11 जुलाई 2022 (हम चुप रहेंगे )

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

11 जुलाई 2022 (हम चुप रहेंगे )

शिकायत ...

नानाखेड़ा क्षेत्र की तरफ एक कालोनी विकसित हुई है। जिसमें 30 पेटी के खेल की खबर बाजार में चल रही है। अंदरखाने की खबर है कि कुल 180 प्लाट काटने थे। बगल में ही सरकारी जमीन थी। उसी सरकारी जमीन पर बाले-बाले 2 प्लाट अतिरिक्त विकसित कर दिये गये। जिसके बदले में 30 पेटी का खेल हुआ। इसकी भनक अपने पपेट जी को भी नहीं लग पाई। उनके मातहतों ने यह खेल चुपचाप कर दिया। इधर बाजार में चर्चा है कि इन 2 प्लाटों को लेकर हुई गडबडी की शिकायत  उच्च स्तर पर मय सबूत होने वाली है। मगर तब तक हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

पिटाई ...

मतदान के पूर्व रात्रि की घटना है। वोटरों को लुभाने के लिए कमलप्रेमी प्रत्याशी साड़ी वितरण करने निकले थे। घटना स्थल योगेश्वर टेकरी है। जहां पर कमलप्रेमी प्रत्याशी के एक रिश्तेदार की पिटाई हो गई। पिटने वाले पंजाप्रेमी प्रत्याशी के  समर्थक थे। इसके पहले आमने-सामने खूब उन शब्दों का प्रयोग हुआ। जिसको लिखना हमारी मर्यादा के विरूद्ध है। इसी दौरान नशे में धुत कमलप्रेमी प्रत्याशी के परिजन ने कुछ ऐसा बोल दिया। जो कि पंजाप्रेमी समर्थक को अखर गया। उन्होंने परिजन की मुंडी पकड़कर, बलप्रयोग दिखा दिया। जिसके बाद से इस बलप्रयोग को लेकर दोनों ही पक्ष चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

शबाब ...

अभी तक तो चुनाव के अंदर शराब-कबाब और रूपया देने की बात सामने आती थी। मगर पहली दफा शबाब भी उपयोग में लाया गया। वह भी अपने पोलिंग एजेंटों के लिए। पंजाप्रेमियों में इसकी चर्चा है। जिस पर अगर यकीन किया जाये तो विश्वबैंक क्षेत्र की घटना बताई जा रही है। जहां के प्रत्याशी ने यह नया प्रयोग किया। मतदान के एक दिन पूर्व की घटना है। एजेंटो को खुश करने के लिए विशेष तौर पर यह व्यवस्था की गई। सच और झूठ का फैसला अपने पंजाप्रेमी खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

गाज  ...

शिवाजी भवन के गलियारों में यह शब्द सुनाई दे रहा है। दबी जुबान से मातहत यह बोल रहे है। जल्दी ही करीब आधा दर्जन कर्मचारियों पर गाज गिरने वाली है। इसीलिए रात 10 बजे तक बैठकर पुरानी फाइलों को टटोला जा रहा है। कमियां खोजी जा रही है। किस कागज पर ... किसने ... कब गलती करी। जिसको आधार बनाकर आधा दर्जन कर्मचारियों को नोटिस या निलंबित किया जा सकता है। अब देखना यह है कि यह गाज किस-किस पर गिरती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मूड ...

अपने बिरयानी नेताजी मतदान वाले दिन फूल मूड में थे। मूड से मतलब ... 2-2 हाथ करने के मूड में। इसीलिए सुबह से ही तैयार थे। कहीं किसी मतदान केन्द्र पर भिंडत करनी पड़ गई तो। पंजाप्रेमियों की बात अगर मानी जाये। अपने बिरयानी नेताजी ठान कर निकले थे। अगर कोई गडबडी पकड में आ गई। फिर सीधे-सीधे संवाद आमने-सामने अपने उम्मीद जी से ही करेंगे। इस चक्कर में अपने बिरयानी नेताजी पूरे दिन अलर्ट रहे। मगर उनकी यह इच्छा अधूरी ही रह गई। कहीं ऐसा मौका ही नहीं आया। वह अपने मूड का उपयोग कर पाते। जिसके बाद अब बिरयानी नेताजी जोड-गुणा-भाग करने में व्यस्त है। मगर वह किसी के सामने उजागर नहीं कर रहे है। बस चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।  

लाइव ....

वैसे तो निर्वाचन आयोग के निर्देश थे। मतदान केन्द्र पर मोबाईल अंदर ले जाना मना है। मगर कोई जरूरी तो नहीं है। निर्देश का पालन किया जाये। तभी तो 2 कमलप्रेमियों ने निर्देशों को ताक में रख दिया। दोनों अपना मोबाईल ना केवल अंदर ले गये, बल्कि मतदान करते हुए सोशल मीडिया पर लाइव भी कर दिया। आखिर सत्ता  का नशा ऐसा ही होता है। जिसके बाद दोनों कमलप्रेमी अपनी इस चतुराई पर इतरा-इतरा कर बात कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

लाज रखी ...

तो आखिरकार मतदान के एक दिन पूर्व हुई बैठक ने लाज रख ली। अपने कमलप्रेमियों की। वरना, मतदान का प्रतिशत जो सामने आया है। उससे भी कम ही आता। अंदरखाने की खबर है कि कमलप्रेमियों ने अपनी इज्जत बचाने के लिए मदद मांगी। केसरिया झंडे वाले भवन में बैठने वालो से। जिसके बाद चुनिंदा लोगों की बैठक हुई। निर्देश दिये गये। ऐसा पहली बार हुआ कि ... केसरिया झंडे वालो ने नगरीय निकाय चुनाव में अपने स्वयं सेवकों को एक्टिव किया। स्थानीय चुनाव से यह हमेशा दूर रहते है। मगर मदद मांगी गई थी। इसलिए निर्देश दिये गये। एकदम खुलकर सामने नहीं आना है। समय निकालकर जितनी मदद कर सको, करना। नतीजा ... कमलप्रेमी खुद बोल रहे है। लाज रखी। तो हम भी 17 जुलाई का इंतजार करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

हाजिर हो...

पिछले महीने की एक घटना हमारे पाठकों को याद होगी। राजधानी से जुड़ी घटना है। जिसमें अपने पपेट जी को हाजिर होना पड़ा था। तब अपने पपेट जी के साथ अपने चुगलीराम जी और खंजाची जी गये थे। उसके बाद ही यह जुगलबंदी उजागर हुई थी। अब एक बार फिर राजधानी में पेशी लगी है। यह उस दिन है। जिस दिन दूसरे चरण की मतगणना होगी। अब देखना यह है कि इस बार पेशी में अपने पपेट जी अकेले जाते है या जुगलबंदी बरकरार रहती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

त्रिदेव ...

अपने पहलवान ने आयोग को लिखित में शिकायत दर्ज कराई है। त्रुटिपूर्ण मतदाता सूची को लेकर। जिसको लेकर प्रशासन को दोषी बताया गया है। लेकिन उनके पत्र पर खुद कमलप्रेमी ही सवाल उठा रहे है। सवाल पन्ना प्रमुख और त्रिदेव को लेकर है। कमलप्रेमी दबी जुबान से बोल रहे है। जो काम त्रिदेव और पन्ना प्रमुख को करना था। उसके लिए प्रशासन दोषी कैसे हुआ। समर्पित कमलप्रेमी कार्यकर्ता आखिर कहां गायब हो गये। जो कि हर वोटर का हिसाब-किताब चुनाव के 3 महीने पहले ही संभाल लेते थे। इस बार उनकी नाराजगी की वजह क्या है। इस सवाल को सोशल मीडिया पर भी उठाया जा रहा है। लेकिन जवाब देने से वरिष्ठ कमलप्रेमी बच रहे है। सीधी भाषा में बोले तो चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेरी मर्जी ...

अपने चुगलीराम जी ने बीड़ा उठा लिया है। नियम के विपरीत जाकर काम करने का। तभी तो उन्होंने एक नया सोशल मीडिया ग्रुप तैयार किया है। जिसमें अलग से दर्शन हेतु टोकन व्यवस्था लागू है। एमपी नाम से ग्रुप है। जिसके एडमिन वह खुद है। ताज्जुब की बात यह है कि अपने उम्मीद जी ने इस आदेश पर रोक लगाई थी। सत्कार की व्यवस्था पूरी तरह से प्रशासन के हाथ में होगी। इसके बाद भी चुगलीराम जी अपनी मर्जी चला रहे है। जिसकी मंदिर के गलियारों में खूब चर्चा है। लेकिन हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।