15 मई 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

15 मई 2023 (हम चुप रहेंगे)

एकजुट ...

ज्यादा समय नहीं हुआ है। जब जिले के चारों पंजाप्रेमी प्रतिनिधि अलग-अलग दिशा में चलते थे। पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण। मंच पर भले ही एकसाथ नजर आते थे। अपने चरणलाल जी, मिश्रीलाल जी, दरबार व पहलवान। लेकिन कभी भी  एकसाथ किसी अधिकारी से मिलने नहीं जाते थे। सब अपने-अपने रास्ते चलते थे। लेकिन अब यह सभी एकजुट हो गये है। तभी तो पिछले दिनों यह चारों अपने उत्तम जी और कप्तान से मिलने पहुंचे। बंद कमरे में चारों ने अपने-अपने दुखड़े सुनाये। अपने उत्तम जी और कप्तान ने भी पूरा समय दिया। लेकिन चर्चा क्या हुई? इसका खुलासा नहीं हो पाया है। ऐसा पंजाप्रेमी बोल रहे है। अब देखना यह है कि इन चारों की एकता क्या रंग लाती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नारी-सम्मान ...

पंजाप्रेमियों ने अभी-अभी नारी-सम्मान को लेकर पत्रकारवार्ता करी। जिसमें सज्जन भय्या भी शामिल हुए। लेकिन शहर की पंजाप्रेमी नारी मुखिया ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाकर रखी। नतीजा पुरानी मुखिया को बैठाकर काम चलाना पड़ा। इसके पहले एक सवाल भी उठा। पत्रकारवार्ता का खर्च कौन उठायेगा। तब मुफ्त की होटल तलाश की गई। जिसके बाद भोजन का मसला उठा। तो एक नेता को ब्लॉक अध्यक्ष बनाने का लालच दिया गया। अपने सूरज अस्त- हम मस्त ... नेताजी ने। तब भोजन की व्यवस्था हुई। इसमें भी खेल किया। पहले खबरचियों के हिसाब से प्लेट लगवा दी। ताकि बाकी पंजाप्रेमी भोजन पर नहीं टूट पड़े। ऐसा हम नहीं बल्कि पंजाप्रेमी बोल रहे है। अब पंजाप्रेमी झूठ तो बोल नहीं रहे है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

झूठ ...

जनाब वसीम बरेलवी साहब ने खूब लिखा है। वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से/ मैं एतबार ना करता तो और क्या करता...। इस अशआर को इन दिनों 2 पंजाप्रेमी नेता गुनगुना रहे है। पहले नेता सूरज अस्त- हम मस्त वाले है। तो दूसरे अपने छोटे बटला जी। मामला ईद मिलन समारोह से जुड़ा है। अपनी पंजाप्रेमी भाभी जी ने कार्यक्रम रखा था। जिसमें बाबा साहब का कार्यक्रम जुडवा दिया गया। जुडवाने वाले अपने चरणलाल जी थे। इसकी भनक इन दोनों नेताओं को लगी। इन्होंने चरणलाल जी को पकड़ा। अपने चरणलाल जी ने मुंह पर साफ इंकार कर दिया। मैने कार्यक्रम नहीं जुडवाया। मगर पोल खुल ही गई। जब चरणलाल जी कार्यक्रम में पहुंचे। तो संचालक मीठी सुपारी ने बोल दिया। बाबा साहब को लाने का खुलासा कर दिया। जिसके बाद सूरज अस्त-हम मस्त और छोटे बटला जी अपने वसीम साहब को गुनगुना रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

कम्प्यूटर- प्रिंटर ...

वेतन अगर चाहिये? तो हमारी डिमांड पूरी करो। क्या किसी सरकारी विभाग से ऐसी मांग रखना उचित है। कारण ... सरकारी कर्मचारी पूरे महीने इसीलिए मेहनत करता है। उसको समय पर वेतन मिल जाये। ताकि वह अपनी  पारिवारिक जरूरतों को पूरा कर सके। यह सवाल इन दिनों शिक्षा विभाग में गूंज रहा है। क्योंकि इस विभाग से कम्प्यूटर और प्रिंटर की डिमांड की जा रही है मांग करने वाली अपनी घमंडी मैडम की मुंहलगी कर्मचारी है। जिसने शर्त रख दी है। कम्प्यूटर- प्रिंटर दो और वेतन वाली फाइल पर हस्ताक्षर करवा लो। अपनी घमंडी मैडम ने भी इस महिला कर्मचारी को सिर पर चढ़ा रखा है। ऐसी दमदमा के गलियारों में चर्चा है। नतीजा ... अब आशा भरी नजरों से सब अपने उत्तम जी की तरफ देख रहे है। शायद ... उत्तम जी की कृपा से वेतन मिल जाये। देखना यह है कि अपने उत्तम जी क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

ससुर जी ...

शिक्षा विभाग में एक तरफ जहां वेतन को लेकर परेशानी है। वही दूसरी तरफ ससुर जी के कारनामों से विभाग दु:खी है। चाय से ज्यादा केतली गर्म की तर्ज पर ससुर जी हुक्म दनदनाते रहते है। जबकि इनकी योग्यता केवल यह है कि ... इनकी बहू जनप्रतिनिधि है। दमदमा के ग्रामीण विकास विभाग में इनका कार्यालय है। बेचारी ... बहू बहुत विनम्रशील है। किन्तु ससुर जी हमेशा घोड़े पर सवार रहते है। अनाप-शनाप फरमाईश करते है। जिसके चलते जल्दी ही ससुर जी का सार्वजनिक अभिनंदन हो सकता है। ऐसी चर्चा दमदमा के गलियारों में सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

आप कौन ...  

अपने इंदौरीलाल जी इन दिनों मंदिर में पूरा समय दे रहे है। औचक निरीक्षण भी करते है। ऐसे ही एक निरीक्षण की यह घटना है। जिसमें अपने इंदौरीलाल जी से एसएफ के जवान ने पूछ लिया। आप कौन... ? अपना परिचय पत्र दिखाये। दरअसल घटना सूर्यमुखी गेट की बताई जा रही है। जहां पर अपने इंदौरीलाल जी ने एसएफ जवान को देखा। जो किसी को लेकर दर्शन करवाने आया था। इंदौरीलाल जी ने उससे पूछ लियायहां कैसे ... कौन हो...। इस पर उल्टा चोर कोतवाल को डाटे की तर्ज पर एसएफ जवान ने सवाल कर लिया। आप कौन... अपना परिचय पत्र दिखाओं। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। घटना सच है या झूठ। इसका फैसला हमारे पाठक खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

किसने भगाया ...

मंदिर में पिछले सप्ताह फर्जी रसीद के जरिये दर्शन करवाने का मामला पकड़ाया था। अपने इंदौरीलाल जी की सजगता के चलते। उनकी टीम ने ही उस दलाल को पकडा था। जो कि फोटोकॉपी के माध्यम से भक्तों को अंदर ले जा रहा था। उसी दौरान की यह घटना है। दलाल को टीम पकडकर ले जा रही थी। तभी मंदिर के एक कर्मचारी ने दलाल को भगाने में मदद की। यह कहकर छुडवा दिया कि ... अपना ही बंदा है। यह कर्मचारी मंदिर प्रोटोकॉल से जुड़ा हुआ है। इसकी पडोसी जिले में सोमरस की एक दुकान भी है। इसी कर्मचारी ने दलाल को भगाने में मदद की थी। ऐसा मंदिर के कर्मचारी बोल रहे है। उनकी बात 100 प्रतिशत सच भी है। लेकिन अपने इंदौरीलाल जी मेहरबान है। इसलिए सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

बूझो तो जाने ...

सोशल मीडिया पर इन दिनों कमलप्रेमी अपनी भडास निकाल रहे है। कमलप्रेमी वह सब लिख रहे है। जो कि सामने नहीं बोल सकते है। कुछ बानगी देखिए। जो कि सोशल मीडिया पर कमलप्रेमियों द्वारा लिखी जा रही है। भाई साहब... कार्यकर्ता की तरफ देखना नहीं चाहते। फिर वोटिंग वाले दिन कार्यकर्ता को वोटिंग मशीन में अपने भाई साहब... नहीं दिखाई देते है।  भाई साहब... अपनी अक्ल की दाढ़ से कार्यकर्ता को सिद्धाई पेल रहे है। इधर कार्यकर्ता शांत मन से भाई साहब... को चुनाव में पेलने की सोच रहा होता है। भाई साहब... खुद को पुष्पराज समझ चुके है... मैं झूकेगा नहीं साला ... ! 2023 में भाई साहब... को जनता झुका ही देगी। अब यह भाई साहब... कौन है। अगर कमलप्रेमी बूझे तो हम जाने। वरना हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।