31 अक्टूबर 2022 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

31 अक्टूबर 2022 (हम चुप रहेंगे)

नहीं बनाना ...

अपने विकास पुरूष नारी शक्ति की इज्जत करते है। पूरा सम्मान उनके हाव-भाव से झलकता है। आज तक कभी कोई उन पर ऊंगली उठाना तो दूर, इसको लेकर सोचता भी नहीं है। लेकिन उनके एक समर्थक इस मामले में काफी नाम कमा चुके है। अपने द्विअर्थी संवाद के लिए कमलप्रेमियों में चर्चित है। शायद यह बात अपने विकास पुरूष के संज्ञान में नहीं है। तभी तो उन्होंने सिफारिश कर दी। अपने ढीला-मानुष की जगह द्विअर्थी संवाद वाले नेता को नया मुखिया बनाने की। मगर यह बात बाकी सभी को पसंद नहीं आई। इसलिए सभी ने एक स्वर में बोल दिया नहीं बनाना... नहीं बनाना... अपने ढीला-मानुष ही अच्छे है। ऐसा इन दिनों कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते है।

चक्कर ...

हम उस चक्कर की बात नहीं कर रहे है। जिसे हमारे पाठक समझ रहे है। हम तो विपदा में आने वाले चक्कर की बात कर रहे है। फिर अगर मुसीबत ऐसी हो, जिससे पूरा कैरियर तबाह होने वाला हो। तब चक्कर आना स्वभाविक है। अपने पपेट जी, भले ही महाकाल की नगरी से दूर है। लेकिन जब उनको नोटिस मिला, तो उनको चक्कर आ गये। ऐसा उनसे जुड़े करीबी बोल रहे है। बोलने वालो की बात में दम भी है। क्योंकि मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है। जिसके उजागर होने से चक्कर आना स्वभाविक है। अब देखना यह है कि अपने पपेट जी इस चक्कर से कैसे निकलते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

क्या हुआ ...

अपने विकास पुरूष विद्वान है। इसमें हमको या किसी भी कमलप्रेमी को शक नहीं है। वह हमेशा मौके की नजाकत देखकर ही उद्बोधन देते है। कभी भी उनको विषय से भटकते नहीं देखा। मगर दीपपर्व मिलन समारोह में ऐसा हो गया। कमलप्रेमी मुख्यालय पर सभी मौजूद थे। अपने विकास पुरूष ने बोलना शुरू किया। किन्तु थोड़ी देर बाद ही विषय से भटक गये। वह समझ बैठे कि ... चक्रम के मंच से उद्बोधन दे रहे है। इसलिए उन्होंने ए और बी ग्रेड को लेकर बोलना शुरू कर दिया। जिसे सुनकर सभी कमलप्रेमी एक-दूसरे से... क्या हुआ... क्या हुआ बोलने लगे। किसी ने दबी जुबान से धीरे से बोलाचक्रम का बेताल सिर चढ गया। जिसे सुनकर बाकी सभी मुस्कुरा दिये और चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

वक्त ...

समय बडा बलवान... वही अर्जुन वही बाण। कमलप्रेमी इन दिनों इस लाइन को याद कर रहे है। इशारा अपने कमलप्रेमी दादा की तरफ है। जो कि इन दिनों संगठन में टॉप-10 में शामिल है। पिछले कई सालों से लूप लाइन में थे। अभी-अभी अपने दादा को मामा जी की  जगह मिली है। बस उसके बाद तो अपने दादा का वक्त बदल गया है कल तक जो कमलप्रेमी दादा को देखकर दूर भागते थे। अब उनके घर जाकर दीवाली की शुभकामनाएं दे रहे है। सोशल मीडिया पर तस्वीरे भी अपलोड कर रहे है। आखिर ... दादा चुनाव समिति के सदस्य है। मगर अपने दादा सब समझ रहे है। राजनीतिक वनवास ने उनको और ज्यादा समझदार बना दिया है। इसीलिए अपने दादा भी मजे लेते हुए चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

ऐसा भी होता है ...

ऐसा कभी देखा नहीं है। ना किसी से कभी सुना। क्योंकि हमेशा यही होता आया है। जब-जब जिले के मुखिया अवकाश पर जाते है। तो अपना सरकारी भोपू बकायदा सूचना जारी करता है। जिससे यह पता चल जाता है कि ... वर्तमान में जिले का प्रभारी कौन है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। अपने उम्मीद जी कब अवकाश पर चले गये। इसकी जानकारी किसी को भी नहीं लगी। सरकारी भोपू ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। तभी तो संकुल के गलियारों में ... ऐसा भी होता है... ऐसा भी होता है... सुनाई दे रहा है। लाख टके का सवाल यह है कि ... आखिर अवकाश की बात क्यों छुपाई गई। इसको लेकर चर्चा करने वाले सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

सवाल ...

संकुल से स्मार्ट भवन तक एक ही सवाल इन दिनों सुनाई दे रहा है। सवाल महत्वपूर्ण है। क्योंकि महाकाल लोक से जुड़ा है। जिसमें अपने 15 अधिकारी लपेटे में आ गये है। सवाल यह है कि ... आखिर एक साथ 15 कैसे लपेटे में आ गये? तो इसका जवाब एक पत्र है। जो कि अपने पपेट जी ने लिखा था | स्मार्ट भवन में चर्चा है कि अगस्त माह में यह पत्र लिखा था । जिसमें सभी 15 का  हवाला देते हुए यह दर्शाया गया। अकेले मेरा दोष नहीं है। समिति व मंडल के सदस्यों की सहमति से ही परिवर्तन किया गया था। सभी ने इस पर सहमति जताई थी इस पत्र के पहुंचने के बाद ही 15 लपेटे में आये है। अब देखना यह है कि पत्र लिखने वाले अपने पपेट जी, खुद के पैर पर कुल्हाडी मारकर, इस मुसीबत से कैसे निकलते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

18 बनाम 5 ...

शिवाजी भवन से लेकर स्मार्ट गलियारों तक 18 बनाम 5 की चर्चा सुनाई दे रही है। यह बात जगजाहिर है। शिवाजी भवन में भुगतान के बदले 18 प्रतिशत कमीशन देना पडता है। लेकिन स्मार्ट गलियारों में केवल 5 प्रतिशत से काम चल जाता है। इतनी कम दर होने के बाद भी, बदनामी हो गई। वह भी अखिल भारतीय स्तर पर। तभी तो मूंछ पर ताव देकर शिवाजी भवन वाले बोल रहे है। बद अच्छा... बदनाम बुरा। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस आदत के अनुसार चुप ही रह सकते है।

शिकायत ...

अपने लेटरबाज जी की किस्मत पर कोई ग्रहण लग गया है। तभी तो आज फिर उनकी शिकायत हो गई। हालांकि वह हर रोज हनुमान बाबा के दर्शन करते है मगर बहुत ही हड़बड़ी में। तभी तो रविवार को दूसरी शिकायत हो गई। दोनों दफा कमलप्रेमी संगठन के वरिष्ठों को शिकायत की गई। आज संगठन मंत्री और कमलप्रेमी संगठन मुखिया आये थे। मुख्यालय पर जनपद अध्यक्ष पति ने शिकायत कर दी। जिसमें अपने लेटरबाज जी पर भेदभाव का आरोप लगाया है। जो कि संगीन मामला है। इसके पहले 1 खोखा लेनदेन की शिकायत हुई थी। दोनों बार राजधानी से आये वरिष्ठों ने यही आश्वासन दिया। गंभीरता से इस पर विचार करेंगे। अब देखना यह है कि दोनों शिकायतों पर कमलप्रेमी संगठन, कितनी गंभीरता-कब तक दिखाता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नामकरण ...

तो आखिरकार स्मार्ट के गलियारों में बैठने वालो ने खुद ही नामकरण कर दिया। तभी तो हर कोई दबी जुबान से बोल रहा हैस्मार्ट- पंडित जी। यह नामकरण हमको भी पसंद आया। क्योंकि जिनका नामकरण किया गया है। वह वाकई में स्मार्ट पंडित जी है। इनकी बातों से अपने रहस्यमय- मुस्कान जी की याद आ जाती है। जो इन दिनों आगर में विराजमान है। अपने स्मार्ट-पंडित जी, बिलकुल रहस्यमय- मुस्कान की कार्बन कॉपी है। दोनों की विशेषता और गुण 100 प्रतिशत मिलते है। एक हाथ की खबर ... दूसरे को नहीं होने देते है। तभी तो स्मार्ट गलियारों में इनको स्मार्ट- पंडित जी बोला जा रहा है। अब स्मार्ट- पंडित जी आखिर कौन अधिकारी है? तो हमारे पाठक समझ गये होंगे। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

तैयारी ...

पुस्तक- कांड याद होगा। महिदपुर तहसील का मामला है। जिसमें ताजा सत्र की सरकारी किताबे, एक कबाडी को बेच दी गई थी। मामला उजागर हुआ तो बवाल खड़ा हो गया था। नतीजा ... निलंबन हुआ और नोटिस जारी हुए। इसी मामले में अब सेटिंग की खबर सामने आ रही है। शिक्षा विभाग के गलियारों में सुगबुगाहट है। 2 पेटी में सौदा हुआ है। जिसके चलते जल्दी ही निलंबन से बहाली हो सकती है। अब बात सच है या झूठ। इसका फैसला तो बहाली के बाद ही होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चिंता ...

कमलप्रेमियों में इन दिनों जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा है। वह महाकाल लोक है। लेकिन यह चर्चा अब चिंता में बदल गई है। तभी तो कमलप्रेमी बोल रहे है। मिशन-2023 में महाकाल लोक बड़ा मुद्दा बन सकता है। कमलप्रेमियों की इस चिंता का हमारे पास कोई इलाज नहीं है। तो हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेरी पसंद ...

कुर्सी है, कोई जनाजा तो नहीं / कुछ कर नहीं सकते, तो उतर क्यों नहीं जाते...! अब इशारा किसकी तरफ है। इसको लेकर हम अपनी आदत के अनुसार चुप रहेंगे।