रखे रखे सड़ जाए, मगर जनता को नही देंगे..!
उज्जैन।नगर निगम आयुक्त सहित सभी अधिकारी आम जनता से यह उम्मीद रखते है।शहरवासी स्वच्छता अभियान में जागरूकता दिखाए।हमारे जनप्रतिनिधि भी यही उम्मीद रखते है।लेकिन जब बात खरीदे गए डस्टबिन के वितरण की आती है।तो अधिकारी और जनप्रतिनिधि दोनो अपने हाथ खड़े कर देते है।तभी तो ग्रांड होटल के गलियारों में चर्चा है।रखे ..रखे भले ही सड़ जाए..मगर जनता को नही देंगे..!
सन 2017..18 का मामला है।जब शहर की प्रथम नागरिक मीना जोनवाल थी।उन्होंने अपने सरकारी मद से करीब 25 लाख के डस्टबिन खरीदे थे।गीला और सूखे कचरे के लिए।1 डस्टबिन की कीमत अनुमानित 90 रुपए थी।हरे और नीले रंग के डस्टबिन खरीदे गए थे।डस्टबिन खरीद तो तत्काल लिए गए,लेकिन 2022 तक उनका वितरण नही किया गया है।आमजनता में स्वच्छता अभियान के प्रति जागरूकता लाने के लिए यह खरीदी की गई थी।ताकि जनता घर का कचरा गीला और सूखा अलग अलग रखे।
चुभता सवाल..
5 साल पूरे होने जा रहे है।फिर भी आज तक डस्टबिन का वितरण नही हो पाया?आखिर क्या कारण हैं?जबकि नगर सरकार ,जनता ही चुनती हैं।आम आदमी के टैक्स की राशि से ही जनप्रतिनिधि जनहित की सामग्री खरीदते हैं।उसी जनता को जब डस्टबिन देने की बारी आती हैं।तो जनता के प्रतिनिधि और अधिकारियों का इगो आड़े आ जाता हैं।तभी तो ग्रांड होटल के समीप स्थित कमरे में नीले और हरे रंग के डस्टबिन इंतजार कर रहे है।पिछले 5सालो से।आखिर कब हमारे जनप्रतिनिधि और सेवक(अधिकारी)अपने अपने इगो को अलग हटाकर,जनहित में कदम उठायेंगे?ताज्जुब की बात यह है कि खरीदे गए डस्टबिन की पन्नी(कवर) भी आजतक नही निकाले गए हैं।(देखे वीडियो)
रोशन सिंह नगर निगम आयुक्त
मौका..
25 लाख खर्च करके खरीदे गए डस्टबिन का वितरण आखिर कब होगा? 5 साल तो गुजर गए है!अभी तक वितरण का मौका नही आया है? दिवाली का पर्व शुरू हो चुका है।हर नागरिक अपने घर के लिए डस्टबिन भी खरीदेगा?इससे बढ़िया मौका हो नही सकता है।अगर नवागत आयुक्त रोशन सिंह चाहे तो?वर्ना जैसे 5 साल गुजर रहे है,वैसे और 5 साल गुजर जायेंगे? और टैक्स पेयर से लेकर आमजनता यही बोलती रहेगी कि..रखे रखे सड़ जाए..मगर जनता को नही देंगे..! यह तो साबित हो ही चुका है..!