08 अप्रैल 2024 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

08 अप्रैल 2024 (हम चुप रहेंगे)

नारेबाजी ...

 मंदिर के गलियारों में चर्चा है। आमजनता द्वारा की गई नारेबाजी की। घटना उस दिन की है। जब कमलप्रेमी संस्था के मुखिया आये थे। अतिविशिष्ट अतिथि के लिए भक्तों को रोक दिया था। तपती दोपहर में भक्तों का पारा चढ़ गया। उन्होंने नारेबाजी कर दी। उस वक्त, जब मेहमान वापस जा रहे थे। इस घटना की पुष्टि दबी जुबान में सभी कर रहे है। लेकिन खुलकर कोई नहीं बोल रहा है। घटना के बाद सीसीटीवी फूटेज भी देखे गये। खोजबीन की जा रही है। आखिर इस नारेबाजी के पीछे किसका हाथ था। अभी तक कुछ खुलासा नहीं हुआ है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

 बदला नहीं हूं ...

 हेलीपेड पर अपने विकासपुरूष विदाई देकर फ्री हुए थे। राष्ट्रीय मुखिया को। जिसके बाद वहां मौजूद कमलप्रेमियों के हत्थे चढ गये। कमलप्रेमियों को इस पल का बेसब्री से इंतजार था। क्योंकि काफी  समय से हंसी-मजाक- ठिठोली नहीं हो पा रही थी। मर्यादा का ध्यान रखना पड़ता है। मगर उस दिन खुद विकासपुरूष ने पहल की। उन्होंने कहां कि ... मैं आज भी तुम्हारे साथ खडा हूं। बस यह बता दो।  3-4 महीने में, मैं बदला तो नहीं हूं। विकासपुरूष की बाते सुनकर वहां मौजूद कमलप्रेमियों में खूब ठहाके लगे।अब हर कमलप्रेमी विकासपुरूष से खुश है। तो हम भी उनकी खुशी में शामिल होकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

छुडा देगी...

संकुल के गलियारों से लेकर फल-फूल वाले विभाग में एक अशआर सुनाई दे रहा हैरिश्वत के भी दो पहलू है/ लोगे तो फसा देगी/ दोगे तो छुडा देगी...! इशारा रंगे हाथों वाले विभाग की तरफ है। 2 मामले चर्चा में है।पहला मामला करीब 2 महीने पुराना है। एक शिकायत हुई थी। गेंहू-मक्का-बाजरा खरीदने वाले विभाग की। शिकायत को लेकर जांच हुई। ऊपर तक खलबली मची। फिर सबकुछ शांत हो गया। दूसरा मामला इससे भी पुराना है। करीब 4 महीने पुराना। फल-फूल वाले विभाग के कर्मचारी को रंगे हाथों पकड़ा था। शाम को 6 बजे बाद। इस मामले में फल-फूल वाले विभाग के मुखिया पर भी उंगली उठी थी। फरियादी ने स्पष्ट इशारा किया था। विभाग के मुखिया भी इसमें शामिल है। मगर उनको बख्श दिया गया। तभी तो किसी शायर का यह अशआर सुनाई दे रहा है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है। 

इंजीनियर हूं ...

अपने तीसरे माले के मुखिया ने इंजीनियरों की धुनाई कर डाली। दूसरे माले पर चल रही बैठक में। अभी तक निर्माण करने वाले विभाग डीपीआर के नाम पर मूर्ख बनाते रहते थे। मगर अब ऐसा संभव नहीं होगा। क्योंकि तीसरे माले के मुखिया खुद इंजीनियर है। तभी तो उन्होंने फटकार लगाते हुए कह दिया। डीपीआर बनाने में 1 साल लगेंगे। मैं भी इंजीनियर हूं। मुझे मत बताओं। तीसरे माले के मुखिया ने जैसे ही यह रहस्य उजागर किया। निर्माण विभाग के अधिकारियों के चेहरे देखने लायक थे। ऐसा बैठक में मौजूद लोगों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

 इलाज ...

 पिछले साल एक कथावाचक आये थे। बडऩगर रोड पर। बाबा की  नगरी में। अच्छी-खासी दक्षिणा बटोरकर ले गये थे। इन्हीं कथावाचक को पिछले दिनों किसी ने नारियल फेककर मार दिया। कथावाचक चोटिल हो गये। अपना इलाज कराने चुपचाप बाबा की नगरी में आये थे। 2 दिन तक अपना में भर्ती रहे। किसी को कोई खबर नहीं हुई। इलाज करवाया और चुपचाप निकल गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

 फीडबैक... 

अपने कप्तान जी नवाचार कर रहे है। अपराधों को लेकर फीडबैक ले रहे है। आमजनता से। वर्दी का यह नया चेहरा है। जो हमदर्दी का स्लोगन पूरा कर रहा है। मगर कामयाबी तभी मिलेंगी। जब हम और आप जागरूक नागरिक बनेंगे। किसी शायर ने खूब लिखा है। कुछ ना कहने से भी छिन जाता है एजाजे सुखन/ जुल्म सहने से भी जालिम की मदद होती है... ! कप्तान के इस नये प्रयोग के लिए हम अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

 8 वां मोर्चा ...

 कमलप्रेमियो में चर्चा है। एक नया मोर्चा गठन की। जिसे  8 वां मोर्चा बोला जा रहा है। नाम तक दबी जुबान से कमलप्रेमियों ने सोच लिया है। आयातित मोर्चा। इशारा एक के बाद एक पंजाप्रेमी नेता, अपने समर्थकों के साथ कमलप्रेमी बन रहे है। उन पंजाप्रेमियों की तरफ है। जिस तेजी से यह संख्या बढ रही है। उसको लेकर ही कमलप्रेमी यह कह रहे है। क्योंकि अभी तक अजा-अजजा-महिला- अल्पसंख्यक- युवा- पिछड़ा व किसान मोर्चा ही कमलप्रेमियों की पहचान थे। मगर अब नये-नवेलो के लिए आयतित मोर्चा गठन करना पड़ेगा। यह स्वर नाराजगी के है। मगर हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

 श्रेय...

 पंजाप्रेमी पूर्व माननीय को कमलप्रेमी बनाने का असली श्रेय आखिर किसको जाता है। यह सवाल कमलप्रेमी पूछ रहे है। फिर खुद ही उत्तर भी दे रहे है। यह सारी रणनीति अपने विकासपुरूष की थी। पूर्व पंजाप्रेमी ब्लॉक अध्यक्ष (अब कमलप्रेमी) का अपने विकासपुरूष से दशकों पुराना संबंध है। घरेलू संबंध। उन्हीं के माध्यम से रणनीति बनी और विकासपुरूष को सफलता मिली। जिसके बाद बाकी कमलप्रेमी फोटो खिचवाकर श्रेय ले रहे है। कमलप्रेमी सब जानते है। मगर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

शर्त ...

 अपने पंजाप्रेमी चरणलाल जी मिशन-2024 के लिए प्रत्याशी है। उनके सामने कमलप्रेमी वजनदार जी है। जो कि 5 लाख पार का दावा कर रहे है। उनके दावे का सच जून में उजागर होगा। मगर पंजाप्रेमी चरणलाल जी मिशन-2024 के लिए क्यों राजी हुए। जबकि बयार कमल की है। तो अंदरखाने की खबर है। अपने चरणलाल जी इस शर्त पर चुनाव लड रहे है। अगला मिशन-2027 वह घट्टिया से लडेंगे। उनकी इस शर्त को पंजाप्रेमी हाईकमान ने मान लिया है। तभी वह चुनाव लड रहे है। देखना यह है कि 2027 में उनकी विधानसभा बदलती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

 नंबर-15 ...

 आगजनी कांड में आंकड़ा 14 का घोषित किया गया। मगर मंदिर के गलियारों में चर्चा है। घायल का आंकड़ा 15 का था। घटना वाले दिन गर्भगृह में एक अन्य सज्जन भी थे। जो कि कभी फूलपेंटधारी थे। मगर अब सेवानिवृत्त हो चुके है। इसलिए बाबा की भक्ति में लीन रहकर, अपना समय काट रहे है। वह भी आग से कुछ हद तक प्रभावित हुए है। लेकिन ज्यादा नहीं। घटना होने के बाद वह चुपचाप निकल गये थे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

 मोह ... 

अपने उत्तर के हाईनेस को कचोरी से कुछ ज्यादा ही मोह है। तभी स्थापना वाले दिन वह इंतजार करते रहे। लगभग 45 मिनिट तक। जब तक कचोरी नहीं आई। वह बैठे रहे और खाकर ही गये। उनके साथ अपने ढीला-मानुष भी इंतजार में बैठे रहे। वजह यह थी कि पहले 100 कचोरी बुलाई थी। मगर कार्यकर्ता 250 आ गये। बेचारे हाईनेस तक कचोरी नहीं पहुंच पाई। अब कमलप्रेमी उनके कचोरी मोह को लेकर चर्चा कर रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।