08 जनवरी 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
किस्मत बनाम उपहार ...
शिवाजी भवन के गलियारों में चर्चा है। किस्मत हो तो अपने स्मार्ट पंडित जैसी। जिनकी मेहनत ने उनकी किस्मत संवारी। जिसके बदले विकास पुरूष ने शानदार उपहार दिया। शिवाजी भवन का मुखिया बना दिया। यह उपहार दक्षिण आरओ के बदले मिला है। जहां से विकास पुरूष ने विजयश्री हासिल की। जिसके बाद विकास पुरूष की भी किस्मत बदल गई। वह सूबे के मुखिया बन गये। मगर उन्होंने अपने आरओ को याद रखा। नतीजा ... स्मार्ट पंडित को वही उपहार दिया, जिसकी उनको अपेक्षा थी। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन में बैठने वाले कर रहे है। चर्चा में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
पार्टी ...
हम किसी राजनीतिक दल वाली पार्टी की बात नहीं कर रहे है। हम तो अपने 7 जिलों के मुखिया द्वारा दी गई पेट-पूजा वाली पार्टी की बात कर रहे है। जो पिछले सप्ताह अपने निवास पर उन्होंने दी। जिसमें अल्फा जी- डेल्टा जी- उत्तम जी- कप्तान व पूर्व शिवाजी भवन के मुखिया भी शामिल थे। इसके अलावा जिले के नये मुखिया भी पार्टी में पहुंचे। इस पार्टी को लेकर कयास लगाये जा रहे है। आखिर, क्या विकास पुरूष के तेवरों को देखते हुए, यह पार्टी आयोजित की गई थी। खुलासा कुछ नहीं हो पाया है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
खुशी ...
शिक्षा जगत में खुशी की लहर है। खासकर बाबा महाकाल की नगरी में। जिसके लिए शिक्षा जगत अपने विकास पुरूष के प्रति आभार प्रकट कर रहा है। कारण ... विकास पुरूष ने इस दफा शिक्षा विभाग का मुखिया बदल दिया है। यही खुशी की वजह है। पिछले मुखिया के कार्यकाल में टीसी कांड नायक ने बहुत लोगों को सताया। खासकर बाबा महाकाल की नगरी के गुरूओं को। जिसके चलते सभी यह दुआ कर रहे थे। इस दफा टीसी कांड नायक से मुक्ति मिले। बाबा ने दुआ स्वीकार कर ली। इसलिए हम भी शिक्षकों की खुशी में शामिल होकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
कोशिश ...
अपने चुगलीराम जी याद है। कभी बाबा के दरबार की जिम्मेदारी संभालते थे। फिर एक ऑडियों कांड हुआ। जिसके बाद अपने मामाजी ने तत्काल उनकी रवानगी कर दी थी। अपने इंदौरीलाल जी को जवाबदारी मिली। अब मामाजी की जगह अपने विकास पुरूष मुखिया है। तो अपने चुगलीराम जी कोशिश में लगे है। फिर से पुराना पद पाने को। देखना यह है कि उनकी यह कोशिश कितनी कामयाब होती है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
नीबू कांड ...
देवी अहिल्या नगरी का नीबू कांड याद है। पिछले साल की घटना है। चुनाव से पहले की। एक आईएएस अफसर की गाडी के सामने यह टोटका किया गया था। आचार संहिता के दौरान की घटना है। आईएएस मैडम पर टोटका करने वाले, प्रथमसेवक के निज सहायक थे। मैडम को जैसे ही टोटके की खबर मिली। उन्होंने निज सहायक को हटा दिया था। मगर चुनाव परिणाम के बाद निज सहायक पॉवर में है। वापस प्रथमसेवक के साथ घूम रहे है और आईएएस मैडम चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
हनीट्रेप ...
इस हनीट्रेप का क्या मतलब होता है। यह किसी को समझाने की जरूरत नहीं है। सभी इसका अर्थ समझते है। अभी-अभी सातवां आसमान छूने वाला शहर, कभी हनीट्रेप के चलते पूरे प्रदेश में चर्चित हुआ था। राजधानी में बैठे कई सफेदपोश और नौकरशाह इसकी चपेट में आये थे। मगर बाबा की नगरी में हनीट्रेप का मामला इतने उच्चस्तर का नहीं है। इसमें कुछ छोटे अधिकारी लपेटे में आये है। मक्सी रोड़ स्थित एक कार्यालय में वह हनीट्रेप के शिकार हुए है। ऐसी चर्चा वर्दीवाले दबी जुबान से कर रहे है। लेकिन शिकार कौन-कौन हुआ है। किसने यह सब किया है। इस सवाल पर चुप्पी साध लेते है। कुछ नहीं बताते है। तो हम भी वर्दीवालो की तरह अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
आउट ...
शहर के 2 युवा कमलप्रेमी नेता राजनीति से जल्दी ही आउट होने वाले है। इनमें से एक हर्षफायर नेताजी है तो दूसरे अपने स्वागतप्रेमी जी। हर्षफायर नेताजी की 2023 में तूती बोलती थी। संगठन और प्रशासन में। जिसके चलते उन्होंने 1 खोखे की कीमत वाला प्लाट भी बडऩगर रोड पर ले लिया था। मगर विकास पुरूष की सत्ता के बाद हर्षफायर नेताजी अब संगठन और प्रशासन के परिदृश्य से आउट है। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। आज मंच से विकास पुरूष ने इस पर मोहर लगा दी। उन्होंने केवल दो महामंत्री का नाम लिया। तीसरे अपने हर्षफायर का जिक्र भी नहीं किया। जबकि हर्षफायर नेताजी लगातार साथ थे। दूसरे नम्बर पर अपने स्वागत प्रेमी जी है। जो कि पिछले दिनों राजधानी गये थे। पूरे दिन राजधानी में रहे। विकास पुरूष से मिलने की सभी तिकडम लगाई। मगर समय नहीं दिया गया। कारण ... 2023 का चुनाव बताया जा रहा है। तभी तो कमलप्रेमी के बीच चर्चा है। दोनों नेता अब राजनीति से आउट हो गये है। बाकी का फैसला अपने विकास पुरूष करेंगे। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप रहेंगे।
चिराग तले अंधेरा ...
मंदिर के गलियारों में चिराग तले अंधेरा की कहावत सुनाई दे रही है। इशारा ... अवैध रूप से भस्मार्ती में प्रवेश दिलाने की तरफ है। दबी जुबान से बोला जा रहा है। फूल-पत्ती और व्हील चेयर वालो की मदद से व्यवसाय पनप रहा है। रोजाना जितनी अनुमति बनती है। उससे ज्यादा भीड सुबह भस्मार्ती में नजर आती है। जिसकी भनक अपने इंदौरीलाल जी को नहीं है। सबकुछ सेटिंग से हो रहा है। ड्यूटी वाले कर्मचारियों की रोजाना जेब गर्म होती है। वह भी इस ठंड के मौसम में। इसलिए वह चुप रहते है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
क्या व्यवस्था है ...
घटनास्थल महाकाल क्षेत्र। मौका प्रसाद्म के शुभारंभ का। जहां विकास पुरूष मौजूद थे। मंच से कुछ दूर अपने 7 जिलों के मुखिया, अल्फा- डेल्टा और कप्तान जी भी मौजूद थे। चारों आपस में बातचीत कर रहे थे। इसी दौरान एक साधारण वेशभूषा वाला इंसान आया। उसने अपने कप्तान जी से सीधा सवाल किया। क्या व्यवस्था है आपकी। शायद राजधानी से आये कोई उच्च अधिकारी थे। उनकी नाराजगी को अपने अल्फा जी ने भी गंभीरता से लिया। तभी तो कप्तान को कहा। इनकी व्यवस्था करवा दो। इधर आलाधिकारी इतना बोलकर आगे निकल गये। मगर घटना देखने वाले यह बोल रहे है। क्या व्यवस्था है- क्या व्यवस्था है। जिसको लेकर हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
चापलूसी ...
नेतागिरी के लिए यह एक आवश्यक गुण है। चापलूसी। जिसमें अपने प्रथमसेवक धीरे-धीरे पारंगत हो रहे है। तभी तो वह शनिवार शाम देवी अहिल्यानगरी पहुंच गये। वहां, जहां पर अपने विकास पुरूष का उडनखटोला उतरना था। महाकाल नगरी के प्रथमसेवक को देखकर वहां मौजूद सभी कमलप्रेमी चौक गये। क्योंकि ऐसा कभी होता नहीं है। इधर शहर के सभी कमलप्रेमी वाकिफ है। अपने प्रथमसेवक इन दिनों लूपलाइन में है। बस ... नाम के सेवक है। तभी तो कमलप्रेमी बोल रहे है। चापलूसी की कला सीख रहे है। कमलप्रेमियों का मुंह तो हम पकड नहीं सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पोडियम ...
नवागत मुखिया ने अभी-अभी पद संभाला है। बाबा की नगरी में। उनके आगमन के बाद पहली दफा विकास पुरूष का कार्यक्रम था। इसलिए नये मुखिया की हर जगह नजरे थी। बारीक नजरें। तभी तो उन्होंने मंच से दोनों पोडियम हटवा दिये। नये पोडियम रखवाये। उनकी नजर में पोडियम सही नहीं थे। इस घटना को देखने वाले अब यह बोल रहे है। अपने विकास पुरूष के तेवर के चलते नये मुखिया अलर्ट है। कारण ... कोई भी गलती तबादले आर्डर के रूप में नजर आती है। इसीलिए हर कदम सोच समझकर रख रहे है। ऐसा अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चलते-चलते ...
प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों रहीम के 2 दोहे खूब सुनाई दे रहे है। पहला दोहा औकात शब्द बोलने वाले मुखिया की तरफ इशारा है। रहिमन जिव्हा बावरी कहिगी सरग पताल/ आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल...! दूसरा दोहा अपने मामाजी की तरफ इशारा है। जिसे पढ़कर मजा लीजिए। उसका अर्थ समझकर, हमारी तरह चुप रहिए।
थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात/ धनी पुरूष निर्धन भये, करैं पाछिली बात...!