06 फरवरी 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

06 फरवरी 2023 (हम चुप रहेंगे)

डर ...

अपने विकास पुरूष का डर क्या होता है। यह कोई अपने ढीला-मानुष से पूछे। यह सवाल इन दिनों खुद कमलप्रेमी उठा रहे है। एक बैठक का हवाला दे रहे है। शाम के समय बैठक थी। जिसके बाद 8 बजे करीब अपने विकास पुरूष ने बैठक रखी थी। विकास यात्रा को लेकर। एलआईसी चौराहे के समीप। नतीजा ... संगठन की बैठक को फटाफट संबोधित करके अपने ढीला-मानुष तत्काल निकल गये। यह नजारा देखकर संगठन की बैठक में मौजूद कमलप्रेमी आश्चर्यचकित थे। तभी तो कमलप्रेमी डर-डर बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

विस्फोट ...

तो अपने उम्मीद जी जाते-जाते विस्फोट कर गये। इसकी उम्मीद उनसे किसी को नहीं थी। इस विस्फोट की गूंज से हर कमलप्रेमी प्रभावित हुआ है। इस कदर प्रभावित हुआ कि ... अब अपने उम्मीद जी को हर वक्त, उठते-बैठते-सोते-जागते कोस रहा है। मामला महाकाल दर्शन से जुड़ा है। जिसकी बैठक 27 को हुई थी। बैठक में मंदिर के इंदौरीलाल जी ने प्रस्ताव रखा। उम्मीद जी ने स्वीकार कर लिया। ढाई सौ की राशि निर्धारित हो गई। बाकी सदस्यों ने विरोध किया। मगर, अपने प्रथम सेवक इसके पक्ष में थे। उन्होंने केवल 250 के बदले 200 का सुझाव रखा। जिसे नामंजूर कर दिया गया। वैसे भी अपने प्रथम सेवक की बात सुनता कौन है। ऐसा खुद कमलप्रेमी बोलते है। ताज्जुब की बात यह है कि 5 दिनों तक इस फैसले को उजागर नहीं किया। इस बीच उम्मीद जी का तबादला हो गया। तभी तो कमलप्रेमी दु:खी होकर, उम्मीद जी के साथ-साथ अपने प्रथम सेवक को भी कोस रहे है। इशारा कर रहे है। प्रथम सेवक तो लक्कडगंज स्थित भवन की कठपुतली है। वहां से जैसा इशारा मिलता है... वैसा ही काम करते है। बहरहाल ... उम्मीद जी के इस विस्फोट से कमलप्रेमी- मीडिया-पंडे-पुजारी सभी दु:खी है। लेकिन चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

रवानगी ...

अपने उम्मीद जी की रवानगी हो चुकी है। सोमवार से वह विदेश यात्रा पर जा रहे है। उनको वैसे भी जाना ही था। मगर अब मुसीबत उन अधिकारियों की है। जो कि अपने उम्मीद जी के कार्यकाल में मजे लूट रहे थे। उम्मीद जी ज्यादा रोक-टोक नहीं करते थे। सभी को पूरी आजादी थी। लेकिन अब वक्त बदल गया हैनये मुखिया अपने नियम-कायदे के पक्के है। परिचय बैठक में ही उन्होंने तेवर भी दिखा दिये। यह बता दिया कि ... अगर रैंकिंग में जिला अंडर-5 में है। तो सभी अधिकारी बेहतर काम कर रहे है। लेकिन अगर नीचे से- 5 में है तो जिले के अधिकारी काम नहीं कर रहे है। वर्तमान में 32 वीं रैंकिंग है। परिचय बैठक में ही नये मुखिया के तेवर और निर्देश से अधिकारियों में हड़कंप है। जिसके चलते संकुल के गलियारों में चर्चा है। जल्दी ही कुछ अधिकारी बाबा की नगरी से जुगाड करके रवानगी ले सकते है। देखना यह है कि कौन-कौन अधिकारी रवानगी लेता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

लाइट काट दो ...

घटना जनसुनवाई की है। उस वक्त की है। जब अपने उम्मीद जी थे। सुनवाई में अपनी घमंडी मैडम भी मौजूद थी। तब एक महिला ने उनसे गुहार लगाई थी। आवेदन दिया था। उसका पति तंत्र-मंत्र करता है। लाइट जलाकर तंत्र-मंत्र की आड में गलत काम करवाता है। महिला ने रोते-रोते यह सब बताया था। अब इसका निराकरण यह था कि ... मामले की वर्दी को खबर दी जाती। ताकि तांत्रिक पति पर कार्रवाई होती। मगर अपनी घमंडी मैडम ने इसके उलट किया। आवेदन, विद्युत मंडल को मार्क कर दिया। उस पर लिख दिया कि .... लाइट काट दी जाये। बेचारी महिला ... यह देखकर चुपचाप लौट गई। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

तिरछी कमरिया- तेरी जवानी...

बाबा महाकाल से लगा एक मंदिर है। जहां हर शाम को वंदे-मातरम गीत बजता है। इस मंदिर पर फूलपेंट वालो का आधिपत्य है। उस मंदिर के प्रांगण में फिल्मी गीत डीजे पर बजे। तिरछी कमरिया तेरी हाय-हाय.. तेरी जवानी मस्त-मस्त। अब ऐसे गीत बजेंगे तो कमरिया और पैर भी थिरकेंगे। लगभग 30  मिनिट तक ऐसे गीत बजते रहे। शाम के 7 बजे करीब। फिर किसी का ध्यान गया। तो एक वरिष्ठ फूलपेंटधारी को फोन गया। उनको घटना बताई गई। वह तत्काल पहुंचे। डीजे बंद करवाया। स्थान का महत्व बताया। लेकिन उन्होंने फटकार किसी को भी नहीं लगाई। नतीजा... अब कमलप्रेमी तिरछी कमरिया- तेरी जवानी मस्त-मस्त की चर्चा कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

30 पेटी ...

शहर में खेल का एक बड़ा आयोजन पूरा हो गया। दूसरा अब शुरू हो रहा है। मगर इस आयोजन से आम जनता तो ठीक, चुने हुए जनप्रतिनिधियों को भी दूर रखा गया। आयोजन पर ढाई खोखा खर्च होने की  चर्चा है। संपन्न  हुए योग खेल में पूरे समय जय शिवाजी-जय महाराष्ट्र वालो का कब्जा रहा। पंजाप्रेमी जनप्रतिनिधि को तो भूल जाइये, कमलप्रेमी जनप्रतिनिधियों को भी नहीं पूछा गया। केवल अपने विकास पुरूष को सौभाग्य मिला। शहर के प्रथम सेवक को भी मंच नसीब नहीं हुआ। उल्टे आयोजक ही मंचासीन हो गये। मजे की बात देखिए जिले के नये मुखिया व 7 जिले के मुखिया को भी मैडल पहनाने का मौका नहीं दिया गया। जबकि दोनों मौजूद थे। यह काम भी आयोजकों ने खुद कर लिया। जिसके लिए एक अधिकारी पर उंगलियां उठ रही है। कमलप्रेमी यह तक बोल रहे है। अधिकारी ने 30 पेटी का खेल बाले-बाले कर लिया। कमलप्रेमियों के इस दावे में कितना सच है- कितना झूठ। फैसला हमारे पाठकगण खुद कर ले। क्योंकि हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।     

भैंस ...

गई भैंस पानी में। इन दिनों इस कहावत को अपने युवा कमलप्रेमी याद कर रहे है। युवा कमलप्रेमी एक बार फिर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है। इन सभी को लंबे समय से नई टीम की घोषणा का इंतजार है। अभी-अभी प्रदेश प्रभारी आये थे। वह निर्देश भी दे गये। युवा कमलप्रेमी टीम की घोषणा जल्दी की जाये। लेकिन फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे है। उस पर विकास यात्रा का श्रीगणेश हो गया है। ऐसे में सभी युवा कमलप्रेमी बोल रहे है। फिर गई भैंस पानी में। युवा कमलप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

तो मार दूंगा ...

अगर मुझसे दोस्ती रखोंगे तो तुम्हारे लिए जान दे दूंगा। मगर, दुश्मनी रखी तो फिर जान से मार दूंगा। यह कोई फिल्मी संवाद नहीं है। बल्कि कमलप्रेमियों के सामने बोला गया डायलॉग है। बोलने वाले अपने बडबोले नेताजी है। जिस वक्त बडबोले नेताजी ने यह संवाद बोले। उस वक्त सामने अपने वजनदार जी और लेटरबाज जी भी मौजूद थे। बैठक मिशन-2023 को लेकर बुलाई गई थी। जिसमें कमलप्रेमियों को यह सीख देनी थी। मिशन-2023 में कैसे काम करना है। लेकिन अपने बडबोले नेताजी की ऐसी सीख सुनकर, कमलप्रेमी आश्चर्यचकित थे। बात यही खत्म नहीं हुई। किसी ने सवाल कर लिया। अपने बडबोले नेताजी से। आप केवल अपनी विधानसभा के ही कमलप्रेमियों का ख्याल रखते हो। पूरे जिले के कमलप्रेमियों का क्यों नहीं। तो उनका जवाब था। मुझे मंत्री बना दो। फिर सबका ख्याल रखूंगा। अब कमलप्रेमी सवाल उठा रहे है। बगैर मंत्री बने जो ऐसी धमकी दे सकता है। वह मंत्री बनने के बाद क्या करेंगा। इसके साथ ही यह भी दबी जुबान से ग्रामीण कमलप्रेमी पूछ रहे है। आखिर अपने बडबोले नेताजी किसको जान से मारना चाहते है? उनका दुश्मन कौन है? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। तो सभी चुप है। फिर हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।  

सपना ...

मुंगेरीलाल का हसीन सपना। इस कहावत से हमारे पाठकगण परिचित है। इन दिनों मुंगेरीलाल स्टाइल में ऐसा सपना एक सेवानिवृत्त अधिकारी देख रहे है। तभी तो कमलप्रेमी मुख्यालय पर इन दिनों नजर आ रहे है। कभी अपने ढीला-मानुष से मिलते है तो कभी बाकी कमलप्रेमियों से। कोठी से लेकर शिवाजी भवन और परिवहन विभाग में सेवा दे चुके है यह अधिकारी। जब पंजाप्रेमी सरकार थी। तब सर्किट हाऊस पर हर पंजाप्रेमी नेता के आगमन पर नजर आते थे। अब उनका पंजे से मोह भंग हो गया है। कमल से मोह बढ़ गया है। मकसद केवल यह है कि ... मिशन-2023 में टिकिट मिल जाये। इसलिए लगातार चक्कर काट रहे है। इनको देखकर कमलप्रेमी बोलते है। वह देखों... मुंगेरीलाल जी आ गये है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

मेरी पसंद ...

लोग जो गरीब थे हकीर हो गये/ आप तो गरीब से अमीर हो गये/ यानि कि हूजूर बेजमीर हो गये/ खुद को बेजमीरी का खिताब दीजिए/ मुझको अपने बैंक की किताब दीजिए...।