24 अप्रैल 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
सम्मान ...
अपने पंजाप्रेमी राजा साहब 2 दिन रहकर गये है। इस दौरान नाश्ते की टेबल पर यह घटना हुई। राजा साहब नाश्ता कर रहे थे। उनके आसपास पंजाप्रेमी जनप्रतिनिधि व 5 वीं फेल नेताजी और छोटा-बटला बैठे थे। अचानक नारी शक्ति का आगमन हुआ। उनके सम्मान में अपने राजा साहब ने पहले अगल-बगल देखा। फिर 5 वीं फेल नेताजी और छोटा- बटला को बोल दिया। उठ जाइये- कुर्सी खाली करो- महिलाओं का सम्मान करो। उनको बैठने दो। राजा साहब का फरमान होते ही दोनों पंजाप्रेमी नेताओं को उठना पड़ा। ऐसा वहां मौजूद एक जनप्रतिनिधि ने नाम नहीं छापने की शर्त पर हमको बताया। इधर दोनों नेताओं के दिल पर क्या बीती होगी। इसका दु:ख कोई नहीं समझ सकता है। बेचारे दोनों चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
दूर है ...
नाश्ते की घटना हमारे पाठको ने ऊपर पढ़ ही ली है। उसके बाद की यह घटना है। अपने चरणलाल जी भी नाश्ते की टेबल पर पहुंचे। वह पीछे की कुर्सी पर चुपचाप बैठ गये। आगे बैठे घट्टिया के मिश्रीलाल जी और बदबू वाले शहर के दरबार की निगाह, चरणलाल जी पर गई। अपने मिश्रीलाल जी ने चरणलाल जी से कहा। आगे आ जाओं। तब चरणलाल जी का जवाब था। दूर ही अच्छा हूं। वैसे भी तराना दूर है। चरणलाल जी का जवाब सुनकर मिश्रीलाल जी और दरबार चुप रह गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
दूसरी गाडी ...
नाश्ते की टेबल पर 2 घटनाएं हुई। यह तीसरी घटना है। जो कि सर्किट हाऊस के मुख्य दरवाजे पर घटित हुई। राजा साहब पत्रकारों से मिलने निकल रहे थे। उनके साथ गाडी में बैठना हर पंजाप्रेमी नेता का सपना होता है। मौका देखकर अपने चरणलाल जी और 5 वीं फेल मुखिया जी, गाडी में घुस गये। जबकि राजा साहब के खास, अपने मिश्रीलाल जी बाहर ही खड़े रह गये। उनकी नजरे राजा साहब से मिली। मिश्रीलाल जी के मन की बात को राजा साहब समझ गये। उन्होंने पलटकर, चरणलाल जी और 5 वीं फेल को कह दिया। दूसरी गाडी से आओं। बेचारे ... दोनों का उतरना पड़ा। ऐसा, यह नजारा देखने वाले पंजाप्रेमी बोल रहे है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
डरो मत ...
भले ही पंजाप्रेमियों के दिल्ली वाले राजकुमार डरो- मत का नारा लगाते है। लेकिन अपने शहर के पंजाप्रेमी डरपोक है। यह बात खुद पंजाप्रेमियों ने दक्षिण की बैठक में उजागर करी। मंच से सीधे-सीधे बगैर नाम लिये बोला गया। अपने विकास पुरूष को लेकर। पंजाप्रेमियों का कहना था। यहां मौजूद कोई भी पंजाप्रेमी नेता, कभी भी विकास पुरूष के खिलाफ मोर्चा खोलना तो दूर की बात है। एक ज्ञापन भी नहीं देता है। सब विकास पुरूष के नाम से डरते है। जबकि पंजाप्रेमी राजकुमार का स्लोगन है। डरो मत। मंच से बोली गई बात 100 प्रतिशत सच है। वजह ... विकास पुरूष ने सभी धंधेबाज पंजाप्रेमियों की नब्ज दबा रखी है। इधर कुछ विरोध में बोला ... उधर धंधे पर लगे ताले। इसीलिए पंजाप्रेमियों की जुबान पर ताले लगे रहते है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार जुबान पर ताला लगाकर चुप हो जाते है।
लाटरी ...
पंजाप्रेमियों की लाटरी निकल गई। शुक्रवार के दिन। जब उनको खुलकर बोलने का अवसर दिया गया। पंजाप्रेमी राजा साहब ने। उत्तर-दक्षिण दोनों जगह। दक्षिण में ज्यादा भडास निकली। निशाने पर टॉप में थे दमदमा की मीठी गोली। सभी ने उन पर निशाना साधा। इसके अलावा पंजाप्रेमी होटल वाले भय्या भी निशाने पर रहे। दौलतगंज के पंडित जी का भी नाम आया। 1 नेत्री ने सटीक सवाल उठा दिया। सभी पंजाप्रेमी जनप्रतिनिधियों पर। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर। नेत्री का कहना था। जब एक भी पंजाप्रेमी जनप्रतिनिधि नहीं था। तब जिला पंचायत पर पंजे का कब्जा था। लेकिन अब 4 जनप्रतिनिधि है। फिर भी जिंप अध्यक्ष कमलप्रेमी है। इसी तरह चरणलाल जी के करीबी पूर्व बैंक अध्यक्ष को भी निपटाया गया। जो कि दक्षिण की दावेदारी कर रहे है। उत्तर में तो राजा साहब ने खुद ही मुखिया को निपटा दिया। सूरज अस्त-हम मस्त वाले अध्यक्ष को फटकार लगा दी। फटकार सुनकर सूरज जी चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
धोखा ...
किसी शायर ने खूब लिखा है। किस पर भरोसा करे,यहां कौन किसका होता है/ धोखा वही देता है, जिस पर भरोसा होता है। यह अशआर इन दिनों अपने इंदौरीलाल जी पर सटीक बैठ रहा है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। इशारा ... फर्जी भस्मार्ती कांड की तरफ है। जिसमें 7 लोग धराये है। मंदिर वाले दबी जुबान से बोल रहे है। भस्मार्ती अनुमति चैंकिंग में सबसे ज्यादा सख्ती प्रोटोकॉल अनुमति पर रहती थी। बिलकुल वैसी ... जैसे बार्डर पर चैंकिंग होती है। सभी को लगता था। प्रोटोकॉल से ही माल कमाने का खेल चलता है। इसलिए जनरल गेट पर रूटीन चैंकिंग होती थी। इसी का फायदा लंबे समय से उठाया जा रहा था। मंदिर के कर्मचारी सेटिंग करके जेब गर्म कर रहे थे। अपने इंदौरीलाल जी भरोसा कर रहे थे। नतीजा ... अपनो से उनको धोखा मिला और जिस पर शक था, वह प्रोटोकॉल बेदाग निकला। तभी तो मंदिर वाले धोखा-धोखा बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
नाराजगी ...
अपने 7 जिलो के मुखिया आमतौर पर नाराजगी कम ही दिखाते है। खासकर मंदिर की व्यवस्था में दखल नहीं देते है। लेकिन पिछले इतवार उनकी नाराजगी खुलकर उजागर हो गई। वह भी सुबह-सुबह। जब उनके अतिथि दर्शन करने पहुंचे। गर्भगृह में जल चढाना था। अतिथि ने 1500 रूपये दिये। टिकिट के लिए। मगर टिकिट नहीं मिली। उनके रूपये कर्मचारी ने वापस कर दिये और हाथ जोड लिये। तब अतिथि ने 7 जिलो के मुखिया को फोन ठोक दिया। अव्यवस्था की जानकारी दी। 7 जिलो के मुखिया ने अपने उत्तम जी को घटना बताई। जिसके बाद इंदौरीलाल जी तक फोन गया। हड़कंप मच गया। आखिरकार तब कहीं अतिथि को गर्भगृह की टिकिट मिली। जिसके बाद रात में अपने उत्तम जी मंदिर पहुंच गये। इंदौरीलाल जी को आड़े हाथों लिया। नतीजा ... 7 दिनों में व्यवस्था सुधर गई। ऑन और ऑफ लाइन अब आसानी से टिकिट मिल रही है। जिसके लिए 7 जिलो के मुखिया और अपने उत्तम जी का आभार ... बाकी हम चुप रहेंगे यार...!
रसिया ...
सोशल मीडिया पर अकसर हनीट्रेप का खेल चलता रहता है। चतुर-चालाक- महिलाएं किसी को भी उलझा लेती है। इसको लेकर अलर्ट रहना जरूरी है। लेकिन शहर के एक नगरसेवक कुछ ज्यादा ही रसिक मिजाज है। पहले एल्डरमैन रह चुके है। अभी चुनकर नगरसेवक बने है। महिलाओं के प्रति कुछ ज्यादा ही प्यार झलकता है। तभी तो सोशल मीडिया के एक अमीर महिला पर्सनल ग्रुप पर खुद को पेश कर रहे है। आओं... मुझे हनीट्रेप का शिकार बना लो। नगरसेवक ने खुद को शिकार के रूप में पेश कर दिया है। देखना यह है कि ... वह कब हनीट्रेप का शिकार होते है। ऐसा हम नहीं, बल्कि उनके करीबी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
लाइव ...
आजकल चलन है। कोई भी कार्यक्रम करो। सोशल मीडिया पर लाइव कर दो। अपने लेटरबाज जी की मौजूदगी में कुछ ऐसा ही लाइव हो गया। जो कि राजनीति में गलत माना जाता है। मामला पंचक्रोशी यात्रा के समापन से जुड़ा है। जिला पंचायत का मंच था। गाना बज रहा था। जरा सी और पिला दे यार...। जिपं सदस्यों को गीत ज्यादा पसंद आ गया। बस फिर क्या था। बगैर पिए ही झूमने लगे- डांस शुरू हो गया। इधर वकील साहिबा ने अपना लाइव शुरू कर दिया। जिसमें लेटरबाज जी मुस्कुराते नजर आ रहे थे। एक प्रतिनिधि के ससुर जी ठुमके लगा रहे थे। यह लाइव धीरे-धीरे वायरल हुआ। तो किसी ने लेटरबाज जी को आपत्ति दर्ज कराई। बदनामी का भय दिखाया। लेटरबाज जी ने वकील साहिबा को फोन लगाया। हुकुम दनदनाया। तत्काल डिलीट करो। हुक्म का पालन हुआ। फिर भी दमदमा के गलियारों में तो आज भी ... जरा सी और पिला दे यार ... गूंज रहा है। सब ठुमको की चर्चा कर रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
बट्टा ...
हमारे पाठक शीर्षक पढ़कर अंदाजा नहीं लगाये। हम ब्याज-बट्टे की कोई घटना नहीं लिख रहे है। यहां बट्टा के आगे साख शब्द जुड़ा है। जब किसी की साख (इज्जत) पर बट्टा (दाग) लगता है। तो वह मुंह छुपाने के काबिल ही बचता है। ऐसी चर्चा इन दिनों अपने कमलप्रेमी कर रहे है। जिसमें निशाने पर अपने प्रथम सेवक है। जिनकी साख पर बट्टा लग गया है। कारण यह बताया जा रहा है। सरदारपुरा स्थित केसरिया झंडे वाले भवन के आदेश की अवेहलना करना। इस भवन से एक आदेश जारी हुआ था। अगले महीने एक वर्ग आयोजित हो रहा है। करीब 20 दिन का। माधव नगर रेलवे स्टेशन के सामने। जिस स्कूल में वर्ग होना है। उसके मैदान का समतलीकरण होना था। हरी-हरी घास उगवानी थी। 20 पेटी के करीब खर्च था। जिसकी जिम्मेदारी अपने प्रथम सेवक को दी गई थी। प्रथम सेवक ने वादा भी कर लिया। मगर फिर टाल-मटोल शुरू कर दी। यह देखकर किसी दूसरे को जिम्मेदारी दी गई। जिसने प्रशासन और शिवाजी भवन में बात करके मामला सुलझा लिया। किन्तु अपने प्रथम सेवक की साख पर बट्टा लग गया है। ऐसा अब कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस ... अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते है।
नहीं करूंगा ...
अपने उत्तम जी जो ठान लेते है। वह पूरा करते है। फिर भले ही कोई कितनी भी कोशिश करे। उल्टे कोशिश करने वाले को सभी के सामने मना कर देते है। जैसे रविवार को किया। राजस्व समीक्षा बैठक में। अपने चुगलखोर जी को। जो कि इन दिनों ग्रामीण से निकलकर शहरी क्षेत्र में तबादला चाहते है। यह बात अपने उत्तम जी को पसंद नहीं आ रही है। इसलिए आज उन्होंने बैठक में साफ कर दिया। तुम्हारा तबादला नहीं करूंगा। जिसे सुनकर अपने चुगलखोर जी चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ...
हमने सहना सीख लिया है/ कुछ ना कहना सीख लिया है/ बोलेंगे तो बात बढेगी/ चुप ही रहना सीख लिया है... !