23 अक्टूबर 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

23 अक्टूबर 2023 (हम चुप रहेंगे)

शिकायत ...

चुनावी माहौल चरम पर है। शिकायतें होना शुरू हो गई हैं। आगे भी होंगी। राजनीतिक दल एक-दूसरे की शिकायतें करते हैं। इसमें कभी-कभी अफसरों को भी घसीट लेते है जैसे 3 आईएएस और 1 आईपीएएस को घसीट लिया। इन चारों की शिकायत की गई। लेकिन आयोग ने इतनी गंभीरता से नहीं लिया। किन्तु एक सच यह भी है। आयोग ने इन शिकायतों को अभी तक नस्तीबद्ध नहीं किया है। ऐसी चर्चा राजधानी के गलियारों में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि शिकायत नस्तीबद्ध कब होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दलाल ...

शिवाजी भवन में एकल खिडकी प्रणाली लागू हुई है। उन बिल्डरों के लिए। जिनकी जेब हमेशा भारी रहती है। फिर भी काम अटकते रहते है। इसलिए प्रथमसेवक से बातचीत करके एकल खिडकी शुरू की गई। किन्तु इस एकल खिडकी के लिए दलाली कौन कर रहा है। तो एक ओएसडी की तरफ इशारा किया जा रहा है। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

आमने-सामने ...

2 आईएएस अफसर आमने-सामने हो गई है। इसकी वजह एक शासकीय बंगला है। जिसे पुरानी आईएएस खाली नहीं करना चाह रही है। वजह इनके कुत्ते यहां पर निवासरत है। जबकि अभी-अभी आई आईएएस साहिबा, इस बंगले को लेना चाह रही है। अपनी पुरानी घमंडी मैडम इंकार कर रही है। दिसम्बर तक बंगला खाली नहीं होगा। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि आमने-सामने की इस लडाई में जीत किसकी होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।  

जोश ...

अपने पंजाप्रेमी होटलवाले भय्या जोश में आ गये। क्योंकि उनको अभी-अभी प्रत्याशी घोषित किया है। पंजाप्रेमी पार्टी ने। जिसमें अपने बिरयानी नेताजी की भूमिका महत्ती रही। लेकिन टिकिट मिलते ही होटलवाले भय्या जोश में आ गये। मीडिया के सामने बोल दिया। सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालो को जीतने के बाद नहीं छोडूंगा? लेकिन जोश-जोश में वह यह भूल गये। उनके इस बयान का पलटवार उन्हीं पर हो सकता है। इंदौर रोड के मामले में। ऐसा हम नहीं, बल्कि पंजाप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

भूले ...

टिकिट क्या कटा। अपने कमलप्रेमियों ने तत्काल रंग दिखाया। घटना शनिवार शाम की है। जब नवघोषित प्रत्याशी का अभिनंदन समारोह रखा गया था। कमलप्रेमी मुख्यालय पर। कार्यक्रम 1 घंटे देरी से शुरू हुआ। तब तक अपने पहलवान उपस्थिति दर्ज करवाकर जा चुके थे। उनके जाते ही सब उनको भूल गये। किसी भी वक्ता ने उनका अपने उद्बोधन में नाम नहीं लिया। ऐसी चर्चा अपने कमलप्रेमियों के बीच सुनाई दे रही है। सच और झूठ का फैसला खुद कमलप्रेमी अपनी अंतरात्मा से कर ले। क्योंकि हमको तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

शाही- बधाई ...

अकसर, अधिकारी किसी काम के लिए शाही-बधाई ले लेते है। खासकर राजस्व अधिकारी। हरे रंग की खुशबू उनको बैचेन कर देती है। वैसे भी कहावत है। आती लक्ष्मी छोडऩा ... मूर्खता होती है। तभी तो एक राजस्व अधिकारी ने डेढ पेटी की शाही-बधाई स्वीकार कर ली थी। इसी बीच उनका तबादला बदबू वाले शहर में अचानक हो गया। वहां ज्यादा दिन समय नहीं बिताया। अपने उत्तम जी ने उनको वापस बुला लिया। इधर डेढ पेटी देने वाला अभी तक परेशान है। काम भी नहीं हुआ है और शाही भी अटकी हुई है। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि अब शाही वापस होती है या काम होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दु:खी ....

कमलप्रेमियों की पांचवी लिस्ट जारी होने से पहले की घटना है। करीब सवा 4 बजे की। कमलप्रेमी मुख्यालय पर कॉल सेंटर का शुभारंभ होना था। अपने वजनदार जी और लेटरबाज जी मौजूद थे। दोनों के बीच चर्चा हो रही थी। टिकिट तो पहलवान को ही मिलेगा। दोनों खुश थे। इतने में लिस्ट आ गई। दोनों ने पूछा। किसको मिला? जवाब मनमाफिक नहीं आया। खजांची जी का नाम बताया गया। जिसे सुनकर दोनों के चेहरे देखने लायक थे। ऐसा यह नजारा देखने वाले, अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

जहर दे दो ...

अपने बडबोले नेताजी को फिर टिकिट मिल गया। चौथी दफा टिकिट मिला है। जबकि इस बार कमलप्रेमी के साथ-साथ संघ भी विरोध में था। अंदरखाने की खबर है। संघ के एक पदाधिकारी बोल चुके थे। अगर उसको टिकिट देना है, तो हमको जहर दे दो। इसके बाद भी टिकिट मिल गया। जो अपने बडबोले नेताजी का पॉवर दिखाता है। देखना यह है कि नाराज कमलप्रेमी व जहर मांगने वाले, इस दफा बडबोले नेताजी को घर बैठाते है या फिर से राजधानी का रास्ता दिखाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

19 हजार 500 ...

यह आंकड़ा अपने विकास पुरूष की विजयश्री का है। जो उन्होंने 2018 में हासिल किया था। मगर अब 2023 है। हालांकि टिकिट मिलने के बाद उन्होंने दावा किया है। अबकी बार ... 50 हजार लेकिन पंजाप्रेमी होटलवाले भय्या के कारण अब दावे पर संशय हो रहा है। संशय करने वाले हम नहीं, बल्कि खुद कमलप्रेमी है। जो दबी जुबान से बोल रहे है। इस दफा का आंकड़ा 2018 से कम होगा। क्योंकि विकास पुरूष का अंतर विरोध अंदर ही अंदर जमकर उजागर हो रहा है। फैसला मतदाता और कमलप्रेमी करेंगे। जो कि 3 दिसम्बर को सामने आयेगा। तब तक हम  अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

खो-खो ....

बचपन में हम सभी ने यह खेल जरूर खेला होगा। खो-खो का खेल। जिसमें पकडाने के डर से सामने वाले को खो कर देते थे। उसकी जगह खुद बैठ जाते थे। अपने पिस्तौलकांड नायक के साथ यही हो रहा है। कमलप्रेमी उनके साथ खो-खो खेल रहे है। नजर आते है- कुछ देर दौड़ते है- फिर बैठ जाते है। कमंडल से लेकर बूथ तक यही दिखावे का खेल चल रहा है। तभी तो कमलप्रेमी बोल रहे है। कहीं 3 दिसम्बर को अपने पिस्तौलकांड नायक खो-खो खेल का शिकार ना हो जाये। जिसका सभी को इंतजार है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

फटका ...

इस शीर्षक का अर्थ तो हमारे सभी पाठकगण समझते है। पिछले 2 दिनों से अपने कमलप्रेमी इस शब्द का उपयोग कर रहे है। इशारा ... अभी-अभी घोषित कमलप्रेमी प्रत्याशी की तरफ हैजिनको 10 पेटी का फटका निजी तौर पर लगने वाला है। ऐसा हम नहीं, बल्कि अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। यह फटका प्रत्याशी को शासकीय खजाने में जमा कराना होगा। नामांकन दाखिल के लिए यह जरूरी है। देखना यह है कि घोषित प्रत्याशी कब अपनी जेब ढीली करते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दर्द ...

अपने पहलवान का दर्द आखिरकार झलक ही गया। सोशल मीडिया पर। उनकी धन्यवाद अपील पर सभी का ध्यान गया। खासकर उन 2 लाइनों पर। जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है। काश... मुझसे पूछा जाता। जिसे पढ़कर कमलप्रेमी सवाल उठा रहे है। क्या इसके पहले जिनके टिकिट कटते रहे है, उनसे संगठन ने कभी पूछा था। उस वक्त अपने पहलवान ने कभी यह सवाल नहीं उठाया। ऐसा हम नहीं, बल्कि अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

प्रलाप ...

पंजाप्रेमी पहलवान का प्रलाप इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। दाल-बिस्किट वाली तहसील के पंजाप्रेमी इसे प्रलाप की संज्ञा दे रहे है। टिकिट करने के बाद पंजाप्रेमी पहलवान खुलकर बोल रहे है। जबकि कमलप्रेमी इसे कर्मदण्ड बता रहे है। कमलप्रेमी दबी जुबान से बोल रहे है। पुत्रमोह में धृतराष्ट्र को दण्ड मिला था। अपने पहलवान आखिर क्या चीज है। कमलप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

चंदा रे ...

इस तस्वीर को गौर से देखिए। जिसमें मौजूद सभी अधिकारी को हमारे पाठकगण पहचानते है। तस्वीर एक पाठक ने हमें भेजी है। इसके साथ कैप्शन भी लिखा है चंदा रे - चंदा रे- कभी तो जमीं पे आ... बैठेंगे ... बात करेंगे...। पाठक का यह शीर्षक हमको तो पसंद आया। तस्वीर को देखकर। शायद आपको भी पसंद आये। बाकी हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

मेरी पसंद ...

जब नगीचे चुनाव आवत है / भात मांगो पुलाव आवत है...

 रफीक शादानी