित भवन का लोकार्पण करने आये थे। जहां उन्होंने मंच से ही सीधी बात कह दी। निशाने पर अहिल्यानगरी के प्रथमसेवक थे। विकासपुरूष ने साफ लफ्जों में कहा। मैने मना कर दिया था। आने के लिए। मगर फिर निवेदन किया गया। तो मैं इनके भाव समझ गया। आखिर क्यों बुलाया जा रहा है। तो मैं 50 खोखे की घोषणा करता हूं। अपने विकासपुरूष की इस सीधी बात ने प्रथमसेवक को झेंपने पर मजबूर कर दिया। ऐसा यह नजारा देखने वालो का कहना है। मगर हम तो विकासपुरूष की सीधी बात पर साधूवाद देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पर- कतरना ...
शीर्षक का मतलब से हमारे पाठक समझ ही गये होंगे। तो हम सीधे किसके पर-कतरे और किसने कतरे। इसका खुलासा करते है। पर-कतरने वाले अपने स्मार्ट पंडित हैं। जिनके कतरे गये वह अपने प्रथमसेवक है। इशारा कॉलोनी सेल की तरफ है। अभी तक इस विभाग की फाइले प्रथमसेवक के पास जाती थी। नतीजा लूटमार की चर्चा दबी जुबान से सुनाई दे रही थी। 5 से 50 पेटी तक के खेल चल रहे थे। मगर अपने स्मार्ट पंडित ने इस खेल पर अंकुश लगा दिया। एक आदेश निकाला। जिसमें निर्देश है। अब कोई भी फाइल बगैर उनकी नजरों से नहीं गुजरेंगी। यह आर्डर सोशल मीडिया ग्रुप पर डला। जिसके बाद शिवाजी भवन के गलियारों में पर-कतरने की चर्चा सुनाई दे रही है। कदम अच्छा है। इसलिए हम तो केवल आभार प्रकट करके, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मोह ...
हमारे सभी पाठकों को पता है। मोह के चक्कर में महाभारत युद्ध हुआ था। मोह किसका था। यह भी, सभी को पता है। शिवाजी भवन में इन दिनों मोह की चर्चा सुनाई दे रही है। इशारा अपने प्रथमसेवक की तरफ है। जिन्होंने मोह के चलते पहले तो सीएसआर फंड के नाम पर नौकरी लगवा दी। फिर सरकारी वाहन भी दे दिया। जो कि 3 बत्ती चौराहे पर कई कमलप्रेमियों ने देखा। मगर यह बात पुरानी है। ताजा मामला अलसुबह होने वाली आरती से जुड़ा है। जिसके लिए प्रथमसेवक का कोटा है। लगभग 2 दर्जन का। यह सुविधा इसलिए है। ताकि नगरसेवकों को इसका लाभ मिले। किन्तु इसके उलट होता है। प्रथमसेवक, नगरसेवकों को कम तवज्जों देते है। अपने मोह के चलते साहबजादे के नामों को प्राथमिकता दी जाती है। हर रोज 10 नाम साहबजादे के रहते है। उन्ही के नाम से अनुमति बनती है। बेचारे नगरसेवक, इस मोह से दु:खी है। मगर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
विकेट ...
हमारा इशारा क्रिकेट के खेल की तरफ नहीं है। जिसमें गेंदबाज को विकेट मिलता है। हम तो शिवाजी भवन में सुनाई दे रही विकेट-विकेट की चर्चा कर रहे है। दबी जुबान से यह सुनाई दे रहा है। जल्दी ही 1-2 अधिकारियों का विकेट चटक सकता है। यह वही अधिकारी है। जिन्होंने जमकर, कालोनी की आड में माल लूटा है। इनकी फाइलों को खंगाला जा रहा है। अधिकतम 10 दिनों के अंदर 1-2 विकेट चटक जायेंगे। जिसके लिए हम शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
पाइंट ...
पिछले दिनों अपने प्रथमसेवक कोशिश में थे। नमो-एप्प के जरिए। अपने नंबर (पाइंट) बढ़वाने के लिए। जिसके लिए शहर में जगह-जगह फ्लैक्स लगवाने थे। मगर उधारी के चलते उनकी कोशिश व्यर्थ गई। फ्लैक्स वाले ने साफ इंकार कर दिया था। पहले उधारी चुकाओं- फिर फ्लैक्स बनाकर दूंगा। अब अपने वजनदार जी पाइंट बढ़ाने की कोशिश में लग गये है। मगर उन्होंने फ्लैक्स के बदले सोशल मीडिया को चुना है। उनके समर्थक मैसेज भेज रहे हैं। अपील कर रहे है। नमो-एप्प डाउनलोड करने की। वजह ... मिशन-2024 सामने है। नमो-एप्प के पाइंट मिशन-2024 में काम आयेंगे। अभी तक 77 हजारी पाइंट मिल चुके है। देखना यह है कि वजनदार जी कितने पाइंट जुटा पाते है। तब तक हम केवल कमलप्रेमियों में चल रही चर्चा मिशन-2024 में ... प्रभु पर होगी कृपा... लिखकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
खुशी ...
संकुल के तीसरे माले पर इन दिनों खुशी की लहर है। इसकी वजह 6 फुटधारी का एक आवेदन है। जिसमें उन्होंने वीआरएस लेने की गुहार लगाई है। इस 6 फुटधारी से हर कोई परेशान है। इसीलिए सब खुशी मना रहे है। इसलिए हम भी खुशी में शामिल होते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ....
साभार... अतुल नवोदयन की फेसबुक वॉल से