13 फरवरी 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

13 फरवरी 2023 (हम चुप रहेंगे)

गुस्ताखी माफ...

बहुत पहले एक टीवी सीरियल आता थागुस्ताखी-माफ। कमलप्रेमी इन दिनों एक घटना सुनाते हुए, इस सीरियल को याद कर रहे है। 8 तारीख की घटना है। विकास यात्रा में घटित हुई। यात्रा में कमलप्रेमी नेत्रियां भी शामिल थी। तभी एक नेत्री के साथ एक युवा नेता टकरा गये। नेत्री को जैसे ही टक्कर लगी। उनका पारा सातवे आसमान पर था नेत्री ने टक्कर लगते ही, संकट-मोचक- संगठन के पूर्व मुखिया की लू उतार दी। खुलकर आक्रोश दिखाया। जिसे देखकर, बाकी नेत्रियां आश्चर्यचकित रह गई। किसी की कुछ समझ नहीं आया। आखिर कमलप्रेमी नेत्री को इतना गुस्सा क्यों आया। इधर थोडी देर बाद फिर, टक्कर मारने वाले युवा नेता ने मिलकर माफी की गुहार लगाई। यह देखकर नेत्री फिर बिफर गई। जिसके बाद संकट-मोचक-संगठन के पूर्व मुखिया चुपचाप निकल गये। ऐसी चर्चा कमलप्रेमी नेत्रियां कर रही है। अब सच और झूठ का फैसला हमारे पाठक खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

मासूमियत ...

क्या बयान करें तेरी मासूमियत को शायरी में हम/ तू लाख गुनाह कर ले, सजा तुझको नहीं मिलनी...। यह अशआर इन दिनों अपने कमलप्रेमी एक-दूसरे को सुना रहे है। जिसमें इशारा अपने प्रथम सेवक की तरफ है। अभी-अभी शिवाजी भवन में बहाली हुई है। सहायक यंत्री की। जिसको लेकर अपने प्रथम सेवक ने बयान दिया। पूरा दोष अपने अनफिट जी पर डाल दिया। प्रस्ताव के नाम पर। जबकि पर्दे के पीछे का सच बिलकुल अलग है। प्रस्ताव से पहले सहमति बनी जिसमें अपने प्रथम सेवक सहित उनका मंत्रिमंडल भी शामिल था। तभी तो विरोध नहीं किया। गिव एंड टेक का सौदा था। यह सभी कमलप्रेमी बोल रहे है। इधर एक कमलप्रेमी नगर सेवक ने पोस्ट अपलोड कर दी। ईमानदार अधिकारी की वापसी पर स्वागत है। जो कि इशारा है। इसके बाद भी प्रथम सेवक ने अपने अनफिट जी को कटघरे में खड़ा कर दिया। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है और ऊपर लिखा शेर सुना रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

नियम ...

अपने उम्मीद जी नियम बना गये। जाते-जाते250 दीजिए-दर्शन कीजिए। यह नियम सभी भी पर लागू हो गया। राशि भी ली जा रही है। एक जनप्रतिनिधि इस नियम से मंदिर में ही नाराज हो गये। जिनको हम वजनदार जी के नाम से जानते है। पिछले सप्ताह की घटना है। वजनदार जी के अलावा 4 अन्य लोग दर्शन करने गये थे। नियमानुसार वजनदार जी को छोड़कर, बाकी सभी की राशि जमा करनी थी। क्योंकि वीआईपी दर्शन चाहते थे। सुरक्षाकर्मियों ने उनको रोक दिया। टिकिट की मांग करी। बस फिर क्या था। अपने वजनदार जी को गुस्सा आ गया। उनसे ज्यादा आक्रोश उनकी परछाई अपने चंगु जी ने दिखाया। तत्काल फोन लगा दिया। क्या हमको भी राशि देनी होगी। मंदिर वालो ने विवाद से बचने का रास्ता निकाला। दूसरे रास्ते से ले जाकर दर्शन करवा दिये। ऐसा हम नहीं, बल्कि मंदिर के भरोसेमंद सूत्र बोल रहे है। घटना पूरी तरह सच है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

अनोखी सजा ...

शिवाजी भवन के गलियारों में एक अनोखी सजा की चर्चा सुनाई दे रही है। सजा देने वाले अपने अनफिट जी है। जिन्होंने अपर आयुक्त को यह सजा दी है। खुद अपने हाथों से अनफिट जी ने इस अधिकारी को सोशल मीडिया ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखा दिया। कारण... अधिकारी महोदय ... ग्रुप में दिनभर कुछ ना कुछ लिखते ही रहते थे। मुहावरे की भाषा में कहे तो ... फटे में टांग अडाते थे। उनकी लेखन शैली से आखिरकार ... अनफिट जी भी तंग आ गये। तभी तो बाकी सभी को हिदायत देते हुए, इस लिख्खड अधिकारी को ग्रुप से निकाल दिया। मगर इसके बाद भी दूसरे ग्रुपों में, यह अधिकारी बेतुके निर्देश लिखे जा रहे हैरविवार की सुबह 7 बजे बुलाने का निर्देश भी डाल दिया। अब शिवाजी भवन वाले सोच रहे है। आखिर कैसे अंकुश लगाये। मगर रास्ता नहीं मिल रहा है। इसलिए चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

जेब हल्की ...

अभी तक तो यही देखने-सुनने और पढऩे में आता है। काम के नाम पर कुछ अधिकारी अपनी जेब भारी करते है। लेकिन बाबा के दरबार में इन दिनों उल्टा हो रहा है। विशिष्टजनों को दर्शन करवाना भारी पड रहा है। कई ऐसे वीआईपी आते हैजिनको 250 वाला नियम बताना ... आ बैल मुझे मार वाला ... साबित हो सकता है। इधर इनको दर्शन करवाना भी जरूरी होता है। ऐसे में इन वीआईपी के लिए अधिकारियों को अपनी जेब हल्की करनी पड रही है। जिसकी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। ऐसा पहली बार हो रहा है। जिसके चलते, जिनकी जेब हल्की हो रही है। वह अपने उम्मीद जी को कुछ ज्यादा ही दिल से याद कर रहे है। अब देखना यह है कि ... उम्मीद जी की याद कब तक इनके दिलों में बसी रहती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

घमासान ...  

पंजाप्रेमियों में घमासान मचा हुआ है। इसकी वजह ब्लॉक- प्रमुखों की होने वाली नियुक्ति है। जल्दी ही घोषणा होनी है। उत्तर-दक्षिण दोनों में। मगर, घमासान उत्तर में ज्यादा है। पंजाप्रेमियों के मुखिया, अपने 8 पीएम वाले नेताजी... इसके मुख्य कारण है। वह उन्ही को इन पदो पर चाहते है। जो कि 8 पीएम के समय उनके लिए हाजिर रहे। ऐसा हम नहीं, बल्कि पंजाप्रेमी बोल रहे है। इधर अपने चरणलाल जी के नये समर्थक मायूस है। इसकी वजह अपने चरणलाल जी ने खुद को अपनी विधानसभा तक सीमित कर लिया है। वह ब्लॉक प्रमुखों की नियुक्ति में कोई दखल नहीं दे रहे है। तभी तो पंजाप्रेमी बोल रहे है। अपने 8 पीएम वाले नेताजी को सफलता मिलना पक्का है। अब देखना यह है कि ... किस-किस की नियुक्ति होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

कथनी- करनी ...

अपने प्रथम सेवक जी ने पिछले दिनों फरमान जारी किया था। होर्डिंग्स को लेकर। जिसमें उन्होंने कहा था। उनके खुद के भी होर्डिंग्स नहीं लगेंगे। लेकिन  अब कमलप्रेमी बोल रहे है। सोशल मीडिया सेमिनार के शुभारंभ पर तो प्रथम सेवक ने अपना होर्डिंग्स लगवाया था। तभी तो कमलप्रेमी कथनी और करनी की चर्चा कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

फरमान ...

नये मुखिया ने बैठक में फरमान दिया है। दीपोत्सव को लेकर कोई नकारात्मक प्रचार नहीं होना चाहिये। जिले की प्रतिष्ठा का सवाल है। नये मुखिया की बात 21 लाख टका सही है। आखिरकार रिकार्ड बनेगा। तो नाम भी महाकाल की नगरी का होगा। प्रमाण-पत्र मिलेगा। जिसकी कीमत मात्र ... 60 पेटी है। बहरहाल बात प्रतिष्ठा की है। इसलिए नकारात्मक प्रचार के फरमान से बचने की सलाह को सही मानते हुए, हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेरी पसंद ...  

उसे मालूम है मैने हमेशा सच लिखा है / वो फिर भी झूट की मुझसे हिमायत चाहता है...!