14 अगस्त 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

14 अगस्त 2023 (हम चुप रहेंगे)

 सीधी बात-नो बकवास ...

हमारे पाठकों ने टीवी पर यह विज्ञापन जरूर देखा होगा। जिसकी पंच लाइन सीधी बात- नो बकवास है। इस स्लोगन पर अपने कप्तान जी ज्यादा भरोसा करते है। तभी तो नागपंचमी व्यवस्था बैठक में उन्होंने सीधी बात कही। उस सवाल पर, जो प्रबंध समिति सदस्य ने उठाया था। सवाल यह था कि ... रामघाट पर जेबकटी बहुत हो रही है। इधर सदस्य ने सवाल दागा...उधर सीधी बात की तर्ज पर कप्तान का जवाब आया। अब यह सब बंद हो चुका है। अपने कप्तान के इस जवाब पर, सवाल उठाने वाले सदस्य ने कोई तर्क- विर्तक नहीं किया। बल्कि कप्तान की सीधी बात- नो बकवास ... को सुनकर चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

बंदी ...

शीर्षक पढ़कर अंदाजा नहीं लगाये। हम किसी जेल की घटना लिख रहे है। जहां पर बंदी रहते है। हमारा आशय उस बंदी से है। जो कि मासिक बांधी जाती है। हरे-गुलाबी रंगो वाली बंदी। जो कि अधिकारी की किस्मत में ही होती है। ऐसी ही एक बंदी की चर्चा इन दिनों संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। प्रतिमाह सवा पेटी की बंदी। इशारा ... गेहूं-चावल-नमक वाले विभाग की तरफ है। जो कि इन दिनों सुर्खियों में है। अंदरखाने की खबर है कि इस बंदी के चलते ही दुकानों का स्टाक कभी भी औचक चेक नहीं किया जाता है। विभागीय कर्मचारियों की बात 100 प्रतिशत सच है और हम कुछ नहीं कर सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नसीब-1...

बडा बेरहम होता है इंसान का नसीब। जो सारी प्लानिंग पर पानी फेर देता है। यह घटना उसी नसीब का प्रमाण है। जो कि एक विदाई समारोह में घटित हुई। फेयरवेल अपने 7 जिलों के मुखिया की थी। एक होटल में पार्टी थी। 7 जिलों के मुखिया को शायद विदेशी फूल पसंद है। इसलिए उनके लिए विशेष गुलदस्ते इंदौर से मंगवाये गये थे। लेकिन ऐन वक्त पर गुलदस्ते लेकर आ रही गाडी ट्राफिक जाम में फंस गई। नतीजा देशी फूलों के गुलदस्ते से काम चलाना पड़ा जब तक विदेशी फूलों के गुलदस्ते उज्जैन पहुंचे, तब तक सबकुछ निपट चुका था। अब इसे विदा ले चुके 7 जिलों के मुखिया का नसीब ही कहेंगे। विदेशी फूलों से उनकी विदाई नहीं हो पाई। ऐसी चर्चा स्मार्ट भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

नसीब-2 ...

विदाई समारोह में नसीब केवल अपने 7 जिलों के मुखिया का ही खराब नहीं था। बल्कि पार्टी में शामिल 2 अधिकारियों के नसीब पर भी उस दिन ग्रहण लगा था। तभी तो अपने स्मार्ट पंडित और इंदौरीलाल जी को अधूरी दावत से ही संतोष करना पड़ा। बेचारे ... दोनों अधिकारी के नसीब में मीठा नहीं लिखा था। यह दोनों जब मालपुआ और रबडी खाने पहुंचे। तब तक मीठा खत्म हो चुका था। दोनों ने संतोष किया। लेकिन जब चावल के साथ दाल भी नसीब नहीं हुई। पनीर की ग्रेवी के साथ चावल खाना पड़े। तो शायद दोनों को अहसास हुआ होगा। आज वाकई नसीब पर ग्रहण लगा है। इसीलिए तो स्मार्ट पंडित और इंदौरीलाल जी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मिनरल वॉटर ...  

आप और हम आमजनता हैं। जो कि मिनरल वॉटर का उपयोग केवल अपनी प्यास बुझाने के लिए करते है। किन्तु अतिविशिष्टजन के लिए यह मिनरल वॉटर नहाने के भी काम आता है। ऐसा हम नहीं, बल्कि मंदिर के अन्नक्षेत्र वाले कर्मचारी बोल रहे। तभी तो शुक्रवार को 4 कैरेट मिनरल वॉटर के तत्काल पहुंचाये गये। एक हस्ती को धर्मयात्रा के दौरान नदी में डूबकी लगानी पडी। अब शिप्रा का पानी कितना साफ है। यह हमें लिखने की जरूरत नहीं है। इसीलिए मिनरल वॉटर की डिमांड हुई थी। जो तत्काल पूरी हुई। अब 4 कैरेट अर्थात 40 बोतल पानी का उपयोग पीने में तो नहीं हुआ होगा? इसीलिए अन्नक्षेत्र वाले स्नान की तरफ इशारा कर रहे है। सच-झूठ का फैसला हमारे पाठक खुद करें। क्योंकि हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

दावेदारी ..

मिशन-2023 के लिए एक युवा नेता दावेदारी कर रहे है। बिलकुल गोपनीय तरीके से। राजधानी जाकर, उन सभी भाईसाहब से मिल रहे है। जो कि मदद कर सकते है। अपनी दावेदारी के लिए युवा नेता ने एबीवीपी के पूर्व मुखिया का भी सहारा लिया है। ऐसी चर्चा युवा कमलप्रेमियों के बीच सुनाई दे रही है। इशारा ... अपने गुमसुमयुवा की तरफ है। जो अपने पुराने साथी कहानीलालजी के साथ मिलकर भाईसाहबों के पास जा रहे है। निवेदन कर रहे हैं। कम से कम पैनल में तो नाम शामिल हो जाये। अब देखना यह है कि अपने गुमसुम युवा जी की दावेदारी कितना रंग लाती है। पैनल में नाम शामिल होता है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

हमारा दूल्हा ...

मिशन-2023 को लेकर कई कमलप्रेमी दूल्हे बने बैठे है। लेकिन हमारा दूल्हा हमने चुन लिया है। हमारा दूल्हा अपने पहलवान है। यह उद्गार कमलप्रेमी संगठन के संभागीय प्रभारी ने व्यक्त किये। उत्तर क्षेत्र के कार्यकर्ता सम्मेलन में। इस दौरान कई भावी दूल्हे मंच पर मौजूद थे। जिसमें प्रबल दावेदार प्रदेश खजांची सहित मेट्रो गली वाले नेताजी, पिपली राजकुमार आदि मौजूद थे। कमलप्रेमी कार्यकर्ता भी अच्छी-खासी संख्या में थे। ऐसे में संभागीय प्रभारी का ... हमारा दूल्हा पहलवान ... बोलना भावी दावेदारों को रास नहीं आया है। घोषणा के बाद दावेदारों के चेहरे देखने लायक थे। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

विदाई ...

तो आखिरकार अपनी घमंडी मैडम की भी फेयरवेल हो गई। हालांकि खुद उनको इस विदाई समारोह की उम्मीद नहीं थी। तभी तो उन्होंने उद्बोधन में कहा मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी। बल्कि मेरे जाने पर तो मिठाई बटनी थी। हालांकि उनके विदाई समारोह में पंचायत के नये मुखिया शामिल नहीं हुए। बस ... मातहत कर्मचारी मौजूद थे। विदाई पर घमंडी मैडम को एक पेटिंग भेट की गई। जो कि विशेषतौर पर इंदौर से मंगवाई गई थी। विदाई समारोह के लिए जमकर चंदा किया गया। दमदमा के उगरानीलाल जी ने। जनपदो और ग्रामीण सेवा से। ऐसी चर्चा दमदमा पंचायत भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। लेकिन चंदा देने वाले खुश है। वजह ... अपनी घमंडी मैडम से आखिरकार मुक्ति मिल गई। इसलिए हम भी चंदा देने वालो की खुशी में शामिल होकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

फिसड्डी ...

आज पंजाप्रेमियों के नेता का आगमन हो रहा है। बाबा की सवारी में। इन्ही पंजाप्रेमी नेताजी ने राजधानी में पिछले दिनों फिसड्डी शब्द का उपयोग किया था। घटना एक बैठक की है। जिसमें अपने बिरयानी नेताजी, सूरज अस्त-हम मस्त, 5 वीं फेल नेताजी सहित जनप्रतिनिधि शामिल थे। मंडलम और बूथ को लेकर बैठक थी। जिसमें शहरी क्षेत्र में काम नहीं करने का खुलासा हुआ। नतीजा संगठन के मुखिया ने फिसड्डी की उपाधि से विभूषित कर दिया। इशारा अपने सूरज अस्त- हम मस्त की तरफ था। ऐसा हम नहीं, बल्कि पंजाप्रेमी बोल रहे है। लेकिन हमको इस फिसड्डीपन से क्या लेना-देना। हमारा तो काम है बस अपनी आदत के अनुसार चुप रहना।

नाराज ...

संकुल के गलियारों में यह चर्चा सुनाई दे रही है। अपने उत्तम जी नाराज है। नाराजगी की वजह प्रभारी डिप्टी कलेक्टर की कार्यशैली है।  यह अधिकारी अपने उत्तम जी की गुडबुक वाले बताये जाते है। लेकिन जब से खनिज के प्रभारी बने है। तब से इनका पूरा ध्यान इसी कमाई वाले विभाग में रहता है। अनुभाग के कामों से इनको विरक्ति हो गई है। सुबह-शाम खनिज में ही नजर आते है। राजस्व काम प्रभावित हो रहे है। इसीलिए नाराजगी है। दबी जुबान से अधिकारियों में चर्चा है। 25 पेटी कमाई की। अब यह बात सच है या झूठ। हमको पता नहीं है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

निगाहें ...

मिशन-2023 को लेकर अपने पहलवान अलर्ट है। तभी तो अपने खजांची जी के जन्मदिन पर 3 घंटे कार्यक्रम में मौजूद रहे। बकायदा, गेट से थोड़ी दूर पर कुर्सी डालकर बैठे थे। इधर यह जन्मदिन अपने खजांची जी का शक्ति प्रदर्शन था। अच्छी भीड जुटाई। जिस पर अपने पहलवान की निगाहें लगी रही। वह चुपचाप बैठे सब देखते रहे। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। देखना यह है कि अब अपने पहलवान की निगाहों में चढे कमलप्रेमियों से पहलवान कैसे निपटते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

ईमानदारी ...

अगर हम अपने पाठकों को यह बताएं। जिले में एक ऐसे अधिकारी का आगमन हुआ है। जो कि आईएएस होने के बाद भी सरकारी सुविधा का दुरूपयोग नहीं करता है। हमारी बात पर शायद भरोसा ना हो। लेकिन यह सच है। दमदमा के ग्रामीण भवन में यही चर्चा है। नवागत अधिकारी जब रात को देवी अहिल्या नगरी जाते है। तो सरकारी वाहन नहीं ले जाते है, बल्कि अपने निजी वाहन से जाते है। तभी तो दमदमा के गलियारों में उनकी ईमानदारी के चर्चे सुनाई दे रहे है। देखना यह है कि ईमानदारी कब तक कायम रहती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चलते-चलते ...

शिवाजी भवन के गलियारों में यह चर्चा है। एक नगरसेवक ने अपनी ही बिटिया  का नाम सफाईकर्मी की सूची में दर्ज करवा दिया है। घर बैठे भुगतान ले रहे है। वार्ड के दरोगा को यह पता है। मगर वह चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप  हो जाते है।

माफी
हम अपने सम्मानित पाठको से माफी चाहते हैं।आज उनका मनपसंद कालम हम चुप रहेंगे समय पर अपलोड नही कर पाए।कारण ..तकनीकी खराबी के चलते...हमको भरोसा है कि पाठकगण ,जरूर माफ करेंगे,बाकी हम अपनी आदत के अनुसार चुप रहेंगे |