06 जून 2022 (हम चुप रहेंगे )
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
किस्सा-ए- जुगलबंदी ...
शायद हमारे सुधी पाठकों को याद हो। पिछले सप्ताह का हम चुप रहेंगे। जिसमें हमने जुगलबंदी का खुलासा किया था। तब कुछ पाठकों ने इस खुलासे पर सवाल उठाये। हमें यह समझाने की कोशिश करी। ऐसा कुछ नहीं है। अपने पपेट जी और चुगलीराम जी, दोनों के अलग-अलग रास्ते है। कोई जुगलबंदी नहीं है। तो हम 1 जून की घटना उजागर कर रहे है। अपने पपेट जी की पेशी थी। राजधानी में। जहां पर अपने पपेट जी को ही जाना था। मगर इस पेशी में अपने चुगलीराम जी भी मौजूद थे। जबकि उनका इस पेशी से कोई लेना-देना नहीं था। इन दोनों के साथ शिवाजी भवन के खजांची भी मौजूद थे। नतीजा ... खजांची के करीबी ही अब इस जुगलबंदी की चर्चा कर रहे है। अब भी अगर पपेट जी और चुगलीराम जी के समर्थकों को लगता है। कोई जुगलबंदी नहीं है। तो हम उनके हाथ जोड़कर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
जहर ...
प्रोफेसर वसीम बरेलवी ने क्या खूब लिखा है। इंसानी फितरत को लेकर। सांपो के मुकद्दर में वो जहर कहां होगा/ इंसान अदावत में जो जहर उगलता है। अब सवाल यह है। किसने उगला- कहां उगला- क्यों उगला- किसके लिए उगला। तो उगलने वाले हम सबके प्रिय पपेट जी और चुगलीराम जी है। जहर राजधानी में पेशी के दौरान उगला। जहर उगलने के पीछे कारण ... अपनी गलतियां छुपाना। सबसे अंतिम सवाल का जवाब यह है कि ... अपने उम्मीद जी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाकर जहर उगला। राजधानी के भरोसेमंद जानकार तो यही इशारा कर रहे है। जिस पर हमको पूरा भरोसा है। बाकी का फैसला हमारे सुधी पाठकगण अपने स्व-विवेक से कर ले। क्योंकि हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
जमीर ...
पद के मोह में इंसान का जमीर कितना गिर जाता है। एक समय था। शिवाजी भवन से लेकर कोठी तक उनका जलवा था। फिर सेवानिवृत्त हो गये। तो अकादमी खोल ली। पंजे से मोह पुराना है। इसी दौरान 14 महीने की पंजाप्रेमी सरकार आ गई। बस फिर क्या था। हर पंजाप्रेमी नेता के आगमन पर सर्किट हाऊस पहुंच जाते थे। उस वक्त खूब कोशिश करी। मगर दाल नहीं गली। बदकिस्मती से पंजाप्रेमी सरकार गिर गई। जिसके बाद यह चुप बैठ गये। मगर जैसे ही प्रथम नागरिक चुनाव की घोषणा हुई। प्रथम पद के लिए इनका जमीर जाग गया। पंजे से मोह खत्म हो गया। इसलिए आजकल खुद को कमलप्रेमी साबित कर रहे है। अपने ढीला-मानुष से भी मुलाकात कर ली। विज्ञापन भी छपवा दिया। नतीजा ... कमलप्रेमी इनके जमीर को लेकर सवाल उठा रहे है। मुंगेरीलाल का हसीन सपना बता रहे है। कमलप्रेमियों की बात सच भी है। लेकिन हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
लालीपाप ...
हम सभी ने बचपन में लालीपाप चूसा होगा। 5 पैसे में मिल जाता था। जिसका स्वाद देर तक रहता था। लेकिन हम यहां पर राजनीति में दिये जाने वाले लालीपाप की बात कर रहे है। जो कि प्रथम नागरिक पद के लिए दिया गया है। देने वाले अपने चुगलीराम जी है। लेने वाले है पुराने कमलप्रेमी वार्ड 1 के निवासी। जिनका शिवाजी भवन से गहरा रिश्ता है। कर्मचारियों के हितैषी होने का नकाब ओढ़े है। शुरूआत में इनकी अपने पपेट जी से पटरी नहीं बैठी थी। विवाद खुलकर सामने आ गये थे। फिर अपने चुगलीराम जी ने समझौता करवाया। तभी से कमलप्रेमी नेताजी को यह लालीपाप थमा दिया गया। टिकिट पक्का वाला लालीपाप। इसी लालीपाप को चूसते हुए दावेदारी का विज्ञापन भी छप गया। अब देखना यह है कि अपने चुगलीराम जी का लालीपाप मीठा निकलता है या कडवा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
शौकीन ...
शिवाजी भवन में ऐसा कौन अधिकारी है। जो कि शौकीन मिजाज है। हमारा शौकीन मिजाज से मतलब वह नहीं है। जो कि हमारे पाठकगणों के दिमाग में है। हमारा मतलब तो बड़े होटलों में मिलने वाली सुविधा से है। जिसे स्पा (मसाज) के नाम से जाना जाता है। अकसर यह अधिकारी, इंदौर और भोपाल (न्यू मार्केट) जाकर स्पा का आनंद उठाते है। मगर शिवाजी भवन में कोई भी यह बताने को तैयार नहीं है। आखिर स्पा का शौकीन अधिकारी कौन है। इसको लेकर सभी चुप है। मगर हमारी भी जिद है। नाम तो तलाश करके रहेंगे। बस .... 1 हफ्ते का समय चाहिये। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बुरे फंसे ...
तो आखिरकार हमारे जुगलबंदी वाले दोनों प्रिय, पपेट जी और चुगलीराम जी, बुरे फंस गये है। शिवाजी भवन से लेकर मंदिर के गलियारों में यह चर्चा है। पहले बात अपने पपेट जी की। जिनको अपने पंजाप्रेमी चरणलाल जी ने फंसा दिया है। जिसकी गूंज राजधानी तक है। इस महीने के पहले दिन ही पेशी हो गई है। अब इस माह के तीसरे हफ्ते के तीसरे दिन राजधानी में फिर हाजिर होना है। क्योंकि चरणलाल जी की शिकायत में दम है और गडबडी हुई है। अब बात करते है अपने चुगलीराम जी की। जो कि इन दिनों एक खुफिया रिपोर्ट के चलते परेशान नजर आ रहे है। इस खुफिया रिपोर्ट में अपने चुगलीराम जी के काम का आंकलन है। इसकी भनक अपने चुगलीराम जी को भी लग गई है। तभी तो वह इधर-उधर फोन खडख़ड़ाकर पता करवा रहे है। खुफिया रिपोर्ट कब बनी, किसने बनाई, कहां भेजी। मगर उनको सफलता नहीं मिली है। देखना यह है कि इस खुफिया रिपोर्ट से अपने चुगलीराम जी कैसे बचते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
तारीफ ...
यह तारीफ हमारे अपने कप्तान जी की है। जिसे पढ़कर शायद कुछ लोगों को बुरा भी लगे। मगर तारीफ काबिल काम किया है। इसलिए किसी को बुरा भी लगे। तब भी हम तो लिखने में रूकेंगे नहीं। बल्कि खुलकर लिखेंगे। क्योंकि तारीफ जाते-जाते वर्दी के टॉप बॉस ने खुद की है। उन्होंने पीठ थपथपाकर कहा कि ... बहुत मेहनत करी। अब जब टॉप बॉस तारीफ कर गये। तो उनकी छाती पर तो सांप लोटना स्वभाविक है। जो कि अपने कप्तान के तबादले की अफवाह 4 बार उडवा चुके है। लेकिन हर बार कप्तान पर महाकाल बाबा मेहरबान रहे। तभी तो 3 रात रूके टॉप बॉस भी मेहनत की तारीफ कर गये। इसलिए हम भी इस तारीफ की बधाई देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चेला और शक्कर ...
शीर्षक पढ़कर हमारे पाठकों को शायद वह कहावत याद आ जाये। गुरू... गुड़ ही रह गया और चेला शक्कर हो गया। पंजाप्रेमी इन दिनों यह कहावत याद कर रहे है। इशारा अपने बिरयानी नेताजी और होटल वाले भैय्या की तरफ है। इसमें गुरू अपने बिरयानी नेताजी है और चेले होटल वाले भैय्या। जिन्होंने मौका देखकर चौका लगा दिया। अपने चरणलाल जी की उम्मीदवारी के खिलाफ। मंच से ही बोल दिया। स्थानीय उम्मीदवार होना चाहिये। उस दौरान बिरयानी नेताजी मौजूद नहीं थे। वह अपने पुराने ठिये फव्वारा चौक पर थे। जिसके बाद राजधानी तक हड़कंप मच गया। प्रभारी सज्जन ने फोन ठोक दिया। बिरयानी नेताजी से सवाल कर लिया। बेचारे ... बिरयानी नेताजी हतप्रभ है। चेले ने यह क्या कर दिया। मगर अब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सफलता ...
हर सफल इंसान (आदमी) के पीछे किसी ना किसी रूप में औरत का हाथ जरूर होता है। यह बात अकसर सुनने में आती है। इन दिनों पंजाप्रेमी अपनी बुआ जी और भाभी जी को लेकर यह बात कर रहे है। जिनके बैक सपोट से पंजाप्रेमियों को नये मुखिया मिले है। पंजाप्रेमियों के नये मुखिया के चयन में अपनी बुआ जी और भाभी जी ने महत्ती भूमिका निभाई है। तभी जाकर कामरेड को हटाकर, नई नियुक्ति हो पाई। पंजाप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
नाराज ...
अपने पपेट जी से शिवाजी भवन में तो हर कोई नाराज है। मगर अब कोठी के टॉप बॉस, अपने 7 जिलो के मुखिया भी हो गये है। तभी तो उन्होंने साफ-साफ लफ्जों में कह दिया। अपने पपेट जी को। शिवाजी भवन से बहुत शिकायते आ रही है। इसलिए अब अपनी बैठक स्मार्ट भवन के बदले, शिवाजी भवन में जमाओ। स्मार्ट भवन के गलियारों में इस नाराजगी की खूब चर्चा है। इसी तरह वर्दी में भी एक घटना की चर्चा है। जिसका सीधा संबंध अपने पपेट जी से है। घटना 3-4 दिन पुरानी है। वर्दी के प्रदेश मुखिया आये थे। तीन दिवसीय प्रवास पर। रात्रि में उनके द्वारा डिनर दिया गया। जिसमें अपने पपेट जी भी आमंत्रित थे। यहीं पर पपेट जी से यह गलती हो गई। वह अपने अल्फा जी को प्रदेश का मुखिया समझ बैठे। उनको अपना नाम बताया और बैच बता दिया। बेचारे ... अपने अल्फा जी भी परिचय पाकर सकपका गये। फिर उन्होंने अपने हाथ से इशारा किया। टॉप बॉस उधर है। तब कहीं जाकर अपने पपेट जी को गलती का अहसास हुआ। मगर गलती तो कर बैठे थे। इसलिए उसके बाद से चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
थोड़ा हंस लो ...
महिलाओं के लिए आरक्षित वार्डो की दावेदार महिलाओं के पति भी गजब ढा रहे है। अपनी पत्नी को युवा दिलो की धड़कन बता रहे है।