20 मार्च 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
फरार ...
15 खोखा कांड में सबसे पहला आरोपी कहां से फरार हुआ? उसको आखिर किसने इशारा दिया? इसको लेकर संकुल के गलियारों में चर्चा है। इस कांड की जांच अपने मुखिया जी ने, अपर कलेक्टर को दी थी। एफआईआर के पहले जेल वाली बुआ जी मिलने गई थी। उनके साथ वह जेलकर्मी भी था। जो सबसे पहले फरार हुआ। दोनों को यह उम्मीद थी। अभी तो जांच ही चल रही है। 2-3 महीने जांच के नाम पर निकल जायेंगे। लेकिन अपने अपर साहब ने सीधे बोल दिया। एफआईआर करवा रहे है। यह सुनते ही जेल वाली बुआ जी को झटका लगा। उन्होंने बाहर खड़े जेलकर्मी को किसी तरह खबर कर दी। बस ... फिर क्या था। गबन कांड का यह आरोपी, संकुल से ही फरार हो गया। जिसके बाद आज तक गायब है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस ... अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
गुरू कौन ...
15 करोड़ी कांड का मास्टर माइंड कौन है। आखिर यह सलाह किसने दी थी। रूपया कमाने का यह अनोखा रास्ता किसने सुझाया था। तो इसके लिए कुछ साल पीछे जाना पड़ेगा। सभी को पता है। जेल में एक हैकर बंद था। जिसको लेपटॉप दिया गया था। उसी हैकर ने इस तरीके से रूपया कमाने का रास्ता सिखाया था। ऐसा हम नहीं, बल्कि जांच कर रही वर्दी का भी मानना है। वर्दी की बात में दम है। बाद में हैकर का खुलासा हुआ तो उसको यहां से ट्रांसफर कर दिया गया। लेकिन जेलकर्मियों की दाढ़ में खून लग गया। नतीजा सामने है। अपनी जेल वाली बुआ जी भी इस कांड में फस गई। देखना यह है कि ... जेल की पुरानी अम्मां की कितनी सहभागिता इस कांड में सामने आती है। क्योंकि कुछ मामले उनके कार्यकाल के भी दबी जुबान में वर्दी स्वीकार कर रही है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
गरीब ...
अपनी जेल वाली बुआ जी गरीब है। इतनी गरीब की, वह कोरियर वाले को 1 हजार रूपये नहीं दे पा रही थी। ऐसी चर्चा अपने मीडियाकर्मी कर रहे है। एक घटना शहर के खबरची चटकारे लेकर सुना रहे है। जो इसके प्रत्यक्षदर्शी भी है। जेल वाली बुआ जी, खबरचियों से बातचीत कर रही थी। तभी एक कोरियर लेकर डिलेवरी वाला आया। उसने अपनी बुआ जी से डिलेवरी के बाद 1000 रूपये मांगे। यह सुनते ही अपनी बुआ जी, दीन-हीन सुदामा वाली स्टाइल में आ गई। बोलने लगी... मेरे पास तो है नहीं। फिर घंटी बजाई। प्रहरी आया। उसको बोला गया। तुम अपनी तरफ से दे दो। अपनी बुआ जी की यह स्टाइल देखकर खबरची आश्चर्य-चकित थे। अब उनसे 15 खोखा कांड में पूछताछ हो रही है। तो मीडियाकर्मी अपनी बुआ जी की गरीबी का मजाक बना रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते है।
झूठा ...
मेरे से गलती हो गई है। इसको सुधारना चाहता हूं। मैं प्रायश्चित करना चाहता हूं। बताओं कैसे कंरू। यह हम नहीं बोल रहे है। बल्कि अपने युवा कमलप्रेमी बोल रहे है। इशारा अपने युवा स्वागत प्रेमी जी की तरफ है। जो कि इन दिनों हर नाराज युवा कमलप्रेमी से यही बोल रहे है। युवा कमलप्रेमियों का इशारा घोषित हुई नई कार्यकारिणी की तरफ है। जिसमें अपने स्वागत प्रेमी ने मनमर्जी चलाकर, अपने पहलवान सहित सभी को नाराज कर दिया है। अब इन रूठो को मनाने के लिए अपने स्वागत प्रेमी ने यह चाल चली है। सभी से मिलकर ऊपर लिखे शब्द बोल रहे है। ताज्जुब की बात यह है कि ... उनकी पोल खुल चुकी है। युवा कमलप्रेमी अब स्वागत प्रेमी को झूठा-झूठा भी बोल रहे है। युवा कमलप्रेमियों की बात 100 प्रतिशत सच है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
नकली ...
शीर्षक पढ़कर यह अंदाजा नहीं लगाये। हम बाजार में बिकने वाले किसी नकली उत्पाद का जिक्र कर रहे है। हम तो घट्टिया ब्लॉक के उस कमलप्रेमी नेता की बात कर रहे है। जो कि इन दिनों गाली-कांड के कारण सुर्खियों में है। हमेशा दरबार के अंदाज में रहते है। बातचीत का लहजा भी वैसा ही दर्शाते है। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर , गाली-कांड के बाद उनको सभी ... नकली-नकली बोल रहे है। नकली क्यों बोल रहे है। यह हमारी समझ से परे है। पूछने पर कमलप्रेमी खुलासा भी नहीं कर रहे है। वैसे ... अंदरखाने की खबर है। गाली-कांड को अंजाम देने वाले दरबार ने शनिवार को माफी मांगकर मामले का पटाक्षेप कर दिया है। मगर नकली क्यों बोला जा रहा है। इसका खुलासा होना बाकी है। जल्दी ही होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
अतिथि कलाकार ...
अपने खजांची जी को भूले तो नहीं होंगे हमारे पाठक। वही शिवाजी भवन वाले। पिछले दिनों तक सबसे पॉवरफूल अधिकारी थे। फिर कार्य विभाजन हुआ। जिसमें अपने स्मार्ट पंडित जी ताकतवर हो गये। किन्तु स्मार्ट पंडित जी की खासियत है। वह एयरकंडीशन में काम करते है। चौराहे-चौराहे पर घूमने वाले नहीं है। जबकि शिवाजी भवन में ऐसे अधिकारी जरूरत होती है। जो हर जगह उपलब्ध रहे। इधर अगले महीने शिवपुराण कथा होने वाली है। जिसकी व्यवस्था अपने खजांची जी को थोपी जा रही है। नतीजा ... खजांची जी ने खुद को अतिथि कलाकार बताते हुए, हाथ खड़े कर दिये है। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन में सुनाई दे रही है। अब देखना यह है कि अपने स्मार्ट पंडित जी कितनी भागा-दौड़ी करते है और अतिथि कलाकार क्या भूमिका निभाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
शिकायत ...
जिले के मुखिया जी को एक शिकायत हुई है। मंदिर में चल रहे धंधे की। इशारा भस्मार्ती अनुमति की तरफ है। यह वह अनुमति है। जो आम-भक्तों के लिए फ्री में दी जाती है। जिसकी संख्या करीब 300 है। इसी में कुछ गडबडी चल रही थी। जिसको लेकर शिकायत हुई है। मंदिर के गलियारों में चर्चा है। फ्री-वाली अनुमति में से कुछ अनुमति रोककर, बाले-बाले बेच दी जाती है। अपने मुखिया जी ने शिकायत मिलते ही तत्काल संज्ञान लिया। चर्चा पर अगर यकीन करे तो ... अपने इंदौरीलाल जी को जांच के निर्देश दिये है। शिकायत पिछले सप्ताह ही हुई है। अब देखना यह है कि ... मौखिक हुई इस शिकायत का परिणाम क्या निकलता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
फार्मूला ...
चुप रहेंगे डॉट-कॉम के पाठकों को शायद याद होगा। अपने जिले के मुखिया ने पदभार संभालने के बाद साफ-साफ कह दिया था। जिनको काम नहीं करना... वह अपना ट्रांसफर करवा ले। अपने मुखिया जी की बात को इंदौरीलाल जी ने गंभीरता से ले लिया है। तभी तो उन्होंने मंदिर की व्यवस्थाओं के प्रति उदासीनता अपना ली है। आजकल अपने इंदौरीलाल जी आते ही नहीं है। अगर आते है तो कार्यालय से ही वापस लौट जाते है। फोन भी नहीं उठाते है। इसकी वजह भी बताई जा रही है। जिले के मुखिया से उनकी ट्यूनिंग नहीं बैठ रही है। इधर शासन भी उनको नहीं हटा रहा है। जिसके चलते उन्होंने काम नहीं करने वाला फार्मूला अपनाया है। ताकि कोई ना कोई उनको हटवा दे। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि ... अपने इंदौरीलाल जी का यह फार्मूला कितना काम आता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
तारीफ ...
जिले के मुखिया की तारीफ करनी होगी। जिन्होंने भस्मार्ती अनुमति को लेकर सभी के होश ठिकाने लगा दिये है। सत्तादल हो या विपक्ष। दोनों की सेकेण्ड लाइन के नेता अब परेशान है। पहले ऐसा नहीं था। हर कोई अपना पॉवर दिखाकर अनुमति बनवा लेता था। इस आड में धंधा भी चलता था। अपनी-अपनी जेब गर्म करते थे। मुखिया जी ने इस पर रोक लगा दी है। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है। वह पहले तो एक दिन बाद प्रोटोकॉल की सूची देखते थे। लेकिन अब प्रतिदिन शाम को ही उनकी टेबल पर वीआईपी भक्तों की सूची होती है। किसने ... कितनी अनुमति करवाई। इस पर विशेष ध्यान देते है। कई कमल व पंजाप्रेमियों की सिफारिश पर उन्होंने रोक लगा दी है। इसमें एक नाम भातपूजा वाले महंत बाबा का भी है। जिन्होंने प्रशासक के साथ अभद्रता की थी। इसके अलावा जेल वालो की अनुमति पर भी, गबन-कांड उजागर होते ही रोक लगा दी थी। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में तारीफ के साथ सुनाई दे रही है। तो हम भी उनकी कार्यप्रणाली को सेल्यूट करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पदोन्नति ...
वैसे तो प्रमोशन करने का अधिकार मप्र शासन का है। लेकिन अपने चक्रम में खुद ही प्रमोशन कर लिया जाता है। हमारी बात पर अगर भरोसा नहीं है। तो 2 दिन बाद होने वाले दीक्षांत समारोह का आमंत्रण पत्र देख लीजिए। जिसमें चक्रम के एक सहायक प्राध्यापक ने खुद को प्रोफेसर घोषित कर लिया है। हालांकि शासन ने दिसम्बर 22 में जो लिस्ट जारी करी थी। उसमें इनको सहायक प्राध्यापक ही दर्शाया था। लेकिन 3 महीने के अंदर ही इनका स्व- घोषित प्रमोशन हो गया। खुद को प्रोफेसर बता दिया। जिसकी चर्चा चक्रम के गलियारों में सुनाई दे रहे है। जिसमें हम आखिर क्या कर सकते है। चक्रम में सबकुछ संभव है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चर्चा ...
जेल के गलियारों में शायर मंजर भोपाली का एक गीत सुनाई दे रहा है। मुझको अपनी बैंक की किताब दीजिए/जेल की तबाही का हिसाब दीजिए... मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चलते-चलते ....
अंदर ही अंदर सुगबुगाहट है कि इस महीने के अंत तक संघ के परम-पूज्यनीय का आगमन महाकाल की नगरी में होने वाला है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
ऐसा भी होता है...
राजस्व अधिकारी संघ के आव्हान पर जिला उज्जैन के समस्त तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार दिनांक 20 से 22 मार्च तक अवकाश पर रहेंगे संघ के आह्वान पर आज रात्रि 8:00 सभी तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों को समस्त प्रशासकीय ग्रुपों से एग्जिट करना है अतः हम सभी इस ग्रुप से एग्जिट कर रहे हैं एडमिन महोदय से निवेदन है कि 22 तारीख की रात को हमें इस ग्रुप में वापस ऐड करने की कृपा करें।