11 नवंबर 2024 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

11 नवंबर 2024 (हम चुप रहेंगे)

मॉडल ... 

हमारा आशय उस मॉडल की तरफ नहीं है। जो शीर्षक पढ़कर हमारे पाठकों के दिमाग में आया होगा। रैंप पर चलने वाली मॉडल की तरफ वाला। हम तो रोल-मॉडल की बात कर रहे है। जो दूसरे के लिए प्रेरणादायक होते है। तीसरे माले के मुखिया बैठक ले रहे थे। ग्रामीण विकास विभाग की। तब अपनी चटक मैडम जी ने संस्कारधानी में किये गये कामों का उल्लेख किया। प्रेजेन्टेशन तक दिखा दिया। तैयारी करके आई थी। जिससे बाकी 6 जिलो के अधिकारी आश्चर्य में पड गये। मैडम के काम देखकर सभी ने उनको अपना रोल-मॉडल बनाने का तत्काल फैसला कर लिया। तो हम भी अपनी चटक मैडम जी को इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

तेज मत चलो ...

इन दिनों एक आलाधिकारी फुलफार्म में है। यह वही है। जिन्होंने शिप्रा किनारे चप्पल पहनकर जल अर्पण कर दिया था। आजकल लगातार बैठके कर रहे है। जिसमें सीधे अटैक कर रहे है। अभी-अभी पानी वाले और प्राकृतिक संपदा वाले विभाग निशाने पर आ गये। पहले पानी विभाग के अधिकारी की लू उतारी। साफ-साफ कहा। तेज मत चलो। अभी जांच करवा दूंगा। तो साबित हो जायेगा। गुणवत्ताहीन काम हुआ है। गढ्ढा खुदवाकर जांच करवाता हूं। बेचारे ... पानी विभाग के अधिकारी सकपका गये। इसी तरह प्राकृतिक संपदा के जिलाधिकारियों को फटकार लगाई। नसीहत दी। ग्राम देवताओं से जांच करवा लेते हो। जबकि डिप्टी या अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी से जांच होनी चाहिये। कई जिलो में विधिवत शाखा प्रभारी के आदेश नहीं निकले है। नियमों की अनदेखी हो रही है। अपने-अपने जिले के मुखिया को बता देना। विधिवत आदेश निकाले। प्रकरण की सुनवाई में जिलाधिकारी मौजूद रहेंगे। ऐसी संकुल के तीसरे माले पर चर्चा है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

9 दुनी 18 ... 

हम पहाड़े की बात नहीं कर रहे है। वो तो हमारे पाठकों को याद है। हमारा इशारा भाजपा के 9 मंडल की तरफ है। 5 उत्तर में। जीवाजीगंज, सराफा, विक्रमादित्य, दौलतगंज व कार्तिक चौक।  दक्षिण में 4। दीनदयाल, माधवनगर, केशवनगर व महाराजवाड़ा। इन 9 मंडलों के मुखिया की दौड में 18 कमलप्रेमी नाम चर्चाओं में है। हमारे भरोसेमंद सूत्र का दावा है। इन्ही नामों में से 9 मंडलों के अध्यक्ष चुने जायेंगे। पहले उत्तर के 5 मंडलों के नाम। जिसमें शानू मेहता, दिनेश विश्वकर्मा, धर्मेन्द्र परिहार (जीवाजीगंज) कपिल कटारिया, श्रीपाल राजावत, राजेश शर्मा (सराफा) अशोक गेहलोत, लखन राणावत,विक्रम ठाकुर(विक्रमादित्य) धीरेन्द्र परिहार, अपूर्व देवड़ा (दौलतगंज) गिरीश शास्त्री, मुस्तक गोस्वामी, अजय जोशी (कार्तिक चौक) के नाम शामिल है। जबकि दक्षिण में मुकेश पोरवाल ( दीनदयाल) प्रवीण सनोटिया, हरीश सोलंकी ( माधवनगर) जितेन्द्र कृपलानी ( केशवनगर) गजेन्द्र खत्री ( महाराजवाड़ा) का नाम सामने आया है। करीब 15 दिनों बाद घोषणा होगी। तब तक इंतजार का मजा लेते हुए, हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

निर्देश ... 

अपने दूसरे माले के मुखिया खूब निर्देश देते है। अपनी बैठकों में। उनको कोई नहीं दे सकता है। किन्तु हवाई पट्टी पर उनको भी निर्देश मिले। देने वाले अपने विकासपुरूष थे। जिन्होंने अलग बुलाकर करीब 3 मिनिट तक निर्देश दिये। इस दौरान, देखने वाले करीब 10 से 15 फीट की दूरी से यह नजारा देखते रहे। लेकिन निर्देश क्या मिले? यह किसी को पता नही है। इसलिए नजारा देखने वालो में जिज्ञासा है। आखिर अपने विकासपुरूष ने क्या बोला होगा। पता केवल दूसरे माले के मुखिया को है। जो कि ओरिजनल चुप रहते है। तो हम भी अपनी डूप्लीकेट पॉलिसी के अनुसार चुप हो जाते है। 

रानी ... 

शीर्षक पढ़कर यह अंदाजा नहीं लगाये। हम राजा-रानी की कहानी का जिक्र कर रहे है। हमारा इशारा एक कविता की तरफ है। हमारे पाठकों को यह याद होगी। मछली जल की रानी है/ जीवन उसका पानी है / हाथ लगाओं डर जाएगी/ बाहर निकालो मर जाएगी...। यह कविता इन दिनों मछली विभाग की रानी को लेकर सुनने में आ रही है। संकुल के गलियारो में। विभाग की रानी फोन नहीं उठाती है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है। 

दलाल ... 

अपने दूसरे माले के मुखिया ने अंकुश लगाया था। प्रथम तल पर दलालो की भूमिका को लेकर। इस तल पर तहसीलदार व नायब तहसीलदार बैठते थे। तब 2 दलालो की भूमिका उजागर हुई थी। यह अंकुश तब तक रहा, जब तक तहसील कार्यालय प्रथम तल पर था। अब सामने वाली बिल्डिंग में जा चुका है। तो दलाल फिर सक्रिय है। इतने सक्रिय कि .... अपने क्लाइंट को सीधे फोन पर कहते है। कलेक्टर से डरने की जरूरत नहीं है। सब काम हो जायेगा। यह घटना पिछले सप्ताह की है। जो खुद हमने फोन पर बात करते दलाल के मुंह से सुनी। दलाल का यह दुस्साहस बता रहा है। दलालों को अब किसी का डर नहीं है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है। 

इच्छा ... 

अपने विकासपुरूष की इच्छा है। जिसके लिए अग्रिम बधाई। विकासपुरूष नया प्रशासनिक संकुल बनवाने की इच्छा रखते है। उन्होंने निर्देश भी दिये है। जिसको लेकर अपने दूसरे माले के मुखिया ने ड्राइंग- डिजाइन पर काम शुरू कर दिया है। मगर गोपनीय रखा है। वैसे भी विक्रमादित्य प्रशासनिक संकुल वैसा नहीं बना है। जैसा प्रशासनिक संकुल होना चाहिये। विकासपुरूष की मंशा है। आईएएस व आईपीएस, दोनों का आफिस नजदीक होना चाहिये। करीब 30 साल पहले कोठी पर यही व्यवस्था थी। अब देखना यह है कि कितनी जल्दी नया संकुल तैयार होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। .

लिखित में दो ... 

शनिवार की घटना है। समय दोपहर का। स्थान संकुल का दूसरा माला। जहां अपने कटप्पा जी का भी कार्यालय है। उसी से लगे कार्यालय में बैठक हो रही थी। विभाग की मुखिया, मातहतों से चर्चा कर रहीं थी। अचानक जोर-जोर से आवाजे आने लगी। सभी एक साथ बोल रहे थे। विषय प्रोटोकॉल ड्यूटी से जुड़ा था। जब सभी विरोध करने लगे। तो अपनी चंदा मैडम जी ने बोल दिया। लिखित में दो। मुझे ड्यूटी नहीं करनी। मैं आगे बढ़ा दूंगी। मैडम ने नसीहत भी दी। मैं अपने पर्सनल काम नहीं करवा रही हूं। मैडम की नसीहत और तीखे तेवर देखकर, विरोध करने वाले मातहत चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

मौका नहीं मिला ... 

अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। दबी जुबान से। एक माननीय अपने विकासपुरूष को रिसीव करने अहिल्या नगरी तक गये थे। पुष्पक विमान उतरने वाले स्थल पर। यही सोचकर गये थे। लौटते में विकासपुरूष के साथ वाहन में बैठकर आयेंगे। कुछ कामकाज की बाते हो जायेंगी। मगर दाव उल्टा पड गया। विकासपुरूष के साथ वाहन में अहिल्या नगरी के नेता लद गये। जो कि बाबा की नगरीय सीमा तक आये। फिर वापस लौट गये। इसके बाद ही माननीय को वाहन में बैठने का मौका मिला। मगर यह कौन माननीय है? इसको लेकर कमलप्रेमी चुप है। कोई इशारा करने को भी तैयार नहीं है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

विवाद ... 

एक बार फिर संकुल के दूसरे माले चलते है। जहां पर दोपहर में बैठक थी। मकसद, कालिदास समारोह में भीड़ लाने का था। शिक्षा से जुड़े अधिकारीगण मौजूद थे। दूसरे माले के मुखिया ने बैठक बुलाई थी। जिसमें अपनी चटक मैडम जी और कटप्पा जी भी हाजिर थे। इस बैठक में आमंत्रण पत्र वितरण को लेकर सवाल उठा था। जिस पर मैडम जी ने आपत्ति ली। क्योंकि जिम्मेदारी अपने कटप्पा जी की थी। उन्होंने देश की प्रथम नागरिक के आगमन वाले कार्यक्रम का हवाला देकर कटघरे में खड़ा कर दिया। अपने कटप्पा जी को। बस फिर क्या था। हार्डवर्कर कटप्पा जी विफर गये। उन्होंने सबूत पेश कर दिये। इधर कटप्पा जी की हालात देखकर, मैडम जी मुस्करा दी। जिसमें आग में घी का काम किया। ताज्जुब की बात यह है कि दूसरे माले के मुखिया इस दौरान चुप रहे। ऐसी चर्चा संकुल में, बैठक के बाद सुनाई दे रही है। इसमें कितना सच है-कितना झूठ? हमको पता नहीं है। इसलिए हम तो बस जो चर्चा है, वह लिखकर अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

पहली दफा ... 

अकादमी के गलियारों में चर्चा है। उस समारोह की। जिसका शुभारंभ मंगलवार को होगा। सात दिवसीय कार्यक्रम में 17 प्रस्तुति होंगी। जिसमें से 9 प्रस्तुति आपला मानुष को ध्यान में रखकर दी गई थी। ऐसा पहली दफा हुआ है। मगर ऐसा क्यों हुआ? इसको लेकर सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

सफाई ... 

होर्डिंग्स पर लिखा है। साफ रखकर देखिए। अच्छा लगता है। मगर तस्वीर देखकर क्या लगता है। खुद पाठकगण महसूस करे। क्योंकि हमें अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

कमी ... 

अकादमी के गलियारों में चर्चा है। समन्वय कमी की। इशारा अतिविशिष्ट व विशिष्टजनों के लिए जारी होने वाले पास की तरफ है। हर किसी की इच्छा है कि वह इस कार्यक्रम में शामिल हो। लेकिन मामला सूची को लेकर अटक गया है। अंदरखाने की खबर है कि संकुल से सूची मांगी जा रही है। कौन अतिविशिष्ट और कौन विशिष्ट। इधर अकादमी वाले इसको लेकर असमंजस में है। नतीजा रविवार की शाम तक इसको लेकर माथापच्ची चल रही थी। ऐसी चर्चा अकादमी के गलियारों से निकलकर सामने आई है। जबकि कार्यक्रम को लेकर उल्टी गिनती शुरू हो गई है। देखना यह है कि फैसला कौन करता है। वीवीआईपी और वीआईपी पास को लेकर। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेरी पसंद ...

हमसे ताल्लुक में रहोगे तो तबीयत ठीक रहेगी।
हम वो हकीम हैं जो लफ़्ज़ों से इलाज करते हैं