मुख्यमंत्री ने पूछा ... कहां है अंशुल ... बताकर गये या बगैर बताये ...

मुख्यमंत्री ने पूछा ... कहां है अंशुल ... बताकर गये या बगैर बताये ...

 मुख्यमंत्री ने पूछा ... कहां है अंशुल ... बताकर गये या बगैर बताये ...!

नवनिर्मित प्रशासनिक संकुल का लोकापर्ण करने रविवार को मुख्यमंत्री आये थे। नया संकुल देखकर काफी खुश हुए। मगर जब मंच पर उद्बोधन दे रहे थे। तब उन्होंने उज्जैन की स्वच्छता पर प्रश्न खड़ा कर दिया। फिर तीखे तेवर में मंच से ही पूछ लिया .... कहां है अंशुल... बताकर गये या बगैर बताये।

नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता की कार्यप्रणाली से संभवत: मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान नाराज है। तभी तो उन्होंने मंच से ही सार्वजनिक रूप से स्वच्छता मिशन को लेकर सवाल कर लिया। उनकी पीड़ा थी कि ... जब इंदौर नम्बर-1 आ सकता है, तो उज्जैन क्यों नहीं? यहां पर भी लगातार विकास कार्य चल रहे है। फिर भी उज्जैन स्वच्छता में पीछे क्यों है। इसी दौरान मुख्यमंत्री को निगम आयुक्त की याद आ गई। उन्होंने पूछ लिया... अंशुल कहां है। जब वह नजर नहीं आये तो बोल दिया। बताकर गये या बगैर बताये। तब मंच पर मौजूद संभागायुक्त संदीप यादव ने उठकर जवाब दिया।  वह ड्यूटी पर है। तब कहीं जाकर मुख्यमंत्री संतुष्ट हुए।

मैं कलेक्टर नहीं हूं...

प्रशासनिक संकुल का लोकापर्ण करने के बाद मुख्यमंत्री ने निरीक्षण किया। पीआईयू के काम की तारीफ करी। फिर कलेक्टर के नये चेम्बर में पहुंच गये। जहां पर मीडिया ने उनसे आग्रह किया। कुर्सी पर बैठकर, बातचीत हो जाये। तो तत्काल पलटकर मुख्यमंत्री बोले। मैं कलेक्टर नहीं हूं। जिसे सुनकर वहां मौजूद सभी ने जोरदार ठहाका लगाया।

महामहिम ने दिल जीता ...

देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान महामहिम रामनाथ कोविद ने आज साबित कर दिया। पद का उनको कोई गुरूर नहीं है और विनम्रता में उनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। इसके पहले हेलीपेड पर उनकी अगवानी संभागायुक्त संदीप यादव, आईजी  संतोषसिंह, कलेक्टर आशीषसिंह और एसपी सत्येन्द्र शुक्ल ने की। बाद में सर्किट हाऊस पर महामहिम ने विनम्रता दिखाई। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से कहां कि ... आप लोगों का संडे बिगाड़ा ... माफी।

भावुक हो गये...

महामहिम ने जहां अपनी विनम्रता का परिचय दिया। वहीं उन्होंने भावुकता भी दिखाई। उस वक्त, जब उनसे मिलने के लिए श्रीमती कछवाय पहुंची। अपने स्व. गुरू  हुकुमचंद कछवाय की धर्मपत्नी को देखकर, महामहिम भावुक हो गये। खासकर तब, जब श्रीमती कछवाय ने उनके सिर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिया। इस भावुक पल में महामहिम की आंखे नम हो गई।

नजरें ...

मुख्यमंत्री, अगर खुद किसी कलेक्टर को बुलाकर मंच पर जगह दे। तो कलेक्टर की पूरी निगाह मुख्यमंत्री पर ही रहेंगी। मगर कलेक्टर आशीषसिंह अपवाद है। तभी तो उनकी नजरें, पीछे बैठने के बाद भी हर वक्त सामने थी। एक महिला, सबसे पीछे पुलिस से विवाद कर रही थी। मुख्यमंत्री से मिलने की जिद थी। यह नजारा कलेक्टर ने देखा। तत्काल इशारे से एसडीएम गोविंद दुबे को मंच पर बुलाया। उनके कान में कुछ कहा। एसडीएम तत्काल मंच से उतरकर उस महिला के पास पहुंचे। अलग ले जाकर उसकी शिकायत सुनी। आश्वासन दिया कि ... कार्रवाई होगी।